राम सिंह दिल्ली के एम्स में किडनी के डाक्टर को अपनी रिपोर्ट दिखा कर अपने शहर लखनऊ लौट आया था. नेफ्रो विभाग में अपनी बारी का इंतजार करने के दरम्यान उसे एक व्यक्ति ने बताया कि किडनी का सही इलाज आयुर्वेद में है. एलोपैथ में किडनी फेल को ठीक करने की कोई दवाई ही नहीं है. आयुर्वेदिक दवाइयों का 6 माह का कोर्स होता है. ट्रेन से लौटते वक्त 52 वर्षीय राम सिंह के दिमाग में यह बात बारबार घूम रही थी. उस ने साथ आ रहे अपने बेटे से पूछा,
“डाक्टर ने क्या कहा है? दवाई लिखी है?”
बेटा बोला, “4 दवाइयां लिख दी हैं. बोला है 3 महीने बाद जांच के लिए आना है. उस की 3 परची बना दी है. 24 घंटे के पेशाब की भी जांच करेगा. उस रिपोर्ट के बाद ही कुछ बताएगा.”
“लखनऊ वाले डाक्टर की रिपोर्ट देख कर क्या बोला?”
“कुछ नहीं. सिर्फ कहा कि हर 3 महीने पर उसे जांच करवा कर दिखाते रहना है, वरना बीमारी बढ़ जाएगी.”
“और दवाई?” राम सिंह ने पूछा.
“दवाई तो 3 महीने बाद पता चलेगा, लेकिन खाने में जो परहेज बताया है उस पर आप को ध्यान देना होगा.” बेटा बोला.
“क्या ध्यान देना होगा. दाल खाने से मना किया है, आलू खाने की मनाही है, मीटमछली नहीं खाना है, दूध नहीं पीना है. जब सब कुछ की मनाही है, तब ताकत कहां से मिलेगी?” राम सिंह चिढ़ते हुए बोले.
“लेकिन बाबूजी, कोई उपाय भी तो नहीं है?” बेटा बोला.
“कैसे नहीं है कोई उपाय! लखनऊ में किडनी का इलाज करने वाले आयुर्वेदिक डाक्टर के यहां दिखा दो उस की दवाई से ठीक हो जाऊंगा.” राम सिंह बोले.