रामप्रकाश जैसे ही घर के पीछे की ओर गया, पीछे से रामपाल ने आ कर बड़े भाई को अकेले में पा कर लगभग फुसफुसाते हुए कहा, “भइया, आज मैं आप से बड़े भइया राजकुमार के बारे में कुछ बातें करना चाहता हूं.”

“अंबर (रामपाल को घर में सभी अंबर कहते थे) तुम्हारे और बड़े भइया के बीच हमेशा कुछ न कुछ चलता रहता है, अब क्या हो गया?” रामप्रकाश ने पलट कर जवाब में कहा.

“पहले तो वह कह रहे थे कि मेरी शादी में सारा खर्च वह करेंगे. लेकिन गहने बनवाने लगे तो 40 हजार रुपए मुझ से ले लिए. उस समय मैं ने ङ्क्षपटू से 70 हजार रुपए ले कर उस में से 40 हजार रुपए उन्हें दिए थे. अब वह अपने पैसे मांग रहा है. मैं ने भइया से कुछ रुपए देने को कहा तो उन्होंने मुझे गाली दे कर भगा दिया.”

“अंबर, तुम भइया का स्वभाव अच्छी तरह जानते हो. उन की आदत ही ऐसी है. इस में नाराज होने की कोई बात नहीं है.”

रामप्रकाश ने छोटे भाई रामपाल को समझाने के उद्देश्य से कह.

लेकिन रामपाल समझने के बजाय रामप्रकाश को भी बड़े भाई राजकुमार के खिलाफ भडक़ाते हुए बोला, “तुम भइया को जितना सीधा समझते हो, वह उतने सीधे हैं नहीं. तुम तो उन की ओर से आंखें मूंदे हुए हो, इसलिए उन की बुराई तुम्हें दिखाई नहीं देती. गांव वाले क्या कहते हैं, तुम्हें पता है? पूरे गांव में चर्चा है कि रंजना भाभी और बड़े भइया के बीच गलत संबंध है.”

रामपाल का इतना कहना था कि रामप्रकाश को गुस्सा आ गया. वह थोड़ी ऊंची आवाज में बोला, “तुम्हारा दिमाग तो ठीक है अंबर, तुम झूठ कह रहे हो. भइया ऐसा काम नहीं कर सकते. उन पर इस तरह का घिनौना आरोप लगा कर तुम मेरी नजरों में गिर गए.”

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