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19 मई, 2023 को मध्य प्रदेश के हरदा जिले के विशेष सत्र न्यायालय में गहमागहमी कुछ ज्यादा ही थी. न्यायाधीश अनूप कुमार त्रिपाठी की अदालत में 2018 में हुए बहुचर्चित राजेश राजपूत हत्याकांड का फैसला आने वाला था. पूरे अदालत परिसर में पुलिस और वकीलों की भीड़ दिखाई दे रही थी. मीडिया के लोग भी पलपल का अपडेट लेते नजर आ रहे थे.

न्यायाधीश ने जैसे ही कोर्टरूम में प्रवेश किया तो लोगों ने खड़े हो कर उन्हें सम्मान दिया. न्यायाधीश ने लोगों को बैठने का इशारा करते हुए कुरसी पर बैठते ही आदेश दिया, “अदालत की काररवाई शुरू की जाए.”

न्यायाधीश का आदेश पाते ही सरकारी वकील आशाराम रोहित ने खड़े हो कर अपनी दलील देते हुए कहा, “मी लार्ड, मैं अदालत में अब तक 20 गवाहों को पेश कर चुका हूं, जिन के बयानों से साफ जाहिर है कि कटघरे में जो प्रकाश जाट नाम का शख्स खड़ा है, उस ने ही राजेश राजपूत का मर्डर किया है. राजेश की पत्नी मनीषा द्वारा ही अपने साथियों गोलू, पवन, छोटू की मदद से राजेश की निर्मम तरीके से हत्या की गई है.”

“आब्जेक्शन मी लार्ड, मेरे मुवक्किल को झूठा फंसाया जा रहा है. राजेश की हत्या प्रकाश, मनीषा और उस के साथियों ने नहीं की है, बल्कि परिवार के लोगों को मनीषा को जमीनजायदाद में हिस्सा न देना पड़े, इसलिए यह झूठी कहानी गढ़ी गई है.” बचाव पक्ष के वकील ने अदालत को भरोसा दिलाते हुए कहा.

“मी लार्ड, मेरे पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि राजेश राजपूत का मर्डर प्रकाश और उस के साथियों ने मनीषा के कहने पर किया,” सरकारी वकील आशाराम रोहित ने आत्मविश्वास के साथ कहा.

“अदालत का वक्त जाया न करें. आप के पास जो भी सबूत हैं, अदालत में पेश किए जाएं.” न्यायाधीश ने आदेश दिया.

“मी लार्ड, मैं इस केस के एक अहम गवाह को अदालत में पेश करने की अनुमति चाहता हूं.” फरियादी की ओर से पैरवी कर रहे एक और वकील अखिलेश भाटी ने दरख्वास्त करते हुए कहा.

“इजाजत है.” न्यायाधीश ने कहा.

“मी लार्ड, मैं राजेश और मनीषा की बेटी प्रियांशी को गवाही के लिए हाजिर करना चाहता हूं.”

“इजाजत है.”

कुछ ही देर में 15 साल की प्रियांशी गवाही देने अदालत में खड़ी हुई तो वकील अखिलेश भाटी ने उस से सवाल किया, “जिस दिन तुम्हारे पापा का मर्डर हुआ था,उस वक्त तुम क्या कर रही थी और तुम ने क्या देखा?”

“जी सर ,उस दिन मैं मम्मी के साथ ऊपर के कमरे में गई थी. उस समय मम्मी फोन पर किसी से बात कर रहीं थीं, तभी मैं ने नीचे उतर कर देखा तो 2 लोग मेरे पापा के कमरे से बाहर निकल रहे थे, उन में से एक प्रकाश अंकल भी थे. मैं ने पापा के कमरे में जा कर देखा तो पापा खून से लथपथ पड़े हुए थे, उन की गरदन पर किसी धारदार हथियार के निशान साफ दिख रहे थे. उसी समय मैं ने मम्मी को आवाज दे कर नीचे बुलाया था.”

“आब्जेक्शन मी लार्ड, प्रियांशी तब हमेशा 10 बजे तक सो जाया करती थी. घटना के समय 10 साल की बच्ची रात 11 बजे तक जाग रही थी, यह सरासर झूठ है.” बचाव पक्ष के वकील ने दलील पेश करते हुए कहा.

“सर, जिस दिन मेरे पापा का मर्डर हुआ,उस दिन मैं चाचा, चाची और मम्मी के साथ गरबा नृत्य देखने गई थी. मम्मी कुछ ही देर में मुझे ले कर घर आ गई थी. उस समय रात के करीब 11 बजे होंगे, मम्मी मुझे ऊपर के कमरे में ले गईं. वहां कपड़े बदल कर मैं सोने के लिए नीचे के कमरे में आई तो देखा पापा का किसी ने मर्डर कर दिया है.” प्रियांशी ने जबाव देते हुए कहा.

“क्या तुम यकीन के साथ कह रही हो कि 2 लोगों में से एक प्रकाश अंकल ही थे?” सरकारी वकील ने पूछा.

“हां, मैं ने उन्हें अच्छी तरह से देखा था, मैं उन्हें कैसे भूल सकती हूं, वो अकसर हमारे घर आया करते थे.” प्रकाश जाट की तरफ अंगुली दिखाते हुए प्रियांशी बोली.

“मी लार्ड, प्रियांशी को अदालत सिखापढ़ा कर लाया गया है. यह अभी नादान है और किसी ने डराधमका कर इस तरह के बयान देने को राजी किया है.” बचाव पक्ष के वकील ने आपत्ति जताते हुए न्यायालय को बताया.

“सर, मैं जो भी कह रही हूं, वह बिना डर के कह रही हूं. मेरी मम्मी पापा का मर्डर करवा सकती है तो मेरा भी करवा देगी. लेकिन हकीकत यही है कि मम्मी के कहने पर ही प्रकाश अंकल ने मेरे पापा का मर्डर किया है.” प्रियांशी ने निर्भीक हो कर बोली.

“मी लार्ड, मैं अदालत से दरख्वास्त करता हूं कि राजेश की हत्या के मुलजिमों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए.” सरकारी वकील आशाराम रोहित इतना कह कर अपने स्थान पर बैठ गए.

प्रेमीप्रेमिका को मिली सजा

दोनों पक्षों की जोरदार बहस को कोर्ट में मौजूद सभी लोग बड़े गौर देख रहे थे. दोनों ओर की दलीलों को गौर से सुनने के बाद अब फैसले की बारी थी. अदालत में मौजूद सभी की नजरें न्यायाधीश की ओर टिकी हुई थीं. कुछ समय बाद न्यायाधीश अनूप कुमार त्रिपाठी ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, “तमाम गवाहों और सबूतों को मद्देनजर रखते हुए यह अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि राजेश राजपूत की हत्या प्रकाश जाट ने राजेश की पत्नी मनीषा की सहमति से की है.

“अदालत मनीषा राजपूत और प्रकाश उर्फ पीपी को भादंवि की धारा 302 में दोष सिद्ध पाते हुए सश्रम आजीवन कारावास और 2-2 हजार का जुरमाना और धारा 201 में दोषी पाते हुए दोनों आरोपियों को 3-3 वर्ष का सश्रम कारावास और एकएक हजार रुपए के जुरमाने की सजा सुनाती है. साथ ही 3 अन्य आरोपियों गोलू उर्फ रामकृष्ण शर्मा, छोटू उर्फ ब्रजेश ठाकुर, पवन उर्फ पप्पू गिरी निवासी मातगौर बागली के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत न होने की वजह से उन्हें बाइज्जत बरी करती है.”

कोर्ट का फैसला आने के बाद वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने मुजरिम प्रकाश जाट और मनीषा राजपूत को हिरासत में ले लिया.  राजेश राजपूत कौन था और उस की हत्या किस वजह से हुई, इस की असली कहानी आज से साढ़े 4 साल पहले से शुरू होती है.

मध्य प्रदेश के जिला हरदा के प्रताप कालोनी में रहने वाले रामरज राजपूत अपने पुश्तैनी घर में अपनी पत्नी और 3 बेटों राजेश, सुरेंद्र और नरेंद्र के साथ रहते थे. अप्रैल 2008 में राजेश की अरेंज मैरिज हरदा के ही कस्बा टिमरनी के पास स्थित लछोरा गांव की रहने वाली मनीषा राजपूत से हुई थी.

राजेश पोस्ट औफिस में कलेक्शन एजेंट का काम किया करता था और पिता रामरज सिंह राजपूत अपनी जूतेचप्पल की दुकान पर बैठते थे. सब कुछ ठीकठाक चल रहा था. राजेश की शादी के एक साल बाद 10 अप्रैल, 2009 को मनीषा ने प्रियांशी को जन्म दिया. 3 साल बाद 8 अक्तूबर, 2012 को मनीषा ने एक बेटे को जन्म दिया. इसी बीच राजेश के दोनों भाइयों की भी शादी हो गई.

भाइयों की शादी के कुछ समय बाद भाभी मनीषा का व्यवहार बदलने लगा. वह अपने पति राजेश पर शक करती थी कि उस का किसी महिला से अफेयर चल रहा है. इस बात को ले कर घर में कलह होने लगी और इस कलह का शिकार पूरा परिवार हो रहा था. मनीषा गुस्से में आ कर अपने देवरों से तो विवाद करती ही थी, किसी न किसी बात पर सासससुर को भी भलाबुरा बोलने लगी.

जब विवाद बढऩे लगा तो राजेश के पिता ने 2016 में अपना पुश्तैनी घर बेच दिया और इस के बाद तीनों भाई अलगअलग रहने लगे. राजेश ने गायत्री मंदिर के पास अपना खुद का घर बना लिया, मातापिता भी उस के पास ही रहने लगे. राजेश ने पिता की बैठक व्यवस्था के लिए घर पर ही किराने की दुकान खोल दी. वक्त गुजरने के साथ धीरेधीरे मनीषा सासससुर को भी परेशान करने लगी. इस से परेशान हो कर रामरज पत्नी के साथ अपने छोटे बेटे नरेंद्र के पास जा कर रहने लगे और मनीषा खुद किराने की दुकान पर बैठने लगी.

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