राहुल इंदौर के एयरोड्रम रोड पर स्थित कृष्णबाग कालोनी में रहने वाले अपने मामा मनोहर पांचाल के यहां शादी का कार्ड देने पहुंचा तो घर में सन्नाटा छाया हुआ था. पहली मंजिल पर जा कर उस ने कमरे का दरवाजा खटखटाया तो अंदर कोई हलचल नहीं सुनाई दी. कुछ देर उस ने इंतजार किया. जब दरवाजा नहीं खुला तो उसे हैरानी हुई. क्योंकि दरवाजे के बाहर की कुंडी खुली थी. इस का मतलब घर खाली नहीं था.
राहुल ने एक बार फिर दरवाजा खटखटाया. इस बार भी दरवाजा नहीं खुला तो उस ने दरवाजे पर धक्का दिया. अंदर से सिटकनी बंद नहीं थी, इसलिए दरवाजा खुल गया. वह अंदर कमरे में पहुंचा तो कोई दिखाई नहीं दिया. उस ने बेडरूम में झांका. वहां भी कोई दिखाई नहीं दिया तो वह किचन की ओर बढ़ा. वहां उस ने जो देखा, उस की रूह कांप उठी. उस के मामा के बेटे कमलेश की पत्नी खून से लथपथ फर्श पर पड़ी थी. उसी के ऊपर कमलेश औंधा पड़ा था.
यह भयानक दृश्य देख कर वह घबरा तो गया, लेकिन धैर्य नहीं खोया. उस ने तुरंत 108 नंबर पर एंबुलेंस के लिए फोन किया. इस के बाद उस ने अपने कुछ दोस्तों को फोन किया. यह 17 फरवरी, 2014 की बात है. उस समय शाम के साढ़े 4 बज रहे थे. राहुल को पता था कि उस समय उस के मामा मनोहर पांचाल ड्युटी पर होंगे. वह हाईकोर्ट जज की गाड़ी चलाते थे. मामी किरण पांचाल के पिता की मौत हो गई थी, इसलिए वह अपने मायके गई हुई थीं. उन का मायका बड़नगर के पास लोहाना गांव में था. बाकी बच्चे स्कूल गए हुए थे.