लीला और पुखराज का विवाह 2017 में हुआ था. पुखराज का परिवार जिला अजमेर के पीसांगन के नाड क्षेत्र में रहता था. पुखराज जाट को मिला कर उस के 5 भाई थे. यह परिवार कई पुश्तों से नाड के पास खेतों में बनी ढाणी में रह रहा था. सारे भाई खेतीबाड़ी व पशुपालन के साथ प्राइवेट नौकरी कर के अपने परिवार का लालनपालन करते थे.
पुखराज की पत्नी लीला का मायका अजमेर जिले के किशनगढ़ की बजरंग कालोनी में था. उस के परिवार में उस की मां रामकन्या और भाई किशन जाट थे. पुखराज और लीला का दांपत्य जीवन खुशहाली में गुजर रहा था. पतिपत्नी में प्यार भी था और अंडरस्टैंडिंग भी. जब दोनों के बीच बेटी अनुप्रिया आ गई तो खुशियां और भी बढ़ गईं.
लीला अपनी मासूम बेटी अनुप्रिया से बहुत प्यार करती थी. उस की वजह से वह पति को पहले की तरह समय नहीं दे पाती थी. इस बात को ले कर दोनों के अपनेअपने तर्क थे. लेकिन पुखराज लीला के तर्कों से संतुष्ट नहीं होता था.
लीला ज्यादातर अपने मायके बजरंग कालोनी, किशनगढ़ में रहती थी. पुखराज को यह अच्छा नहीं लगता था, इसलिए उस ने अपना घर छोड़ कर किशनगढ़ के वार्ड नंबर-2, गांधीनगर में किराए का मकान ले लिया और वहीं रहने लगा.
लीला कहने को तो पति पुखराज को अपना सर्वस्व मानती थी, लेकिन उस का अवैध संबंध सिमारों की ढाणी में रहने वाले रामस्वरूप जाट से था. रामस्वरूप पैसे वाला था. जब उस की नजरें लीला से टकराईं तो वह उसे पाने को बेताब हो उठा. जब तक उस ने लीला का तन नहीं भोगा, तब तक उस के पीछे पड़ा रहा.