बच्चे का जन्म उस बच्चे के मांबाप के लिए एक सुंदर सपना सच होने जैसा होता है. बच्चे के जन्म लेते ही मां की ढेरों आशाएं उस से जुड़ जाती हैं. बच्चे में मां को अपना भविष्य सुरक्षित नजर आने लगता है. मां की उम्मीद बंध जाती है कि बच्चा जब बड़ा होगा तो उस के जीने का सहारा बनेगा. उसे अच्छी जिंदगी देगा. अपने इस सपने को साकार करने के लिए मांबाप जब अपने छोटे से फूल जैसे बच्चे को पढ़ालिखा कर बड़ा करते हैं और समाज में सम्मान से जीने की राह दिखाते हैं. खासतौर पर अगर जन्म लड़के का हो तो मांबाप कुछ ज्यादा ही आशान्वित हो जाते हैं.
बच्चा बड़ा हो कर जब कमाने लगता है और उस का मांबाप को संभालने का वक्त आता है, उस वक्त वह अपने स्वार्थ और बढ़ती इच्छाओं के चलते शादी कर के अपनी दुनिया अलग बसा लेता है. उसे अपनी मां फांस की तरह चुभने लगती है. लेकिन जब उस का खुद का परिवार बनना शुरू होता है और उस के अपने बच्चे को संभालने की बारी आती है तो वही अपनी मां उस को याद आने लगती है. उस के हिसाब से मां से अच्छा बच्चे को भला कौन संभाल सकता है और आया को भारी रकम देने का खर्चा भी बच जाएगा. इस तरह बच्चे अपने स्वार्थ के लिए अपनी ही मां को घर की आया बनाने से नहीं चूकते.
बच्चे संभालने के लिए साथ रखा
खासतौर पर उन मांओं को यह तकलीफ ज्यादा सहन करनी पड़ती है जो तलाकशुदा या विधवा का जीवन जी रही हों. वह मां जिस को बुढ़ापे में आराम की जरूरत होती है उस को बच्चे की जिम्मेदारी सौंप दी जाती है क्योंकि पतिपत्नी दोनों ही नौकरी करते हैं.