Crime News : सुरजीत कौर अपने पति जसवंत से इसलिए खुश नहीं थी क्योंकि शादी के कई साल बाद भी वह मां नहीं बन सकी थी. इस के बाद सुरजीत की जिंदगी में रणजीत आया. रणजीत ने सुरजीत को मां तो बना दिया लेकिन…

दीपावली का पूजन करने के बाद जसवंत ने अपने बच्चों के साथ आतिशबाजी का लुत्फ उठाया. फिर खाना खाने के बाद अपने बच्चों को ले कर घर के बरामदे में सो गया. उस की चारपाई के पास ही पत्नी सुरजीत कौर दूसरी चारपाई पर सोई हुई थी. दोनों ही चारपाइयों पर एक ही मच्छरदानी लगी हुई थी. सुबह करीब साढ़े 4 बजे सुरजीत कौर के पेट में दर्द की शिकायत हुई तो उस ने पति जसवंत को उठाने की कोशिश की. लेकिन वह नहीं उठा. उस के बाद सुरजीत कौर ने पति के मोबाइल फोन की टौर्च जलाई तो जसवंत का चेहरा रक्तरंजित दिखाई दिया.

पति के चेहरे को देखते ही सुरजीत कौर के मुंह से जोरों की चीख निकली. उस ने जसवंत को फिर से उठाने की कोशिश की, लेकिन उठना तो दूर वह हिलडुल तक नहीं सका. सुरजीत की चीखपुकार सुन कर मोहल्ले वाले इकट्ठा हो गए. लोगों ने देखा कि किसी ने उस की कनपटी पर सटा कर गोली चलाई थी. जिस के कारण उस की मौत हो गई थी. मृतक की पत्नी उसी की चारपाई के पास दूसरी चारपाई पर सोई हुई थी, लेकिन उसे गोली की भनक तक नहीं लगी, यह बात लोगों के लिए हैरत वाली थी.

परिवार वालों ने इसी बात को ले कर सुरजीत कौर से जवाब तलब किया तो उस ने बताया कि देर रात उस के चेहरे पर किसी का हाथ लगा. जिस के लगते ही उसे गहरी नींद आ गई. उस के बाद उसे बिलकुल होश नहीं रहा. शायद किसी ने उसे नशा सुंघा दिया था. वैसे भी चारों तरफ आतिशबाजी हो रही थी. आतिशबाजी के कारण उसे पता ही नहीं चला कि कौन कब आ कर उस के पति को मौत के घाट उतार कर चला गया. इस घटना की जानकारी केलाखेड़ा थाने में दी गई. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी प्रभात कुमार पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचे. घटनास्थल पर पहुंच कर प्रभात कुमार ने स्थिति का जायजा लिया और इस की सूचना उच्चाधिकारियों को दी.

सूचना पाते ही रुद्रपुर के एसएसपी डी.एस. कुंवर, एएसपी राजेश भट्ट, एसपी (क्राइम) प्रमोद कुमार और सीओ दीपशिखा अग्रवाल ने मौके पर पहुंच कर जांचपड़ताल की. मृतक के शरीर पर चाकुओं के निशान भी पाए गए. जिस से साफ था कि किसी ने उसे गोली मारने के बाद बुरी तरह से चाकुओं से गोदा था ताकि वह जिंदा न बच सके. उस के पास ही एक विशेष समुदाय की सफेद टोपी और एक धमकी भरा पत्र भी मिला मिला. मतलब किसी ने जसवंत से पुरानी दुश्मनी का बदला लेने के लिए उस की हत्या की थी. पुलिस ने मृतक जसवंत की पत्नी और उस के परिवार वालों से इस मामले में जानकारी ली. लेकिन सभी जैसे अंजान बने हुए थे. जसवंत के परिवार वालों ने बताया कि वह बहुत सीधे स्वभाव का व्यक्ति था.

उस की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी. घटनास्थल से सभी तथ्य जुटाने के बाद पुलिस ने जरूरी काररवाई लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी. कनपटी पर मारी थी गोली पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि जसवंत की मौत गोली लगने से हुई थी. इस मामले में पुलिस का सीधा शक उस की पत्नी सुरजीत कौर की ओर ही जा रहा था. लेकिन उस ने साफ कहा था कि आतिशबाजी की गड़गड़ाहट में वह समझ नही पाई कि गोली चली या फिर आतिशबाजी. उस की हत्या किस ने की, उसे भनक तक नहीं लगी. इस के बावजूद पुलिस ने सुरजीत कौर को अपने साथ लिया और पूछताछ के लिए थाने ले आई. थाने ला कर सुरजीत कौर से कड़ी पूछताछ की गई.

पहले तो उस ने हर एंगल से खुद को निर्दोष साबित करने की कोशिश की,लेकिन पुलिस की सख्ती देख वह जल्दी टूट गई. उस ने स्वीकार किया कि उस ने पति की हत्या अपने प्रेमी रणजीत सिंह के साथ मिल कर की है. इस हत्याकांड का खुलासा होने के बाद जो सच्चाई सामने आई, वह इस प्रकार थी. उत्तराखंड रुद्रपुर-काशीपुर हाइवे के किनारे बसा है एक कस्बा केलाखेड़ा. केलाखेड़ा से कोई 4 किलोमीटर दक्षिण की ओर पड़ता है रंपुरा काजी नाम का गांव. इसी गांव के पूर्वी छोर पर रहता था जसवंत सिंह का परिवार. परिवार के साथ उस का छोटा भाई मलकीत सिंह भी रहता था. लगभग 14 साल पहले जसवंत की शादी नानकमत्ता के गांव सरदारों की टुकड़ी निवासी दरबारा सिंह की बेटी सुरजीत कौर से हुई थी.

उस के कुछ दिनों बाद ही सुरजीत की बहन गुरमीत कौर की शादी जसवंत के छोटे भाई मलकीत से हुई. जसवंत सिंह और उस का छोटा भाई नौकरी कर के परिवार का पेट पालते थे. उन के पास न तो जुतासे की जमीन थी और न ही अन्य कोई कारोबार. 2 बेटियों की शादी के कुछ समय बाद सुरजीत कौर के पिता दरबारा सिंह की किसी बीमारी के चलते मृत्यु हो गई थी. उन की मौत के बाद सुरजीत कौर की मां और छोटी बहन की जिम्मेदारी भी जसवंत को ही उठानी पड़ी, जिस से वह और अधिक परेशान रहने लगा था. कई साल बाद भी नहीं बनी मां जसवंत की शादी के कुछ सालों तक तो सब कुछ ठीकठाक चला. लेकिन शादी के 2 साल बाद भी सुरजीत कौर मां न बन सकी.

यह बात उस के मन को कचोटने लगी थी. सुरजीत कौर समझती थी कि उस का पति जसवंत कुछ ढीले किस्म का है, लेकिन उसे यह नहीं मालूम था कि वह औलाद पैदा करने में भी असमर्थ है. सुरजीत कौर ने कई बार उसे किसी डाक्टर को दिखा कर कर इलाज कराने की सलाह दी. लेकिन जसवंत किसी डाक्टर के पास जाने को तैयार नहीं था. वह हर साल नौकरी के लिए पंजाब जाता था. बीवी को घर पर अकेला छोड़ कर वह कईकई महीने वहीं पर रहता था. सुरजीत कौर घर पर अकेली रहती थी. घर पर कामकाज कोई था नहीं. वह भी अपना समय काटने के लिए अपने मायके चली जाती थी. मायके में रहते उस की मुलाकात रणजीत से हुई. रणजीत जसपुर भोगपुर डैम में रहता था.

उस की शादी भी सुरजीत कौर के मायके गांव सरदारों की टुकड़ी में हुई थी. इसलिए दोनों एकदूसरे को अच्छी तरह जानते थे. शादी के कुछ समय बाद रणजीत का  किसी वजह से अपनी पत्नी से तलाक हो गया था. बीवी से तलाक होने के कारण रणजीत का अपनी ससुराल जाना बंद हो गया था. तलाक के साल भर बाद जसपुर में एक शादी समारोह में संयोग से रणजीत की मुलाकात सुरजीत कौर से हुई. उसी दौरान दोनों ने एकदूसरे का हालचाल पूछा, तो रणजीत ने अपनी बीवी की कहानी उसे सुना कर अपना दुखड़ा रोया. पुरानी जानपहचान होने के नाते दोनों ही भावनाओं में बह गए. दोनों का दर्द एक ही था. एक अपने पति से परेशान थी तो दूसरे की बीवी ने उसे तंग कर दिया था.

सुरजीत कौर देखनेभालने में खूबसूरत थी. उस का दर्द सुन कर उस पर रणजीत का मन रीझ गया. उसी दौरान दोनों ने एकदूसरे का मोबाइल नंबर भी ले लिया था. मुलाकात के दौरान बातचीत हुई तो दोनों दूर के रिश्तेदार भी निकल आए. एक बार जानपहचान बढ़ी तो रणजीत सुरजीत कौर के साथ उस के घर तक आ पहुंचा. हालांकि रणजीत शरीर से इतना हृष्टपुष्ट नहीं था. लेकिन बात करने में इतना तेज था कि किसी भी व्यक्ति से वह किसी भी तरह जानपहचान निकाल कर रिश्तेदारी तक बना लेता था. शादी के कई साल बाद तक बीवी को कोई बच्चा नहीं हुआ तो जसवंत ने अपनी बहन के बेटे प्रदीप को गोद ले लिया.

उस की बीवी उसे ही अपना बेटा मान कर उस की परवरिश करने लगी थी. उसी के सहारे उस का समय भी कटने लगा था. एक दिन रणजीत जसवंत के घर जा पहुंचा. रणजीत को घर आया देख कर सुरजीत का दिल बागबाग हो उठा. रणजीत ने भी बहुत दिनों बाद सुरजीत को नजदीक से देखा तो देखता ही रह गया. सुरजीत घर में बनठन कर रहती थी. देखनेभालने में तो वह ठीकठाक थी ही. रणजीत ने दिल में बना ली जगह सुरजीत कौर को देख कर रणजीत का मन मचल उठा. सुरजीत के दिल का भी कुछ यही हाल था. वह काफी समय से काम वासना से वंचित थी. उस रात सुरजीत कौर ने रणजीत को अपने घर पर ही रोक लिया.

सुरजीत ने रणजीत की काफी खातिरदारी की. उस ने उसे शराब पिलाई और उस के साथ ही 1-2 पैग खुद भी लगा लिए. जसवंत के घर में एक ही कमरा था. उस कमरे के आगे बरामदा था. खाना खाने के बाद सुरजीत ने कमरे में दूसरी चारपाई डाली और उस पर रणजीत को सुला दिया और स्वयं प्रदीप को ले कर दूसरी चारपाई पर लेट गई. प्रदीप थोड़ी देर में सो गया. सुरजीत और रणजीत देर रात तक बातें करते रहे. उस वक्त दोनों के दिलों का बुरा हाल था. लेकिन पहल कौन करे, दोनों की हिम्मत साथ नहीं दे रही थी. सुरजीत कौर को शराब का सुरूर चढ़ना शुरू हुआ तो उस ने रणजीत के सामने अपने पति की सारी पोल खोल दी.

सुरजीत ने शराब के नशे में कई बार कहा कि ऐसे मर्द से क्या फायदा जो बीवी को गर्म कर के ठंडा ही न कर पाए. सुरजीत कौर जब पूरी तरह से रणजीत के सामने खुल गई तो वह पीछे कहां हटने वाला था. उस के लिए यह अच्छा मौका था. सुरजीत की बात सुनतेसुनते जब उस का मनमस्तिष्क कामातुर हो गया तो वह देर लगाए बिना उस की चारपाई पर जा पहुंचा. उस रात दोनों के बीच जो हुआ उस से दोनों ही संतुष्ट थे. उस रात दोनों के बीच अवैध संबंध स्थापित हुए तो दोनों एकदूसरे के दीवाने हो गए. फिर यह सिलसिला अनवरत चलता रहा. जसवंत अपनी रोजीरोटी कमाने के चक्कर में लगा रहता, उस की बीवी उस की गैरमौजूदगी का लाभ उठा कर रणजीत के साथ मौजमस्ती करती. लेकिन इन दोनों की हरकतों की जसवंत को कानोंकान खबर तक नही हुई.

रणजीत और सुरजीत के बीच प्रेम परवान चढ़ता गया. जब भी जसवंत काम करने बाहर जाता तो सुरजीत फोन कर के रणजीत को अपने घर बुला लेती और फिर उस के साथ खुल कर अय्याशी करती. जसवंत चाहे कितना सीधा था लेकिन वह अपनी पत्नी के चरित्र को जान गया था. यह अलग बात है कि बीवी के सामने कुछ कहने की हिम्मत नहीं कर पाता था. वह स्वयं भी अपने आप पर शर्मिंदा होता रहता था. रणजीत के वक्तबेवक्त उस के घर आने से उस के परिवार वालों के साथ ही मोहल्ले वाले भी परेशान हो चुके थे. कई बार उस के भाई मलकीत ने ही जसवंत से शिकायत की कि वह भाभी को समझाए. इस तरह से गैरमर्द को घर में बुलाना अच्छा नहीं. लेकिन जसवंत में इतनी हिम्मत ही नहीं थी कि वह सुरजीत को कुछ कह पाता.

सुरजीत कौर बनी मां कुछ महीनों बाद सुरजीत ने जसवंत को खुशखबरी देते हुए बताया कि वह मां बनने वाली है. यह सुन कर जसवंत खुशी से पागल हो गया. उसे विश्वास ही नहीं हो पा रहा था कि शादी के इतने साल बाद वह अपने बच्चे का बाप बनेगा. जसवंत ने पहले ही अपनी बहन के बेटे को गोद ले रखा था. यह बात पूरे मोहल्ले में चर्चा का विषय बनी रही कि इतने सालों तक तो उस के कोई औलाद हुई नहीं, फिर सुरजीत कौर अचानक गर्भवती कैसे हो गई. यह बात उस के परिवार वालों के साथसाथ मोहल्ले वाले भी जानते थे कि उस के पेट में पल रहा बच्चा जसवंत का नहीं हो सकता. लेकिन जसवंत खुश था कि उस के घर उस की अपनी औलाद पैदा होने वाली थी.

समय पर सुरजीत ने एक बेटे को जन्म दिया. उस का नाम रखा गया सुखदेव. सुरजीत कौर जानती थी कि सुखदेव में जसवंत का खून नहीं है. वह पहले से ही उसे रणजीत का मान कर चल रही थी. लेकिन जसवंत घर में आई खुशियों से गदगद था. उसे अब समाज के सामने नीचा देखने की जरूरत नहीं थी. घर में नन्हा मेहमान आने से उस के घर के खर्चों में बढ़ोत्तरी हो गई थी. घर के खर्च पूरे करने के लिए जसवंत दिनरात एक कर के पैसा कमाने में जुट गया. सुरजीत कौर ने हकीकत रणजीत को बताते हुए खुशखबरी सुनाई कि सुखदेव जसवंत का नहीं, बल्कि तुम्हारा ही बेटा है. यह बात सुन कर रणजीत भी खुश हुआ.

उस ने अपने बेटे सुखदेव के ठीक प्रकार से लालनपालन करने के लिए सुरजीत कौर को खर्चा भी देना शुरू कर दिया था. अब सुरजीत रणजीत को और भी अधिक प्यार करने लगी थी. हालांकि जसवंत जो भी कमा कर लाता था वह सब सुरजीत के हाथ पर रख देता था. लेकिन सुरजीत को उस सब से खुशी कहां मिलने वाली थी. वह रणजीत को ही प्यार करती थी और उसे ही अपना पति मानने लगी थी. जसवंत के साथ तो उस के केवल अनचाहे रिश्ते रह गए थे, जिसे अब वह बरदाश्त भी नहीं कर पा रही थी.

रणजीत भी काफी समय से यही समझाता आ रहा था कि जब तेरा आदमी तेरे लायक ही नहीं है तो उस के घर में रह कर तू अपनी जिंदगी क्यों बरबाद कर रही है. रणजीत ने सुरजीत से कई बार घर से भाग चलने के लिए भी कहा, लेकिन सुरजीत गलत कदम उठाने को तैयार नहीं थी. उस ने रणजीत से कह दिया था कि जैसे चल रहा है, वैसे ही चलने दो. जसवंत की तरफ से चिंता मत करो, वह तुम्हें कुछ भी नहीं कहेगा इस के बावजूद रणजीत सुरजीत के प्यार में इस कदर पागल हो चुका था कि उसे एक पल के लिए भी अपनी आंखों से ओझल नहीं होने देना चाहता था. वह आए दिन सुरजीत पर साथ चलने के लिए दबाव बनाने लगा था.

सुरजीत ने लिया खौफनाक फैसला सुरजीत रणजीत की जिद के आगे हार मान बैठी और उस ने फिर जिंदगी का आखिरी निर्णय लेते हुए अपनी मांग के सिंदूर को ही मिटाने की योजना बना डाली. सुरजीत ने जसवंत को कई बार मौत के घाट उतारने की योजना बनाई, लेकिन वह हिम्मत नहीं जुटा पाई. फिर उस ने रणजीत से साफ शब्दों में कह दिया कि अपने पति को मौत की नींद सुलाने की हिम्मत नहीं जुटा पाएगी. अब जो भी करना है आप ही करो. दीपावली का त्यौहार आने से कुछ दिन पहले रणजीत ने जसवंत को मौत की नींद सुलाने के लिए एक योजना बनाई. उसी योजना के तहत दोनों ने दीपावली का दिन चुना, ताकि दीपावली के शोरशराबे में वे अपनी योजना को आराम से अंजाम दे सकें. जिस वक्त दोनों ने जसवंत को मौत की नींद सुलाने की योजना बनाई उस वक्त वह पंजाब गया हुआ था.

दीपावली का त्यौहार नजदीक आया तो जसवंत 3 नवंबर, 2020 को अपने घर पहुंचा. घर पहुंच कर वह दीवाली की तैयारी में लग गया था. लेकिन सुरजीत के दिमाग में एक ही शैतान चढ़ा हुआ था कि कब दीपावली आएगी और कब उसे जसवंत से छुटकारा मिलेगा. 13 नवंबर, 2020 को रणजीत ने सुरजीत को अपनी पूर्वनियोजित योजना समझा दी. उसी दिन उस ने अपने 13 वर्षीय भतीजे से जसवंत के नाम एक धमकी भरा पत्र लिखवाया ताकि उस की हत्या के बाद पुलिस उस के हत्यारों के लिए इधरउधर भटकती रहे. पुलिस को गुमराह करने के लिए उस ने अन्य वर्ग की एक टोपी भी खरीद ली थी.

14 नवंबर, 2020 को सुबह से ही जसवंत त्यौहार की तैयारियों में जुटा था. शाम होने पर उस ने घर में पूजापाठ करने के बाद दीए जलाए और फिर बच्चों के साथ आतिशबाजी का मजा भी लिया. जसवंत को शराब पीने की लत थी. उस ने शराब का सेवन किया और फिर खाना खा कर परिवार के साथ सो गया. अपनी पूर्व योजना के अनुसार रणजीत देर रात जसवंत के घर पहुंचा. उस समय तक अधिकांश लोग सो चुके थे. लेकिन पटाखों की आवाज अभी भी गूंज रही थी. सुरजीत ने पहले ही घर की सारी लाइटें बंद कर दी थीं. लोगों की नजरों से छिपतेछिपाते रणजीत जैसेतैसे जसवंत के घर तक पहुंच गया.

खुद ही मिटाया सिंदूर रणजीत को आया देख सुरजीत ने उसे अंदर कमरे में बिठा दिया और फिर जसवंत को देखा. वह खर्राटे मार रहा था. फिर वह सीधे कमरे में गई और दोनों ने अपनी निर्धारित योजना को अंजाम देने के लिए आखिरी खाका तैयार किया. रणजीत पहले ही एक गोली से लोडेड चमंचा ले कर आया था. बाहर चारपाई पर सोते जसवंत को देख रणजीत के अंदर शैतान जाग उठा. जसवंत गहरी नींद में था. उसे सोता देख रणजीत ने उस की कनपटी पर चमंचा रख कर गोली चला दी. कनपटी पर गोली लगते ही उस के प्राणपखेरू उड़ गए. इस के बाद भी रणजीत की हैवानियत खत्म नहीं हुई. उस ने सोचा कि कहीं वह जिंदा न बच जाए, सो उस ने उस के शरीर पर चाकू से कई वार किए. कुछ ही पल में जसवंत का शरीर एक लाश बन कर रह गया.

पति की हत्या कराने के बाद सुरजीत कौर ने रणजीत को वहां से यह कह कर भगा दिया कि आगे का काम वह खुद संभाल लेगी. उस के बाद सुरजीत कौर अपने बच्चों को साथ ले कर दूसरी चारपाई पर लेट गई. सुबह होते ही उस ने नौटंकी करते हुए रोनाधोना शुरू किया, जिसे सुन कर गांव वाले उस के घर पर इकट्ठा हो गए थे. इस केस के खुलते ही पुलिस ने सुरजीत के प्रेमी रणजीत को उस के गांव भोगपुर डैम गुरुद्वारा तीरथनगर पतरामपुर (जसपुर) से गिरफ्तार कर लिया. रणजीत की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल तमंचा, एक खोखा और धमकी भरे पत्र का पन्ना बरामद कर लिया था. पुलिस ने जसवंत के छोटे भाई मलकीत की तहरीर पर भादंवि की धारा 320/120 बी व 25 आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर रणजीत और उस की प्रेमिका सुरजीत कौर को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया.

 

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