कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

3 नवंबर, 2022 को शाम करीब साढ़े 5 बजे मोहन सिंह मकान के बाहर कुरसी पर बैठा किसी से बात कर रहा था तभी काजल घबराई हुई उस के पास आई और रुआंसी आवाज में बोली, ‘‘भाईसाहब, मेरे पति ने फांसी लगा ली है. अभी जान है, चल कर नीचे उतारने में मेरी मदद करें. वह बच जाएंगे.’’

सुनते ही मोहन सिंह पड़ोसी के साथ सीढि़यों की तरफ दौड़ा. पीछेपीछे काजल भी लपकी.

मोहन सिंह ऊपर आया तो उस ने उत्तम को एक चुन्नी के सहारे छत में लगे पंखे से लटकता पाया. उस के शरीर में कोई हलचल नहीं थी.

‘‘यह तो मर गया लगता है.’’ मोहन सिंह घबराई आवाज में बोला.

सुनते ही काजल ने जोरजोर से रोना शुरू कर दिया. उस के रोने की आवाज सुन कर आसपड़ोस के लोग मोहन सिंह के मकान की ओर झांकने लगे. पड़ोस में ही राजेश रहता था. रोने की आवाज सुन कर वह दौड़ता हुआ उत्तम के कमरे में आ गया. उत्तम को फंदे से लटकता देख कर उस के होश गुम हो गए. उस ने चिल्ला कर कहा, ‘‘सरदारजी, इसे नीचे उतरवाइए.’’

‘‘ना...ना, मैं यह काम नहीं करूंगा. मामला पुलिस का बनता है, उसे बुलाना पड़ेगा.’’ मोहन सिंह घबरा कर बोला और तेजी से कमरे से बाहर हो गया.

राजेश ने खुद ही उत्तम की लाश को नीचे उतार लिया और उत्तम की नब्ज टटोलने लगा. उत्तम की नब्ज नहीं चल रही थी. राजेश ने बुझे मन से कहा, ‘‘यह मर चुका है. मैं पुलिस को खबर देता हूं.’’

काजल का रोना तेज हो गया. वह अपने बेटे शुभम को गले से लगा कर जोरजोर से रोने लगी.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 12 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...