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वर्तमान परिवेश में हम ऐसे अव्यवस्थित समय में जी रहे हैं, जहां विश्वास सब से दुर्लभ वस्तु बन गया है. आज के दौर में सच्चा प्रेम और अपनापन किसी से पा लेना एक अधूरे सपने को पूरा कर लेने जैसा ही है. इस सत्य घटना की पात्र अर्चना धीमान ने भी आदेश से सच्चा प्रेम और अपनापन पाने के लिए उस की ओर हाथ बढ़ाया, उस पर विश्वास किया, लेकिन वह ठगी गई.

अर्चना न तो अशिक्षित थी, न कच्ची उम्र की नादान बालिका. वह 25वां बसंत देख चुकी थी. ग्रैजुएट कर चुकी अर्चना ने अपनी आंखों पर नए दौर का ऐसा चश्मा लगा लिया था, जिस से उसे दुनिया चमचमाती और रंगीन दिखाई देती है. बेटी की बढ़ती उम्र को देख कर मांबाप चिंतित थे. अर्चना के पिता देवनाथ धीमान उस के हाथ पीले कर के अपने फर्ज से मुक्ति पा लेना चाहते थे.

न्यूजपेपर में उन्होंने उस के विवाह का विज्ञापन दिया था. रोज 5-7 लडक़ों के फोटो बायोडाटा के साथ उन के पते पर आ रहे थे, लेकिन अर्चना किसी भी लडक़े को अपने जीवनसाथी के रूप में पसंद नहीं कर रही थी. उस दिन भी डाक से 3 लडक़ों के फोटो अर्चना से रिश्ते के लिए आए थे. पतिपत्नी उन्हीं फोटो को देख रहे थे.

“अर्चना के पापा, मुझे यह लडक़ा अर्चना बेटी के लिए पसंद आ रहा है,’’ अर्चना की मां एक फोटो देवनाथ धीमान की तरफ बढ़ाते हुए बोली, ‘‘इस का कोच्चि में पांचसितारा रायल होटल है. 50 आदमी वहां काम करते हैं. लाखों कमाता है, अर्चना रानी बन कर राज करेगी.’’

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