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उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के थाना अहरौला के अंतर्गत एक गांव अशहाकपुर पड़ता है. इसी गांव में केदार प्रजापति अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के छोटे परिवार में पतिपत्नी और 2 बच्चे थे, जिस में एक बेटी थी. उस का नाम आराधना रखा गया था और एक बेटा सुनील था, जो आराधना से छोटा था.

यही केदार प्रजापति का घरसंसार था. वह बेहद निर्धन किसान थे. गांव में झोपड़ी डाल कर परिवार के साथ रहते थे. बेटी आराधना थी तो लड़की लेकिन वह पिता के कंधे से कंधा मिला कर चलती थी.

संस्कार और असीम गुणों की खान आराधना ने पढ़ते हुए सिलाईकढ़ाई की ट्रेनिंग ले ली थी. पढ़ाई और घरगृहस्थी के कामों से फुरसत पाने के बाद वह कपड़ों की सिलाई करती थी. सिलाई से वह अपना और घर का खर्च निकाल लेती थी. बेटी के इन्हीं गुणों से पिता का सीना चौड़ा हुए जा रहा था.

बात 9 नवंबर, 2022 की दिन के 12 बजे के आसपास की है. आराधना के फोन पर एक काल आई थी. काल उस के बचपन की सहेली मंजू यादव ने की थी, ‘‘हैलो..’’ काल रिसीव करते हुए आराधना चहक कर बोली, ‘‘हाय मंजू, तुम कैसी हो? बड़े दिनों बाद मेरी याद आई?’’

‘‘मैं तो तुम्हें फोन कर के याद भी कर लेती हूं,’’ मंजू जवाब देती हुई बोली, ‘‘तुम बताओ, कितनी दफा मुझे याद करती हो या मुझे फोन करती हो?’’

‘‘अरे बाप रे बाप, जरा सा मजाक किया तो इतना गुस्सा?’’

‘‘गुस्सा न करूं तो क्या करूं. बात ही तुम ऐसी करती हो यार कि किसी को भी गुस्सा आ जाए.’’

‘‘सौरी बाबा, सौरी,’’ खिलखिलाती हुई आराधना आगे बोली, ‘‘कान पकड़ती हूं. अब तो गुस्सा थूक दो. अब मैं मजाक के मूड में नहीं हूं.’’

‘‘तो अब साहिबा किस मूड में हैं?’’

‘‘सच्ची बाबा, तेरी कसम. अब मजाक के मूड में नहीं हूं. वह तो तुम्हें छेड़ने के लिए थोड़ी दिल्लगी कर लेती हूं वरना मेरी क्या मजाल जो तुम्हें छेड़ूं?’’

‘‘अगर वाकई सीरियस हो चुकी हो तो कुछ कहूं?’’ मंजू गंभीर हो कर बोली.

‘‘हां, हूं. बोलो, क्या कहना चाहती हो?’’ आराधना ने सवाल किया.

‘‘मैं क्या कह रही थी कि मैं भैरोधाम मंदिर दर्शन करने जा रही थी, सोचा कि तुम से भी पूछ लूं. क्या तुम भी चलोगी?’’

‘‘नेकी और पूछपूछ?’’ आराधना ने चहकते हुए जवाब दिया, ‘‘कब से मेरा मन भैरोधाम घूमने का हो रहा था. साथ में कोई मिल ही नहीं रहा था, इसलिए सोचसोच कर मन मसोस कर रह जा रही थी.’’

‘‘खैर, बाकी बातें हम रास्ते में भी कर लेंगे. तुम फटाफट तैयार हो कर गांव के बाहर पुलिया के पास मिलो, मैं वहीं पहुंच रही हूं, बाय.’’ कहती हुई मंजू ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

आराधना का छोटा भाई सुनील उस समय घर पर ही था. उस ने भाई से मंजू के साथ भैरो मंदिर जाने की बात बता दी. मोबाइल फोन उस ने अपने पास रख लिया और जल्दी घर वापस लौटने की बात कह कर निकल गई थी.

रात के करीब 8 बज गए थे. मंदिर से दर्शन कर आराधना अब तक घर नहीं लौटी थी तो उस के पिता केदार प्रजापति और छोटा भाई सुनील बुरी तरह परेशान हो गए थे. मां इस हालत में नहीं थी कि वह बेटी के बारे में चिंता करे. क्योंकि बीमार होने की वजह से वह तो खुद ही दूसरे के ऊपर आश्रित थी.

रात जैसेजैसे शबाब पर चढ़ रही थी, बूढ़े पिता केदार की चिंता की लकीरें वैसेवैसे बढ़ती जा रही थीं.

मुख्यद्वार पर टकटकी लगाए केदार ने पूरी रात आंखों में काट दी थी. लेकिन न तो बेटी का फोन ही आया और न ही उस के बारे में पता चला कि वह कहां है. बेटी के घर न लौटने से बूढ़े बाप परेशान थे.

केदार ने बेटे सुनील को मंजू के घर भेज कर बेटी के बारे में पता लगाने को कहा तो सुनील कठही में मंजू के घर पहुंच गया. उस ने उस से आराधना के बारे में पूछा तो उस ने बताया, ‘‘हम तो शाम को ही मंदिर से घर लौट आए थे. वह अपने घर लौट गई और मैं अपने घर. क्या हुआ, आप इतने परेशान क्यों हैं?’’

‘‘आराधना अब तक घर नहीं लौटी है,’’ सुनील ने उसे बताया.

यह सुन कर मंजू हैरान होते हुए बोली, ‘‘वो तो मेरे साथ ही लौट आई थी. पता नहीं फिर वो कहां चली गई?’’

इस के बाद सुनील अपने घर लौट आया और पूरी बात पिता को बता दी.

बेटे की बात सुन कर केदार को यह समझते देर न हुई कि बेटी किसी मुसीबत है. केदार बेटे सुनील को ले कर तुरंत थाना अहरौला पहुंच गए और वहां मौजूद एसएचओ योगेंद्र बहादुर सिंह से मिले. उन्होंने अपनी 22 वर्षीय बेटी के रहस्यमय ढंग से गुम होने की बात उन्हें बताई.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि बीते कल दोपहर 12 बजे उस की सहेली मंजू का फोन आया था. उस के साथ भैरोधाम मंदिर जाने को कह कर निकली थी और अब तक घर नहीं लौटी.

यह सुन कर एसएचओ का माथा ठनका. उन्होंने केदार को उचित काररवाई करने का आश्वासन दे कर घर भेज दिया और लिखित तहरीर के आधार पर उस की गुमशुदगी दर्ज कर के आगे की काररवाई में जुट गए.

आराधना को लापता हुए 5 दिन बीत चुके थे. अब तक उस का कहीं पता नहीं चला था. 6ठें दिन यानी 15 नवंबर, 2022 को अहरौला थानाक्षेत्र के पश्चिपट्टी स्थित गौरी का पुरा गांव स्थित सड़क के किनारे कुएं से किसी चीज के सड़ने की जबरदस्त बदबू आ रही थी. आतेजाते लोग अपनी नाक पर रुमाल रख कर गुजरते थे.

हिम्मत जुटा कर ग्रामीणों ने कुएं के भीतर झांक कर देखा तो अंदर का दृश्य देख कर आश्चर्य के मारे आंखें फटी की फटी रह गईं. कुएं के भीतर पानी में कई टुकड़ों में सिरविहीन लाश तैर रही थी.

टुकड़ों में कटी लाश की खबर जंगल में आग की तरह चारों तफ फैल गई थी. गांव वाले दहशत के मारे सन्न थे. चौकीदार राम नयन ने दिल दहला देने वाली घटना की सूचना अहरौला थाने के एसएचओ योगेंद्र बहादुर सिंह को मोबाइल से दी.

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