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लोमहर्षक घटना की सूचना पा कर एसएचओ योगेंद्र बहादुर चौंके बिना नहीं रह सके. उन्होंने आननफानन में टीम तैयार की. थोड़ी देर बाद वह घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए. थोड़ी देर बाद वे घटनास्थल पर अपने दलबल के साथ मौजूद थे. एसएचओ योगेंद्र बहादुर सिंह ने कुएं के भीतर झांक कर देखा तो सचमुच कुएं में लाश के टुकड़े थे.

अभी दिल्ली की श्रद्धा हत्याकांड की तपिश कम भी नहीं हुई थी कि आजमगढ़ में श्रद्धा हत्याकांड जैसी घटना ने प्रदेशवासियों को हिला कर रख दिया था.

बहरहाल, एसएचओ योगेंद्र बहादुर सिंह ने घटना की सूचना एसपी अनुराग आर्य को दे दी और अपनी काररवाई में जुट गए थे. जाल के सहारे कुएं के भीतर से लाश के 5 टुकड़ों को बारीबारी से बाहर निकाला गया. लेकिन उस का सिर नहीं मिला.

लाश किसी युवती की थी, जो पानी में फूल चुकी थी. लाश के बाएं हाथ में रक्षासूत्र व काला धागा, दोनों कलाइयों में कंगन और दोनों हाथों की अंगुलियों में मैरून कलर की नेल पौलिश लगी हुई थी.

कुएं के आसपास पुलिस ने मृतका की सिर की तलाश की लेकिन उस का सिर कहीं नहीं मिला. देखने से ऐसा लगता था कि लाश 4-5 दिन पुरानी होगी.

एसएचओ सिंह को अचानक याद आया कि अशहाकपुर निवासी केदार प्रजापति ने अपनी बेटी आराधना के गुमशुदगी की सूचना दर्ज कराई थी. कहीं ये लाश उस की बेटी आराधना की तो नहीं है. अपनी आशंका को दूर करने के लिए उन्होंने 2 कांस्टेबलों को अशहाकपुर केदार और उस के बेटे सुनील को बुलाने के  लिए भेज दिया.

घंटे भर बाद केदार प्रजापति और उस का बेटा सुनील घटनास्थल मौजूद थे. दोनों बापबेटे ने लाश को गौर से देखा. सिरविहीन लाश देख कर कुछ समझ नहीं पा रहे थे कि लाश किस की हो सकती है.

लेकिन जब उन की नजर शव के बाएं हाथ पर गई तो चौंक गए. उन की बेटी आराधना भी ठीक ऐसे ही अपने बाएं हाथ की कलाई में रक्षासूत्र व काला धागा, कंगन पहनी थी और दोनों हाथों की अंगुलियों में मैरून नेल पौलिश लगाई थी. लाश के साथ भी ऐसी समानता जुड़ी हुई थी.

केदार और सुनील ने कुछकुछ आशंका जाहिर की कि लाश उन की बेटी आराधना की हो सकती है. उस ने भी यही सब पहना था, जब वह घर से निकल रही थी.

केदार और सुनील के आंशिक शिनाख्त के बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए आजमगढ़ जिला अस्पताल भेज दिया.

लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज कर एसएचओ थाने लौट आए और आराधना की गुमशुदगी की सूचना को भादंसं की धाराओं 302, 201, 120बी में तरमीम करते हुए अज्ञात हत्यारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया.

योगेंद्र बहादुर सिंह लगातार हत्यारों की सुरागरसी में जुटे हुए थे. उन्होंने आराधना का मोबाइल नंबर ले कर काल डिटेल्स निकलवाई थी और घटना से 15 दिन पहले तक की बातचीत भी सुनी थी. उन से पता चला कि मृतका आराधना की कठही के रहने वाले प्रिंस यादव के साथ प्रेम संबंध कायम था. प्रिंस यादव आराधना की बचपन की सहेली मंजू यादव का बड़ा भाई था.

कुछ और वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर यह पुख्ता हो गया था कि 5 टुकड़ों में बंटा सिरविहीन शव आराधना प्रजापति का ही था. लेकिन अभी तक उस का कटा सिर बरामद नहीं हुआ था, जिस की तलाश में पुलिस दिनरात यहांवहां भटक रही थी.

खैर, पुलिस प्रिंस यादव की तलाश में सरगरमी से जुट गई थी. उस का फोन सर्विलांस पर लगाया तो वह बंद आ रहा था. इस बात से पुलिस इस निष्कर्ष पर पहुंची थी कि आराधना की हत्या में उस का पूरापूरा हाथ हो सकता है. इसी बीच मुखबिर ने पुलिस को एक ऐसी सूचना दी, जिसे सुन कर वह चौंक पड़े. उस ने बताया कि 9 नवंबर के दिन दोपहर में गांव के बाहर पुलिया पर प्रिंस यादव की बाइक पर आराधना को बैठे कहीं जाते देखा गया था. यही नहीं, उस के साथ उस के मामा का बेटा सर्वेश यादव दूसरी बाइक पर था. वह भी प्रिंस के साथसाथ जा रहा था.

इस के बाद प्रिंस यादव और सर्वेश की खोज में पुलिस ने तेजी कर दी थी. मगर दोनों का कहीं पता नहीं चल पा रहा था.

पुलिस के लिए दोनों एक अबूझ पहेली बन गए थे. उन के हरसंभावित ठिकानों पर दबिश दे कर पुलिस थक चुकी थी लेकिन निराशा ही हाथ लग रही थी. अभियुक्तों को गिरफ्तार न करने पर क्षेत्र के लोगों में पुलिस के प्रति आक्रोश बढ़ रहा था. उन्होंने इस के विरोध में पुलिस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.

पुलिस की मेहनत का ही परिणाम था कि 19 नवंबर, 2022 की शाम 7 बजे के करीब उसी मुखबिर ने एक ऐसी सूचना दी जिसे सुन कर पुलिस की बांछें खिल उठी थीं. सूचना के मुताबिक, मुखबिर ने पुलिस को बताया कि प्रिंस अपने गांव के बाहर स्थित घनी झाडि़यों में छिपा बैठा है.

यह सूचना सुन कर एसएचओ योगेंद्र बहादुर सिंह सतर्क हो गए और आननफानन में एक टीम बनाई, जिस में अपने कुछ विश्वस्त पुलिसकर्मियों को शामिल किया ताकि वे इस मिशन को बेहद गुप्त रखें.

पूरी योजना बनाने के बाद एसएचओ पूरी टीम के साथ जीप से रवाना हो गए. कठही गांव पहुंचने से करीब एक किलोमीटर पहले ही उन्होंने गाड़ी रोक दी. गाड़ी से उतर कर सारे पुलिसकर्मी अलगअलग हो कर पगडंडियों के रास्ते गांव के बाहर स्थित झाडि़यों तक पहुंचे, जहां प्रिंस छिपा हुआ था.

मुखबिर ने इशारे से उस के छिपे स्थान बता कर अंधेरे में कहीं गायब हो गया. पुलिस ने पोजीशन लेते हुए टौर्च की रोशनी में प्रिंस को आत्मसमर्पण करने को कहा.

इतने में झाड़ी से एक फायरिंग पुलिस पर की गई तो पुलिस सतर्क हो गई और फायरिंग की दिशा में लक्ष्य कर एसएचओ ने फायर किया. गोली जा कर प्रिंस के जांघ में लगी और वह झाड़ी में से भागता हुआ बाहर निकल आया.

प्रिंस को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी थी. चूंकि गोली उस की जांघ में लगी थी और तेजी से खून बह रहा था इसलिए पुलिस उसे सरकारी अस्पताल ले गई और कड़ी सुरक्षा में उस का इलाज शुरू किया गया.

प्रिंस यादव खतरे से बाहर था. अगले दिन पुलिस ने उस से अस्पताल में ही पूछताछ की तो उस ने प्रेमिका आराधना की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया था. आगे उस ने यह भी बताया कि इस हत्याकांड में उस के मामा का बेटा सर्वेश भी शामिल था. उस ने यह भी बता दिया कि आराधना का कटा सिर कहां छिपा कर रखा है.

21 नवंबर, 2022 की दोपहर में पुलिस प्रिंस को पुलिस की कड़ी सुरक्षा में वहां ले गई, जहां उस ने सिर छिपाने की बात कही थी. वह गौरा का पुरा यानी शव पाए जाने वाले स्थान से 6 किलोमीटर दूर स्थित एक तालाब के किनारे गीली मिट्टी के भीतर पौलीथिन में लपेट कर गाड़ दिया था. उस की निशानदेही पर पुलिस ने मृतका का सिर बरामद कर लिया.

13 दिनों से रहस्य बने आराधना प्रजापति हत्याकांड से परदा उठ गया था. बेपनाह इश्क करने वाला पागल दीवाने प्रिंस ने नफरत के आवेश में आ कर अपनी मोहब्बत की ऐसी खूनी दास्तान लिख दी कि समूचा प्रदेश हिल गया.

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