कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

जब रचना को पता चला कि घर वालों ने उस की शादी तय कर दी है तो उस ने तुरंत रामेश्वर को फोन किया. प्रेमिका की शादी तय हो जाने की बात सुन कर वह बेचैन हो उठा. वह रचना से शादी तो करना चाहता था, लेकिन उस की मजबूरी यह थी कि अभी वह बेरोजगार था. उस के पास इतना पैसा भी नहीं था कि वह रचना को भगा ले जाता.

इसलिए उस ने मजबूरी जाहिर करते हुए पूछा, ‘‘रचना, तुम्हारी शादी कहां तय हुई है?’’

‘‘जब तुम कुछ कर नहीं सकते तो यह जान कर क्या करोगे?’’ रचना तुनक कर बोली.

‘‘भले ही अभी कुछ नहीं कर पा रहा हूं, लेकिन हमारे हालात हमेशा ऐसे ही थोड़े रहेंगे. जब सब ठीकठाक हो जाएगा, तब तो कुछ कर सकेंगे. इसीलिए पूछ रहा था.’’ रामेश्वर ने रचना को सांत्वना देते हुए कहा.

‘‘राम सिंह चाचा की कोई रिश्तेदारी मडौरा में है, वहीं किसी के यहां तय कराई है.’’ रचना ने जवाब दिया.

‘‘मडौरा में किस के यहां हो रही है? वहां तो मेरा ननिहाल है. कहीं तुम्हारी शादी बिहारी से तो नहीं हो रही है?’’ रामेश्वर ने चहक कर कहा, ‘‘मुझे पता चला है कि बिहारी मामा की शादी तय हो गई है. लेकिन मुझे यह नहीं मालूम कि उन की शादी कहां तय हुई है.’’

‘‘शायद उन्हीं के साथ हो रही है. वह तुम्हारे सगे मामा हैं?’’ रचना ने हैरानी से पूछा.

‘‘हां, बिहारी मेरे सगे मामा हैं. अगर उन के साथ तुम्हारा विवाह हो रहा है तो हम पहले की ही तरह मिलते रहेंगे. उस के बाद जब हमारे हालात सुधर जाएंगे तो हम भाग कर शादी कर लेंगे.’’ रामेश्वर ने कहा.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 12 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...