प्रीति के घरवालों ने मनोज को खूब समझाने की कोशिश की, लेकिन उस की शंका का समाधान नहीं हुआ. धीरेधीरे मनोज ने प्रीति या उस के घर वालों से कोई संपर्क नहीं किया. वह उन का फोन तक नहीं उठाता था. जवान बेटी अपने बच्चे को ले कर मायके में रह रही थी, इस से प्रीति के पिता की समाज में बदनामी हो रही थी.
प्रीति के पिता ने परेशान हो कर कटनी पुलिस थाने में मनोज के खिलाफ दहेज उत्पीडऩ की शिकायत कर दी और रिपोर्ट दर्ज हो गई. मनोज को रिश्तेदारों ने समझाया, “किसी तरह प्रीति से राजीनामा कर लो मनोज, नहीं तो दहेज अधिनियम के तहत तुम्हें जेल में चक्की पीसनी पड़ेगी.”
जेल जाने के डर से मनोज प्रीति को साथ ले जाने के लिए तैयार हो गया. दोनों फिर से भोपाल में साथ रहने लगे थे. मनोज के खिलाफ प्रीति ने जो दहेज उत्पीडऩ का केस लगाया था, प्रीति ने उस में राजीनामा नहीं किया था. मनोज कई बार कह चुका था कि हम साथ रह रहे हैं, सब ठीक है फिर तुम केस वापस क्यों नहीं ले लेती.
इस बीच प्रीति अपने परिवार में रम चुकी थी. उस का तीसरा बच्चा भी हो चुका था. प्रीति अपने प्रेम संबंधों को भुला नहीं पाई थी, उस के घर रामनिवास का आनाजाना फिर से शुरू हो चुका था. इधर रामनिवास की पत्नी शालिनी को भी पति के प्रीति से नाजायज संबंधों की जानकारी हो गई थी. रामनिवास की पत्नी शालिनी के मन में भी शंका पैदा हो गई कि उस के पति और प्रीति के बीच कुछ चल रहा है. इसे ले कर शालिनी का अपने पति से आए दिन झगड़ा होता था.