उन के रिश्ते के मामा राधा उरांव राजनीति के पुराने खिलाड़ी थे. राजनीति का ककहरा अनिल ने उसी मामा से सीखा और किस्मत आजमाने रामविलास पासवान के पास पहुंच गए. उन्होंने आशीर्वाद स्वरूप अपना हाथ अनिल के सिर पर रख दिया और उन्हें आदिवासी प्रकोष्ठ का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया.
खद्दर का सफेद कुरता पायजामा पहन कर अनिल उरांव ताकतवर हो गए थे. यह घटना से 7 साल पहले की बात है.
अमीरों की तरह ठाठबाट थे प्रियंका के अनिल के पास अब पैसों के साथ साथ सत्ता की पावर थी और बड़ेबड़े माननीयों के बीच में उठनाबैठना भी. पहली बार अनिल ने सत्ता के गलियारे का मीठा स्वाद चखा था. माननीयों के सामने जब नौकरशाह सैल्यूट मारते थे, यह देख कर अनिल का दिल बागबाग हो जाता था.
यहीं से प्रियंका उर्फ दुलारी नाम की महिला अनिल उरांव की किस्मत में दुर्भाग्य की कुंडली मार कर बैठ गई थी. तब कोई नहीं जानता था कि यही प्रियंका एक दिन नागिन बन कर अनिल को डस लेगी.
36 वर्षीया प्रियंका हाट थानाक्षेत्र में स्थित केसी नगर कालोनी में दूसरे पति राजा के साथ रहती थी. पहला पति उसे बहुत पहले तलाक दे चुका था. उस के कोई संतान नहीं थी लेकिन दोनों बड़े ठाठबाट से रहते थे, अमीरों की तरह.
कई कमरों वाले उस के शानदार और आलीशान मकान में सुखसुविधाओं की सारी चीजें मौजूद थीं. घर में कमाने वाला सिर्फ उस का पति था. एक आदमी की कमाई में ऐसी शानोशौकत देख कर मोहल्ले वाले दंग रहते थे.
प्रियंका की शानोशौकत देख कर मोहल्ले वालों का दंग रहना जायज था. उस का पति राजा पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजनाथ यादव का एक मामूली सा कार ड्राइवर था. उस की इतनी आमदनी भी नहीं थी कि वह घर खर्च के अलावा नवाबों जैसी जिंदगी जिए. ये ऐशोआराम तो प्रियंका की खूबसूरती की देन थी.