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11 दिसंबर, 2016 की बात है. उत्तर प्रदेश के जिला शिकोहाबाद के थाना मक्खनपुर के 2 कांस्टेबल क्षेत्र में रात्रि गश्त पर निकले थे, तभी उन्होंने मक्खनपुर गांव के ही एक अधबने मकान से जबरदस्त धुआं उठते देखा. वे दोनों उस मकान में घुसे तो प्लास्टिक की बोरियों में आग लगी देखी. उन्होंने इस की सूचना थानाप्रभारी देवेंद्र सिंह और अग्निशमन दल को फोन कर के दे दी.

कुछ ही देर में थानाप्रभारी वहां पहुंच गए. उन्होंने जब गौर किया तो उन्हें इंसान के पैर दिखे जिन में बिछुए थे. वह समझ गए कि यह किसी महिला की लाश है. तब तक अग्निशमन दल की टीम भी वहां आ चुकी थी. टीम ने जब आग बुझाई तो वहां वास्तव में एक महिला की लाश निकली. वह लाश झुलस चुकी थी. फिर भी चेहरा इतना तो बचा था कि उस की शिनाख्त हो सकती थी.

गांव के जो लोग वहां इकट्ठे थे, उन से लाश की शिनाख्त कराई तो इकबाल ने उस की पुष्टि अपनी भाभी नरगिस के रूप में की. उस ने बताया कि भाई महबूब की मौत के बाद यह रशीद के साथ रहती थी. रशीद शिकोहाबाद के रुकुनपुरा का रहने वाला था और शिकोहाबाद शहर में संदूक बनाने का काम करता था. प्रारंभिक पूछताछ में पुलिस को काफी जानकारी मिल चुकी थी, इसलिए पुलिस ने मौके की जरूरी काररवाई पूरी कर के लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

अज्ञात हत्यारे के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने रशीद की तलाश में उस के रुकुनपुरा स्थित घर पर दबिश दी पर वह घर पर नहीं मिला. शिकोहाबाद में जो उस की संदूक की दुकान थी, वह भी बंद मिली. इस से पुलिस को उस पर पूरा शक होने लगा.

रशीद के जो भी ठिकाने थे, पुलिस ने उन सभी जगहों पर उसे तलाशा पर उस का पता नहीं चला. उस ने अपना मोबाइल फोन भी बंद कर रखा था. ऐसे में थानाप्रभारी ने सादे कपड़ों में एक कांस्टेबल को उस के घर पर नजर रखने के लिए लगा दिया.

करीब 15 दिन बाद आखिर एक मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने रशीद को शिकोहाबाद के बसस्टैंड से हिरासत में ले लिया. वह वहां दिल्ली जाने वाली बस का इंतजार कर रहा था. थाने ला कर जब उस से नरगिस की हत्या के सिलसिले में पूछताछ की गई तो उस ने स्वीकार कर लिया कि उस के सामने हालात ऐसे बन गए थे, जिस से उसे उस की हत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ा. इस के बाद उस ने उस की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार निकली—

नरगिस पश्चिम बंगाल के रहने वाले सलीम की बेटी थी. सलीम मेहनतमजदूरी कर के जैसेतैसे परिवार का पालनपोषण कर रहे थे. आज भी ऐसे युवक, जिन की किसी वजह से शादी नहीं हो पाती है, वे पश्चिम बंगाल, बिहार और उड़ीसा जैसे राज्यों का रुख करते हैं. इन राज्यों के कुछ करीब अभिभावक अपनी बेटी के भविष्य को देखते हुए बेटियों का हाथ उन युवकों के हाथ में दे देते हैं. वे बाकायदा सामाजिक रीतिरिवाज से शादी करते हैं. इसी तरह नरगिस की शादी भी उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद के रामगढ़ के रहने वाले महबूब से हुई थी.

महबूब का अपना निजी घर था, जहां वह अपने 5 भाइयों के साथ रहता था. कालांतर में उस के 3 बड़े भाई मुंबई चले गए. घर में वह और उस का छोटा भाई इकबाल ही रह गया था. दोनों भाई मजदूरी कर के अपना घर चला रहे थे. नरगिस के आ जाने से उन्हें समय पर पकीपकाई रोटी मिल जाती थी. समय बीतता गया और नरगिस 4 बच्चों की मां बन गई.

नरगिस पति के साथ खुश थी. मांबाप के घर गरीबी के अलावा कुछ नहीं था पर यहां पति और देवर अपनी कमाई ला कर उस के हाथ पर रखते तो वह खुश हो जाती. उस ने भी अपनी जिम्मेदारी से घरगृहस्थी को अच्छे से संभाल लिया था.

महबूब मजदूरी कर के जब घर लौटता तो वह थकामांदा होता था. लेकिन पिछले कुछ दिनों से उस की तबीयत खराब रहने लगी थी. वह शारीरिक रूप से भी कमजोर हो गया था. उसे सांस फूलने की शिकायत हो गई थी. इस की वजह से उस का काम पर जाना भी मुश्किल हो गया था. फिर एक दिन ऐसा आया कि उस ने खाट पकड़ ली. इस के बाद वह फिर उठ नहीं सका.

पति के बीमार होने के बाद नरगिस परेशान रहने लगी. देवर जो कमा कर लाता, उस से घर का खर्च ही चल पाता था. पैसे के अभाव में वह पति का इलाज तक नहीं करा पा रही थी. फिर मजबूरी में उस ने चूड़ी के कारखाने में काम करना शुरू कर दिया. धीरेधीरे गृहस्थी की गाड़ी फिर पटरी पर आ गई पर महबूब को बीमारी ने बुरी तरह जकड़ लिया और इलाज के अभाव में एक दिन उस की मौत हो गई.

पति का साया सिर से उठने के बाद नरगिस बुरी तरह टूट गई और बुरे दिनों में देवर इकबाल ने भी उस का साथ छोड़ दिया. नरगिस को बच्चों की चिंता खाए जा रही थी. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. इसी बीच एक दिन उस की मुलाकात रशीद नाम के एक आदमी से हुई. रशीद रुकुनपुरा थाना शिकोहाबाद का रहने वाला था और मक्खनपुर में संदूक बनाने का काम करता था.

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