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उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले का एक बड़ी आबादी वाला कस्बा है भोगांव. इसी भोगांव कस्बे के भीमनगर मोहल्ले में मोहरपाल सिंह सपरिवार रहते थे. उन के परिवार में पत्नी विमला के अलावा 2 बेटे नीरज, सूरज तथा एक बेटी दिव्या उर्फ अंजलि थी. मोहरपाल सिंह गल्ले का व्यापार करते थे. उसी व्यापार से वह परिवार का भरणपोषण करते थे. वह एक इज्जतदार व्यक्ति थे. उन की आर्थिक स्थिति मजबूत थी.

मोहरपाल सिंह तीनों बच्चों में दिव्या उर्फ अंजलि सब से छोटी थी. दिव्या गोरी, तीखे नाकनक्श और बड़ीबड़ी आंखों वाली खूबसूरत लड़की थी. जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही उस की शोखियां एवं चंचलता और बढ़ गई थी. उस ने नैशनल पोस्ट ग्रैजुएट कालेज से बीए की डिग्री हासिल कर ली थी. वह सरकारी नौकरी पाना चाहती थी. इस के लिए उस ने तैयारी भी शुरू कर दी थी.

लेकिन एक ग्रामीण कहावत है कि जब बेटी हुई सयानी, फिर पेटे नहीं समानी. मोहरपाल सिंह और उन की पत्नी विमला को भी जवान बेटी दिव्या उर्फ अंजलि की शादी की चिंता सताने लगी थी. वह उस के लिए घरवर ढूंढने लगे थे. कुछ समय बाद एक खास रिश्तेदार के माध्यम से उन्हें एक लड़का देशदीपक पसंद आ गया.

देशदीपक के पिता प्रमोद कुमार, फिरोजाबाद जिले के गांव दयापुर में रहते थे. उन के परिवार में पत्नी शिवाला देवी के अलावा 2 बेटे देशराज व देशदीपक थे. वह बड़े काश्तकार थे.

बड़े बेटे देशराज की मौत हो चुकी थी. छोटा बेटा देशदीपक अभी कुंवारा था. वह बड़ा ही होनहार था. वर्ष 2018 में वह उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही पद पर भरती हुआ था. हाथरस में प्रशिक्षण पाने के बाद 28 जनवरी, 2019 को उस की पहली तैनाती कानपुर के बिल्हौर थाने में हुई थी.

चूंकि प्रमोद कुमार की आर्थिक स्थिति मजबूत थी और उन का बेटा सरकारी मुलाजिम भी था. इसलिए मोहरपाल सिंह ने देशदीपक को अपनी बेटी दिव्या के लिए पसंद कर लिया. दिव्या और देशदीपक ने भी एकदूसरे को देख कर अपनी सहमति जता दी. उस के बाद 22 अप्रैल, 2022 को दिव्या उर्फ अंजलि का विवाह देशदीपक के साथ धूमधाम से हो गया.

नईनवेली दुलहन बन कर अंजलि ससुराल पहुंची तो खुशियां पैर में घुंघरू बांध कर छमछम कर नाचने लगीं. अंजलि हृष्टपुष्ट स्मार्ट पति पा कर जहां खुश थी, वहीं देशदीपक भी खूबसूरत बीवी पा कर अपने भाग्य पर इतरा उठा था. शिवाला देवी व प्रमोद कुमार भी सभ्य, सुशील व पढ़ीलिखी बहू पा कर खुश थे.

ग्रामीण परिवेश में नईनवेली दुलहन को मर्यादाओं में रहना पड़ता है. जैसे बड़ों के सामने घूंघट डाल कर जाना. नजरें झुका कर धीमी आवाज में बातें करना. झुक कर पैर छूना तथा पति से सब के सामने न बतियाना आदि. अंजलि भी इन मर्यादाओं का पालन करती थी. रात में तो वह अपने कमरे में पति से खुल कर बतियाती थी, लेकिन दिन में उसे सावधानी बरतनी पड़ती थी.

लगभग एक महीने तक अंजलि अपने पति देशदीपक के साथ खूब मौजमस्ती से रही, लेकिन उस के बाद पति की छुट्टियां खत्म हुईं तो वह वापस चला गया. तब अंजलि का दिन तो कामकाज में कट जाता था, लेकिन रात काटे नहीं कटती थी. हालांकि वह दिनरात में कई बार मोबाइल फोन पर पति से बात करती थी और पूछती थी, ‘तुम कहां हो? खाना खाया कि नहीं? अपने कमरे पर हो या ड्यूटी पर?’ पति रूम पर होता तो वह वीडियो कालिंग कर उस से घंटों बतियाती और रस भरी बातें करती.

देशदीपक बिल्हौर थाने से 500 मीटर की दूरी पर ब्रह्मनगर मोहल्ले में रेस्टोरेंट संचालक रमेशचंद्र प्रजापति के मकान में किराए पर रहता था. वह अपनी नईनवेली पत्नी से बहुत प्यार करता था. वह जब रूम पर होता तो वीडियो कालिंग कर उस से खूब बतियाता था.

बातचीत के दौरान अंजलि भावुक होती तो वह कहता, ‘‘अरे पगली, तू रोती क्यों है. जैसे ही छुट्टी मिलेगी, मैं तेरे पास आ जाऊंगा. तू परेशान मत हो.’’

हर रोज की तरह पहली जून, 2022 को भी अंजलि ने दोपहर साढ़े 12 बजे पति से फोन पर बात की और पूछा कि खाना अभी खाया या नहीं. इस पर उस ने जवाब दिया कि वह खाना खाने होटल पर जा रहा है. पति से बातचीत करने के बाद अंजलि घरेलू काम में व्यस्त हो गई.

शाम 3 बजे जब अंजलि आराम करने कमरे में पहुंची तो उस ने फिर से पति को काल लगाई लेकिन इस बार देशदीपक ने काल रिसीव नहीं की. कुछ देर बाद अंजलि ने फिर काल की तो फोन बंद होने का संदेश मिला. अंजलि ने सोचा कि शायद वह खाना खा कर सो गए होंगे और फोन स्विच औफ कर लिया होगा.

पलंग पर लेटी अंजलि कुछ देर करवटें बदलती रही. लेकिन जब उसे सुकून नहीं मिला तो उस ने फिर से मोबाइल फोन पर पति से संपर्क करने का प्रयास किया. पर वह असफल रही. पति का मोबाइल फोन इस बार भी बंद मिला.

अंजलि समझदार भी थी और धैर्यवान भी. लेकिन जब उस का धैर्य जवाब दे गया तो वह अपनी सास के कमरे में जा पहुंची और बोली, ‘‘मम्मी, मैं उन को कई बार काल कर चुकी हूं, लेकिन उन का फोन बंद है. मेरा तो जी घबरा रहा है.’’

सास शिवाला देवी बहू के सिर पर हाथ रख कर बोलीं, ‘‘धैर्य रखो बहू. पुलिस की नौकरी है. कहीं व्यस्त होगा. फोन बंद कर लिया होगा. तुम अच्छा सोचो. बुरे खयाल मन में मत लाओ.’’

शिवाला देवी ने बहू को धैर्य तो बंधा दिया था, लेकिन वह स्वयं भी घबरा गई थीं. शाम 5 बजे जब पति प्रमोद कुमार घर आए तो उन्होंने सारी बात उन्हें बताई. इस पर प्रमोद कुमार ने तुरंत बेटे को काल लगाई. लेकिन उस का फोन बंद था. अंजलि भी काल पर काल कर रही थी. पर सफलता नहीं मिल रही थी.

अब तो ज्योंज्यों समय बीतता जा रहा था, त्योंत्यों घर के लोगों की धड़कनें बढ़ती जा रही थीं. रात 12 बजे तक प्रमोद कुमार 25-30 बार काल कर चुके थे. लेकिन हर बार एक ही संदेश मिल रहा था कि आप जिस नंबर से संपर्क करना चाहते हैं, वह स्विच्ड औफ या बंद है या फिर नेटवर्क एरिया से बाहर है.

प्रमोद कुमार के एक रिश्तेदार नीरज बाबू थे. वह बिल्हौर थाने में एसआई पद पर तैनात थे. सुबह 4 बजे उन्होंने नीरज बाबू के मोबाइल नंबर पर काल की. प्रमोद कुमार ने भर्राई आवाज में कहा, ‘‘नीरज बाबू, कल दोपहर बाद से देशदीपक से उस के मोबाइल फोन पर बात नहीं हो पा रही है. उस का फोन बंद है. आप पता करो कि वह कमरे पर है या नहीं. हम सब को घबराहट हो रही है.’’

‘‘आप चिंता न करें. हम अभी कमरे पर जा कर उस का पता लगाते हैं,’’ नीरज बाबू ने कहा.

2 जून, 2022 की सुबह 5 बजे एसआई नीरज बाबू एक सिपाही के साथ ब्रह्मनगर स्थित देशदीपक के रूम पर पहुंचे तो उस के कमरे के बाहर ताला लटक रहा था और अंदर कमरे में पंखा चलने की आवाज सुनाई दे रही थी. सिपाही रामवीर ने खिड़की से झांक कर देखा तो उस के मुंह से चीख निकल गई.

चारपाई पर सिपाही देशदीपक का खून से तरबतर शव पड़ा था. नीरज बाबू ने तत्काल सिपाही देशदीपक की हत्या की खबर उस के पिता प्रमोद कुमार तथा पुलिस महकमे को दी.

सिपाही देशदीपक की हत्या की खबर से पुलिस महकमे में सनसनी फैल गई. सूचना पाते ही बिल्हौर के थानाप्रभारी अरविंद कुमार सिंह तथा एसएसआई आलोक तिवारी पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पहुंच गए. उन के पहुंचने के कुछ देर बाद ही एसपी (आउटर) तेजस्वरूप सिंह, डीएसपी राजेश कुमार तथा एडीजी (कानपुर जोन) भानु भास्कर भी आ गए.

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