Love Story : 20 साल की सायरा गांव के ही 20 वर्षीय मोहम्मद रफी उर्फ आरिफ को दिल दे चुकी थी. उन की मोहब्बत अमरबेल की तरह बढ़ रही थी. यह बात मोहम्मद रफी ने फोन कर के प्रेमिका की अम्मी को भी बता दी थी. इसी दौरान ऐसा क्या हुआ कि दिलोजान से सायरा को चाहने वाला मोहम्मद रफी उस की जान का दुश्मन बन गया? उस ने पेचकस से गोद कर प्रेमिका का बदन छलनी कर दिया. पढ़ें, यह सनसनीखेज लव क्राइम स्टोरी.

आधी रात बीत चुकी थी. नींद आंखों से कोसों दूर थी. दर्द से जिस्म के कई अंग बुरी तरह से दुख रहे थे. 20 वर्षीय मोहम्मद रफी उर्फ आरिफ किसी तरह से तकलीफ बरदाश्त कर रहा था. दवा खाने के बाद थोड़ा आराम हुआ तो कई तरह के खयाल दिमाग में घूमने लगे कि सायरा ने ऐसा कदम क्यों उठाया? वह तो मेरी प्रेमिका थी. उस ने तो हमेशा की तरह मुझे बड़े प्यार से फोन कर के बुलाया था.

मैं उस के घर के करीब पहुंच भी नहीं पाया था कि मुझे 4-5 युवकों ने डंडों से पीटना शुरू कर दिया. इतना पीटा कि मैं बेबस हो कर जमीन पर गिर गया. इतने में आसपास के लोग आए और मुझे उन के चंगुल से बचाया. आखिर मेरी खता क्या थी? मेरा प्यार तो एकतरफा नहीं था. वो भी मेरे पहलू में इस तरह चिपकी रहती, मानो जिंदगी भर ऐसे ही टूट कर मुझे चाहती रहेगी.

मिलन का हर पल मोहब्बत से भरा था. हर वक्त जिंदगी भर साथ निभाने की कसम खाई थी. फिर ऐसा क्यों हुआ? क्या अब उस की जिंदगी में कोई और आ गया है? मुझ से उस का मोह भंग हो गया है? क्या वह मेरे साथ बेवफाई कर रही है? उसे मुझ से मोहब्बत थी या मोहब्बत का वह नाटक करती थी? ऐसे खयालों का बहुत रात तक मोहम्मद रफी के मनमस्तिष्क में मेला लगा रहा. न जाने कब नींद आ गई.

सुबह आंखें खुलीं तो सूरज अपना साम्राज्य स्थापित कर चुका था. दोपहर होने को थी. करीब 11 बज चुके थे. सुबह उठ कर दिनचर्या से निपटने के बाद मोहम्मद रफी फिर सोच में डूब गया. उस ने अंदाजा लगाया कि यह काम सायरा के गांव के ही किसी नए आशिक का है, जिसे अब सायरा जीजान से चाहने लगी है. मुझे क्या करना चाहिए? बेवफाई का कुछ तो सिला सायरा को मिलना चाहिए. मैं ने तो उस से सच्ची मोहब्बत की थी. ऐसी हालत में मैं अब जिंदा रह कर क्या करूंगा.

तभी उस की मर्दानगी ने उसे झिंझोड़ा. कहा, ‘मर्द का काम मायूस होना नहीं है. अपनी जिंदगी तबाह कर के कुछ भी हासिल नहीं होगा. इस के लिए तो उस की जिंदगी खत्म करनी चाहिए, जो मेरी मोहब्बत को तबाह करने का जिम्मेदार है.’

फिर खयाल आया कि उस के नए आशिक को अगर मौत के घाट उतार भी दूं तो अब वह फिर भी मेरी नहीं होगी. अब तो एक ही रास्ता है कि सायरा को ही इस दुनिया से विदा किया जाए. यह आखिरी खयाल मोहम्मद रफी के दिल में घर कर गया और उस ने इरादा कर लिया कि वह अब सायरा को ठिकाने लगा कर ही दम लेगा.

उत्तर प्रदेश के जिला मुरादाबाद क्षेत्र में स्थित है थाना मैनाठेर. यह थाना मुरादाबाद से संभल जाने वाले मार्ग पर स्थित है. इस थाने से करीब आधा किलोमीटर की दूरी पर है गांव मिलक मैनाठेर. यहां आले हसन नाम के एक व्यक्ति का परिवार रहता था. आले हसन की मौत करीब 4 साल पहले हो चुकी है. उन की पत्नी सफीना अपने बच्चों के साथ मेहनतमजदूरी कर के गुजरबसर करती थी. इन के 6 बच्चे थे, जिस में 2 बेटे व 4 बेटियां थीं.

सब से बड़ी बेटी रेशमा और गुलशन  व गुलिस्ता हैं. तीनों का विवाह हो चुका है. बड़ा बेटा बबलू है, जो केरल में हेयर कटिंग का काम करता है. छोटा भाई जीशान है. वह गांव में ही रहता है. बड़े भाई की शादी हो चुकी है. पत्नी का नाम नाजरीन है. पांचवें नंबर की बेटी सायरा करीब 20 साल की थी.

खूबसूरती की मिसाल थी सायरा

सायरा जवानी के अखाड़े में उतर चुकी थी. उस की खूबसूरती और पर्सनैलिटी के चर्चे उस के सभी रिश्तेदारों में होने लगे. कई परिवार चाहते थे कि सायरा उन के घर की बहू बने. गांव में भी सायरा के दीवानों की कमी नहीं थी. उसे जो भी एक नजर देख लेता, वह देखता ही रह जाता था. उस के गाल पर एक छोटा सा तिल उस की सुंदरता को अनूठा आकर्षण प्रदान करता था. उस की गहरी काजल लगी आंखें एक रहस्यभरी चमक से भरी थीं, जो किसी को भी अपनी ओर खींच लेने के लिए काफी थीं. उस की आंखों की गहराई में डूब कर कोई भी खुद को भूल सकता था.

गुलाबी होंठों पर हमेशा एक हलकी मुसकान खेलती रहती, जो उसे और भी मोहक बना देती. उस की गरदन की सुडौल बनावट और उस पर झूलती आर्टिफिशल ज्वैलरी की पतली चेन उस की खूबसूरती को और निखार देती. जब वह धीमे कदमों से सिर पर चारे की गठरी या टोकरी को दोनों हाथों को ऊपर कर के पकड़ कर चलती, उस की चाल में एक अनजाना आकर्षण छलकता, मानो हर कदम पर किसी संगीत की ताल बज रही हो. उस की त्वचा दमकती हुई थी, जैसे चांदनी की हलकी परछाई किसी शांत झील पर पड़ रही हो. जिस्म से चिपका मामूली सा सस्ते दामों वाला कसा हुआ सलवारकुरता उस के सुडौल शरीर की ख़ूबसूरती को और उभारता.

उस की कमर की कोमल लचक, किसी वसंत की डाली की तरह थी, जो हलकी हवा में मचल उठे. उस की आवाज में एक मदहोश कर देने वाली कोमलता थी, जो दिल में उतर जाती. उस की हंसी में एक अनोखी खनक थी, जो कानों में मिश्री घोल देती थी. उस के चेहरे पर हर समय एक आत्मविश्वास की झलक थी, जो उसे और भी दिलकश बनाती थी. वह खूबसूरत ही नहीं, बल्कि अपने हावभाव से और भी मोहक लगती थी. उस की हर अदा में एक कशिश थी, जो किसी को भी उस की ओर खींचने के लिए काफी थी.

उस की हंसी, उस की मासूमियत और उस की अदा, तीनों मिल कर उसे एक ऐसी जादूगरनी बना देतीं, जिस से बच पाना किसी के लिए भी आसान नहीं था. कह सकते हैं कि गुदड़ी में छिपा एक लाल थी. क्योंकि वह एक गांव में रहती थी. गरीब परिवार था, फिर भी बिरादरी से कई लोग रिश्ते के लिए डिमांड कर चुके थे. शादी के लिए पर्याप्त धन न होने के कारण उस के फेमिली वालों ने कोई रिश्ता स्वीकार नहीं किया था. वह नाई बिरादरी से थी. इस बिरादरी का ग्रामीण क्षेत्र में पिछड़ापन अभी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है. मुरादाबाद जिले में नाई बिरादरी के लोगों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति मैं अभी आशातीत सुधार नहीं हुआ है. इस बिरादरी की खूबी यह है कि हर गांव में इन के 1-2 परिवार जरूर होते हैं.

नाई एक पारंपरिक सेवा जाति है, जीवन के तमाम सामाजिक, धार्मिक अवसरों जन्म, विवाह आदि सभी तरह के संस्कारों  में इन की भूमिका रहती थी. परंपरागत पेशा बाल काटना, दाढ़ीमूंछ संवारना, नाखून कटाई आदि सेवाएं भी इन के द्वारा दी जाती रही हैं. इस के बदले गांव के किसान इन्हें पालनपोषण के लिए पर्याप्त पैसे और फसल में अनाज दिया करते थे. अब स्थिति बदल चुकी है. लोगों को हेयर कटिंग की दुकान खोल कर उसी पर निर्भर रहना पड़ता है.

ग्रामीण क्षेत्र में अब इस पेशे का स्कोप नहीं है. गांव में रहने वाले इस बिरादरी के लोग अपने परिवार की गुजरबसर करने के लिए दूसरे प्रदेशों और बड़े महानगरों में जा कर नौकरी करते हैं. कुछ नाई आर्थिक रूप से मजबूत हैं, जबकि कुछ अभी भी गरीबी में जीवनयापन कर रहे हैं. सामाजिक रूप से वे सम्मान और प्रतिष्ठा भी अभी उन्हें हासिल नहीं हुई है.

कुछ क्षेत्रों में अभी भी भेदभाव का सामना करना पड़ता है. आधुनिक सैलून एवं ब्रांडेड सेवाओं के कारण यह पेशा दबता जा रहा है. अधिकांश परिवार अब भी छोटे फुटपाथ,पैंठ बाजार में सैलून या घरों पर कुरसीआईना जैसी अनौपचारिक व्यवस्थाओं में काम करते हैं. आधुनिक सैलून संचालित पूंजीपतियों के दबाव से उन्हें औपचारिक रोजगार में भी न्यूनतम मजदूरी पर काम करना पड़ता है.

खेत में मिला सायरा का शव

मुरादाबाद जिले के मैनाठेर थाना क्षेत्र के गांव मिलक मैनाठेर के रहने वाले आले हसन की 20 साल की बेटी सायरा 31 मई, 2025 की शाम को बकरियों को चारा लेने के लिए खेतों की तरफ गई थी. शाम से रात होने का वक्त आ गया, लेकिन सायरा घर नहीं लौटी तो घर वालों को चिंता होने लगी. मां तो मां ही होती है. पड़ोस की एक उस की चाची भी उस के पीछेपीछे घास काटने गई थी. वह वापस आ गईं. सायरा की अम्मी सफीना ने चाची के घर जा कर पता किया. उन्होंने बताया कि मैं तो उस तरफ ही भिंडी के खेत में चली गई थी. सायरा आगे निकल गई थी. उस के बाद मुझे पता नहीं.

सफीना फिर जंगल की तरफ गई. खेतों के पास मेड़ पर जा कर आवाज देती रही, ‘सायरा.. सायरा…सायरा…’ सायरा जिंदा होती तब बोलती भी. फेमिली वाले खुद ही सायरा को ढूंढते रहे. काफी रात बीतने के बाद भी पुलिस को इस बारे में कोई सूचना नहीं दी. बेइज्जती के डर से उन्होंने पुलिस को कुछ भी नहीं बताया और खुद ही पूरे परिवार के लोग मिल कर सायरा को खोजने लगे.

अपने रिश्तेदारों और गांव के लोगों को भी इन लोगों ने कुछ नहीं बताया. उन का मानना था कि इस से पूरे गांव में बदनामी हो जाएगी, फिर लड़की की शादी में दिक्कत आएगी. रात भर खोजने के बाद भी सायरा का कोई सुराग नहीं मिला. इस के बाद भी फेमिली वालों ने सुबह तक भी इस बात की जानकारी पुलिस को नहीं दी. पहली जून, 2025 सुबह फिर सफीना बेटी को ढूंढने जंगल में गई. करीब 11 बजे सफीना उसे घर के आसपास से खोजती हुई दूर तक खेतों में तलाश कर रही थी. खोजते हुए वह नरोदा रोड पर स्थित मंदिर के पास जब्बार के मक्का के खेत में पहुंची.

खेत में उसे अपनी बेटी सायरा की खून से लथपथ लाश पड़ी दिखी. कपड़े पूरी तरह से खून से भीगे हुए थे, जिसे देख कर सफीना के होश उड़ गए और वह चीखते हुए गांव की तरफ भागी. सफीना की चीख सुन कर गांव में हड़कंप मच गया. गांव के लोगों ने उस से पूछा तो सफीना ने बताया कि उस की बेटी की लाश जब्बार के मक्के के खेत में पड़ी हुई है. बुरी तरीके से उसे किसी धारदार हथियार से गोदा गया है. मतलब कई जगहों पर घाव के निशान हैं. सायरा के फेमिली वाले घटनास्थल पर पहुंच गए. उन का रोरो कर बुरा हाल था. मां तो कई बार रोतीरोती बेहोश हो जाती.

गांव के लोगों से इस परिवार का रोनाबिलखना देखा नहीं जा रहा था. देखते ही देखते जंगल की आग की तरह सायरा की लाश मिलने की खबर पूरे गांव में फैल गई. घटनास्थल पर गांव का मजमा जमा हो गया. उसी दौरान किसी ने इस बात की सूचना थाना मैनाठेर पुलिस को दे दी. जवान लड़की की हत्या की खबर मिलते ही पुलिस महकमे में भी हड़कंप मच गया. तुरंत पुलिस की टीम और तमाम बड़े अफसर इस मामले की जांच के लिए घटनास्थल पर पहुंच गए. सूचना मिलने तत्काल ही एसएसपी सतपाल अंतिल और एसपी (देहात) कुंवर आकाश सिंह भी मौके पर पहुंचे.

घटनास्थल पर भारी भीड़ एकत्र हो गई थी. पुलिस ने घटनास्थल से भीड़ को थोड़ा दूर किया, फिर भी दूर खड़े हो कर भारी संख्या में महिलाएं और पुरुष पुलिस की काररवाई का नजारा करते रहे. फोरैंसिक टीम ने घटनास्थल की फोटोग्राफी के साथ साक्ष्य एकत्र किए फुटेज तैयार की. लाश देख कर पुलिसकर्मियों की भी रूह कांप गई. युवती के चेहरे एवं उस के प्राइवेट पाट्र्स पर चोटें थीं. इस में 30 से ज्यादा वार सायरा पर किए गए. मौके की काररवाई पूरी कर पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए शव को जिला मुख्यालय भेज दिया.

आंखों के रास्ते दिल में ऐसे उतरी सायरा

गांव मिलक मैनाठेर में ही करीब 20 साल का एक युवक मोहम्मद रफी उर्फ आरिफ भी रहता था. इस का मकान सायरा के मकान से थोड़ी ही दूरी पर स्थित था. गांव में ही इस की मुरगा मीट की दुकान थी. परिवार की कोई खास जिम्मेदारी रफी पर नहीं थी. उस का रंग गेहुआं था, न तो बहुत सांवला, न उजला. बल्कि खेतों की पकी हुई मिट्टी जैसा, जिस में परिश्रम और धूप की तपिश रचीबसी हो. शरीर दुबलापतला, मगर मजबूत था.

छाती चौड़ी नहीं, मगर मेहनत से उभरी हुई पसलियां उस की साधना का प्रमाण देती थीं. कंधे तीखे और हड्डीदार, जैसे किसी नए पेड़ की शाखाएं, जो अभी पूरी तरह से मजबूत नहीं हुईं, लेकिन उन में जीवन की जिद ठहर गई हो. उस के हाथ लंबे और पतले थे, हथेलियों की रेखाएं गहरी और खुरदरी थीं. चेहरे पर कभीकभी एक महीन दाढ़ी की परछाईं उतर आई थी, जो उस की जवानी का मूक परिचय थी.

आंखें गहरी और नीची पलकों में शराफत दिखाई देती. उस की चालढाल सीधीसादी थी, मगर उस में एक गैरजाहिर आत्मविश्वास था. जैसे वह न तो दुनिया को रिझाने आया हो, न डराने, बस अपना काम करना जानता हो और उसी में संतोष ढूंढता हो. वह युवक किसी वीर या राजकुमार जैसा नहीं दिखता था, लेकिन मुरगों की गरदन काटतेकाटते उस का दिल सख्त हो गया था.

जवान होने की वजह से अपनी कमाई से अपने शरीर पर काफी खर्च करता. फिल्मों के हीरो की तरह कपड़ों का शौकीन था. बालों की कटिंग भी उस की निराली थी. कोई भी लड़की उसे अपने सपनों का राजकुमार कुबूल कर सकती थी. बात करीब 2 साल पहले की है. सायरा का बकरी का बच्चा (मेमना) घर से बाहर निकल कर उछलकूद करने लगा. सायरा बकरी के बच्चे को पकडऩे घर से निकली. बकरी के बच्चे ने दौड़ लगा दी. सायरा उस के पीछेपीछे दौड़ी. कई लोगों से उस ने कहा कि बकरी के बच्चे को पकड़ लो. किसी ने अनसुना कर दिया, किसी ने पकडऩे की कोशिश की, मगर वह उस के के हाथ न आया.

भागतेभागते बकरी का बच्चा एक घर में घुस गया. आननफानन में बच्चे का पीछा कर रही सायरा जैसे ही उस घर में घुसी, उस घर के दरवाजे से बाहर निकल रहे एक युवक से उस की टक्कर हो गई. सायरा को गिरने से रोकने के लिए दोनों हाथों से उस युवक ने उसे पकड़ लिया. बदहवास सायरा उस की बाहों में समा गई. अपने आप पर काबू करते हुए जब युवक ने सायरा को देखा तो देखता ही रह गया. इतनी हसीन लड़की अपने आप ही उस की बाहों में आ गई. उस की पकड़ से छूटने के बाद सायरा भी युवक को देखती रही और आंखों के रास्ते से सायरा युवक के दिल में उतर गई. दोनों ने अपनीअपनी गलती मानते हुए एकदूसरे को पछतावे भरी नजरों से देखा.

सायरा मुसकराई तो वह युवक भी मुसकरा दिया. सायरा ने शरमाते हुए अपने दुपट्टे को संभाला तथा झपट कर बकरी का बच्चा पकड़ा और उसे ले कर अपने घर आ गई. यह युवक और कोई नहीं मोहम्मद रफी उर्फ आरिफ ही था. दिन तो किसी तरह कट गया. हालांकि दुकान पर ग्राहक ज्यादा नहीं आए. बीचबीच में सायरा का चेहरा उस की निगाहों में आता, फिर कोई ग्राहक आ जाता तो खयाल टूट जाता. रात को जब आराम के लिए बिस्तर पर लेटा. फुरसत के क्षणों में सायरा की तसवीर ही उस की आंखों में घूमने लगी. वह उस के खयालों में डूब गया. उस ने खुद से सवाल किया, यह तो बबलू की बहन है. मेरी जाति बिरादरी की भी नहीं है. क्या यह मुझे पसंद करेगी? फिर खुद ही चुप हो गया.

हर बार उस की आंखों में वही चेहरा लौट आता. हसीन सायरा के बारे में जाने क्याक्या सोचतेसोचते उसे नींद आ गई. मोहम्मद रफी ने अपने दोस्तों से बबलू की बहन के बारे में कुछ प्रारंभिक जानकारियां जुटाईं. मुरगा मीट की दुकान सुबह 10 बजे के बाद ही खोली जाती थी. सुबहसुबह कोई ग्राहक नहीं आता. मोहम्मद रफी ने सायरा की एक झलक पाने के लिए उस की गली के चक्कर काटने शुरू कर दिए. अब रोज उसी रास्ते से जाता, धीरेधीरे चलता, उस मोड़ पर कुछ ज्यादा ही ठहरता. कई दिनों तक उस की मुलाकात या उस का सामना सायरा से नहीं हुआ. वह टाइम बदलबदल कर जाने लगा. एक दिन उस की मुराद पूरी हो गई.

सायरा दरांती और बोरा ले कर घर से निकल ही रही थी, सामने रफी को देख कर एकदम चौंक गई. दरांती उस के हाथ से नीचे गिर गई. उस का चेहरा लाल पड़ गया. मुसकराती और शरमाती हुई वह एकदम पीछे हटी. दरवाजा बंद कर के घर में चली गई. रफी का दिल भी तेजतेज धड़कने लगा. उस ने किसी तरह अपने पर काबू किया. इधरउधर नजर दौड़ाई, किसी ने देखा तो नहीं है. फिर लौट कर घर आ गया. उसे महसूस हुआ कि आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई है.

आखिरकार रफी एक दिन जंगल में चारा काट रही सायरा के पास पहुंच गया. सायरा भी रफी को देख कर खड़ी हो गई. रफी ने हिम्मत कर के लडख़ड़ाती जुबान से कहा, ”मैं तुम से प्यार करता हूं. मुझे अपना मोबाइल नंबर दे दो.’’

यह कह कर रफी ने अपनी जेब से मोबाइल निकाला. सायरा ने नंबर बताया और रफी यह कह कर चल दिया कि बाकी बातें फोन पर होंगी.

सायरा में अचानक क्यों आया बदलाव

इस तरह दोनों के बीच प्रेम का सिलसिला शुरू हो गया. फोन पर बात होती रहती और फिर मिलने का जब भी मौका मिलता तो 2 जिस्म एक जान हो जाते. प्यार का यह खेल डेढ़ साल तक खूब चलता रहा. उस के बाद  रफी बीमार हो गया. जिस के चलते मिलने का सिलसिला कम हो गया. फोन पर भी अधिक बात नहीं हो पाती थी. इसी दौरान रफी को अपेंडिक्स का औपरेशन भी कराना पड़ा, जिस से वह शारीरिक और आर्थिक रूप से कमजोर हो गया. अपने स्वास्थ्य की परेशानी से उबरने के बाद प्यार का जुनून फिर रफी के सिर चढ़ कर बोलने लगा, लेकिन अब देर हो चुकी थी. सायरा से पहले जैसा व्यवहार रफी को नहीं मिल पाया. इस से रफी चिंतित हो गया. अब तो वह जब भी फोन मिलाता, उस का फोन बिजी मिलता.

यदि कभी फोन मिल भी जाता तो सायरा किसी भी व्यस्तता का बहाना बता कर फोन काट देती. रफी को शक हो गया कि सायरा ने किसी और को अपना बौयफ्रेंड बना लिया है. रफी सायरा से मिलने को बेताब रहता, लेकिन उस की सायरा से मुलाकात नहीं हो पा रही थी. सायरा ने रफी का फोन रिसीव करना भी बंद कर दिया.

एक ही गांव की बात थी. दोनों के घर के बीच ज्यादा दूरी भी नहीं थी. संबंधों में कटुता की बात सायरा के घर में भी पता चल गई थी. उधर रफी का दीवानापन आक्रामक होता जा रहा था. एक दिन उस ने सायरा को रास्ते में रोक कर बात की. जिस पर सायरा ने रफी से साफ इनकार कर दिया. कहा कि वह अब उस का पीछा न करे नहीं तो अंजाम बुरा होगा. उस समय रफी घर वापस चला गया. उसे मानसिक तनाव हो गया, जिस की वजह से रात भर नींद भी नहीं आई.

दूसरे दिन उस ने फिर सायरा को फोन मिलाया तो फोन उस की मम्मी सफीना ने उठाया. रफी ने कहा कि मैं सायरा से बहुत प्यार करता हूं, उस से शादी करना चाहता हूं. अगर आप कहें तो इसलामी परंपरा के अनुसार रिश्ते की शुरुआत की जाए. यह सुन कर सफीना को बहुत गुस्सा आया, लेकिन उस ने अपने गुस्से पर काबू पाते हुए कहा कि 1-2 दिन में मैं बताती हूं. फिर घर आ जाना, बैठ कर बात हो जाएगी.

पिटाई के बाद आया नफरत का उबाल

सायरा के फेमिली वाले रफी पर चढ़े आशिकी के भूत को उतारने की प्लानिंग कर चुके थे. 2 दिन बाद ही सायरा का फोन आया, ”घर आ जाओ, मम्मी बुला रही हैं.’’

रफी सायरा के घर जाने के लिए निकला तो रास्ते में ही उसे 4-5 युवकों ने मिल कर बुरी तरह पीट दिया था, जिस से उसे अंदरूनी चोटें आईं. इस के बाद रफी सायरा से नफरत करने लगा था.

सायरा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जिस्म पर 30 गहरे घाव मिले. रिपोर्ट के अनुसार कातिल ने मृतका का गला भी दबाया था. सफीना ने मोहम्मद रफी उर्फ आरिफ के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज करा दी. एसपी (देहात) कुंवर आकाश सिंह ने रफी को पकडऩे के लिए 3 टीमें गठित कीं. एसओजी को भी जांच में लगाया गया. थाना मैनाठेर के एसएचओ किरण पाल अपनी टीम के साथ रफी की तलाश में जुट गए. थोड़ी कोशिश के बाद रफी को गिरफ्तार कर लिया गया.

पुलिस ने उस से पूछताछ की तो सामने आया कि पिटाई की घटना के बाद रफी कई दिनों तक सायरा का पीछा करता रहा. बताया जाता है कि सायरा को मारने के लिए रफी ने तमंचे की भी तलाश की, लेकिन तमंचा और कारतूस मिलना आसान नहीं था. अवैध रूप से तमंचे और कारतूस बेचने वाले मोटी रकम भी मांग रहे थे. तमंचा और कारतूस ले कर घर से निकलना भी खतरे से खाली नहीं था. कहीं पुलिस की चैकिंग हो जाए तो वह अपना मिशन पूरा करने से पहले ही जेल चला जाएगा. मुरगा काटने वाले तेज धार वाले चाकू छुरी उस के पास हर समय उपलब्ध थे, लेकिन चाकू छुरी ले कर घूमना भी सही नहीं था, क्योंकि यह पता नहीं था कि सायरा कब उस के हत्थे चढ़ेगी.

सायरा की हत्या के लिए उस ने पेचकस का चुनाव किया एवं एक बड़ा पेचकस रख कर सायरा की तलाश करता रहा. 31 मई, 2025 को रफी उस का पीछा करते हुए खेत में पहुंच गया. खेत में घुसते ही रफी ने पेचकस उस की कोख में घुसेड़ दिया. पेचकस निकाला तो खून की धारा बहने लगी. सायरा समझ ही नहीं पाई के मामला क्या है? सायरा मक्के के खेत में बैठी हुई दरांती से घास काट रही थी. पहली वार में ही वह ढेर हो गई. उस के हाथ से दरांती दूर जा गिरी. उस ने किसी तरह हिम्मत कर के उठ कर देखा तो सामने उस का प्रेमी मोहम्मद रफी खड़ा था. वह कुछ कह पाती, उस से पहले उस ने पेचकस से दूसरा वार उस के पेट पर कर दिया.

जब सायरा दर्द से तड़पने लगी और रफी से अपनी जान की भीख मांगने लगी तो उस ने उस के गुप्तांगों में पेचकस घोंप दिया. खूंखार प्रेमी ने एक विलेन की तरह प्राइवेट पार्ट और पूरे शरीर पर पेचकस से 30 वार किए. इस पर भी उसे तसल्ली नहीं हुई तो उस ने नब्ज टटोल कर देखा. उसे लगा कि अभी सायरा जीवित है. फिर उस ने उस के दुपट्टे से उस का गला घोंट डाला. इस के बाद उस ने उसे हिलाया और जब उसे यकीन हो गया कि सायरा मर चुकी है, तब शव को मक्का के खेत में छिपा दिया. वह घर गया, नहाया, अपने कपड़े बदले और सो गया. मोहम्मद रफी ने अपनी गर्लफ्रेंड का इतनी क्रूरता से कत्ल किया कि जिस ने भी सायरा का शव देखा, वह सन्न रह गया. पुलिस को आरोपी मोहम्मद रफी उर्फ आरिफ के पास से सायरा का मोबाइल फोन मिला.

पुलिस को जांच में पता चला है कि सायरा और रफी के बीच एक महीने में 500 से अधिक बार बात होती थी. आरोपी ने बताया है कि उसे शक था कि सायरा किसी दूसरे युवक से बात करती है. पोस्टमार्टम में दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई. पुलिस ने मोहम्मद रफी उर्फ आरिफ से पूछताछ करने के बाद उसे कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. Love Story

 

 

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