आरोपी विवेक सिंह से तृप्ति सोनी हत्या के संबंध में पूछताछ की तो जो कहानी सामने आई वह चौंकाने वाली निकली-
अजमेर आरावली पर्वत श्रृंखला की सुंदर पहाङियों से घिरा राजस्थान का एक खूबसूरत शहर है, जो पर्यटन स्थल होने के साथ ही एक धार्मिक नगरी भी है. भौगोलिक नजरिए से राजस्थान राज्य के मध्य में स्थित होने के चलते इस नगर को राजस्थान का दिल भी कहा जाता है. साल के हर दिन यहां श्रद्धालुओं तीर्थ यात्रयों के साथ ही दुनियाभर के घुमक्कड़ सैलानियों का आनाजाना लगा रहता है.
मई का महीना चल रहा था जिस में प्रचंड गरमी थी, लेकिन आकाश में काले बादल मंडरा रहे थे और जल्द ही बारिश होने के आसार नजर आ रहे थे. लिहाजा हर कोई शाम होने से पहले घर पहुंचने की जल्दी में दिखाई दे रहा था इसीलिए टैंपो सवारियों से ठसाठस भरे नजर आ रहे थे. तृप्ति ने च्वगम चबाते हुए इधरउधर नजरें घुमाईं पर किसी भी टैंपो में खाली जगह न देख कर वह बड़बड़ाई. “आज कोई घर में नहीं रहेगा. ऐसा लगता है कि जैसे पूरा शहर ही दूसरी तरफ शिफ्ट हो रहा है.
अब तो अगले चौक तक पैदल ही जाना पड़ेगा. आगे तो मिल ही जाएगा कोई न कोई टैंपो. बड़बड़ाते हुए उस ने कदम आगे बढ़ाया ही था कि तभी एक कार उस के पास आ कर रुकी. उस ने किनारे हट कर आगे बढ़ जाना चाहा. पर तभी कार चालक की आवाज सुन कर चौंक गई. कार चालक ने उस नाम ले कर आवाज दी थी, “हेलो तृप्ति कहां जा रही हो?”
पलट कर तृप्ति ने देखा तो सामने विवेक उर्फ विवान था, उस का नया दोस्त. जिस से कुछ दिन पहले ही उस की सोशल मीडिया पर दोस्ती हुई थी. पर अभी तक दोनों की रूबरू मुलाकात नहीं हुई थी. बिगडते मौसम के दौरान टैंपो नहीं मिलने से फिक्रमंद हो रही तृप्ति अंदर ही अंदर खुश होते हुए बोली, “अरे वाह विवान, तुम इधर ही रहते हो क्या?”
“अरे नहीं यार, मैं तो तुम्हें देख कर रुका था. सोचा कि तुम इधर ही रहती होगी. आज शाम की चाय यहीं पी लेंगे.”
सुन कर हंसते हुए तृप्ति बोली, “नहीं जी, मैं तो मेयो कालेज के पास धौलाभाटा कालोनी में रहती हूं. यहां तो मैं टीचर हूं एक प्राइवेट स्कूल मेें.”
तब तक बरसात शुरू हो गई तो विवान ने कार का गेट खोलते हुए कहा, “जल्दी बैठो मुझे भी रामगंज जाना है. उधर ही रहता हूं. तृप्ति कार में बैठ गई. दोनों रास्ते में बातचीत करते हुए आना सागर चौपाटी गए. वहां पर पर पहुंच कर दोनों ने गर्मागर्म समोसे के साथ कुल्हड़ वाली चाय पी फिर घर की तरफ रवाना हो गए.
मौसम ठंडा हो गया था इसलिए तृप्ति को उस के घर ड्राप कर के विवेक सिंह अपने घर राम गंज चला गया. जातेजाते तृप्ति से अगले दिन स्कूल टाइम पर रेलवे स्टेशन के पास मार्टिडल ब्रिज पर मिलने को कहा जो दोनों के घर के रास्ते में ही आता था.
फेसबुक फ्रेंड बन गया प्रेमी
अगले दिन तृप्ति जब स्कूल के लिए निकली तो देखा मार्टिडल ब्रिज पर विवेक की कार खड़ी है तो वह टैंपो से उतर कर कार में बैठ गई और कार पुष्कर रोड की तरफ रवाना हो गई. बड़े शहरों में तो वैसे भी किसी को किसी की खबर नहीं रहती है कि कौन कहां जा रहा है और फिर बिंदास नेचर की तृप्ति तो वैसे भी अकेली ही रहती थी. लिहाजा स्कूल के बहाने दोनों का रोजाना मिलने और आने जाने का सिलसिला शुरू हो गया.
उन की मुलाकातें जल्दी ही पक्की दोस्ती में बदल हो गईं. धीरेधीरे दोनों एक दूसरे के बारे में सब कुछ जान गए. 30 वर्षीय विवेक ज्यादा पढ़ालिखा नहीं था किसी सेठ की कार चलाता था, आगेपीछे कोई था नहीं, कुंवारा था. इसलिए बनसंवर कर रहता था. वह ठीकठाक कमा भी लेता था. वह पहली नजर में ही तृप्ति की खूबसूरती पर मर मिटा था. यह बात जानने के बाद कि तृप्ति शादीशुदा है और उस की एक 7 साल की बेटी भी है. वह पति से अलग हो कर रह रही है.
विवेक उस के साथ घर बसाने के सपने देखने लगा. आधुनिक विचारों वाली युवती तृप्ति ने भी उस से कुछ नहीं छिपाया और दोस्त समझ कर. बातों ही बातों में बता दिया था कि उस का परिवार तो बीकानेर का रहने वाला है, परंतु अजमेर निवासी सूरज चौहान के साथ साल 2012 में उस ने प्रेम विवाह किया था. तब से ही अजमेर में रह रही है और उन की एक बेटी भी है.
उस ने बताया कि प्रेम विवाह से ले कर बेटी के जन्म तक पतिपत्नी के बीच सब कुछ ठीकठाक चल रहा था, लेकिन बाद में उन दोनों के बीच पैसों की तंगी को ले कर गृह कलह होने लगी और पैसे कमाने के चक्कर में उस के पति सूरज की संगत खराब हो गई और वह चेक बाउंस के एक मामले में फंस गया और पारिवारिक तनाव बढऩे पर तृप्तिऔर सूरज के बीच रोजाना झगड़ा होने लगा.
एक दिन मामला फैमली कोर्ट यानी पारिवारिक न्यायालय तक पहुंच गया. उस के बाद अदालत में प्रकरण विचाराधीन होने के दौरान ही दोनों एक दूसरे से अलगअलग रहने लग. कुछ दिन बाद ही चैक बाउंसिंग के मामले में सूरज को 2 साल की सजा हो गई और उसे अजमेर सेंट्रल जेल भेज दिया गया.
तृप्ति ने बताया कि इस अनजान शहर में वह बेटी के साथ अकेली रह गई थी. वह पढ़ीलिखी स्मार्ट युवती थी इसलिए उस ने दौङ़धूप कर पुष्कर रोड स्थित एक प्राइवेट स्कूल में टीचर की नौकरी कर ली और एक परिचित सहेली की मदद से धोलाभाटा कालोनी में किराए का घर ले कर रहने लगी.
विवेक ने तृप्ति के प्यार में पड़ कर उस की ख्वाहिशें पूरी करनी शुरू कर दीं. साथ ही जरूरत पङऩे पर रुपएपैसे से भी उस की मदद करने लगा और तृप्ति भी विवेक को दोस्त मान कर उस से तोहफे लेने लगी पर वह शायद यह बात भूल गयी ,आज की इस मतलब परस्त दुनिया में एक मर्द और औरत कभी दोस्त नहीं हो सकते हैं.
लिहाजा तृप्ति की दोस्ती को प्यार समझ कर एक तरफा प्यार में पागल विवेक ने उस के नाम का टैटू भी अपने हाथ पर गोदवा लिया था. वह जल्दी ही तृप्ति के सामने शादी का प्रस्ताव रख कर उसे अपनी पत्नी बनाने की योजना बना चुका था, लेकिन पारिवारिक न्यायालय में तृप्ति का मामला विचाराधीन होने के कारण् वह फैमली कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहा था.