तभी अनिल ने विवेक से बातचीत शुरू करते हुए कह ";मुझे आप दोनों बारे में सब कुछ पता है. तृप्ति मेरी भी दोस्त है, इसलिए आप को समझा रहा हूं कि अब आप इन का पीछा करना छोड़ दो, यही बेहतर होगा.”
सुन कर विवेक आपे से बाहर हो गया और खड़े हो कर बोला "आप कुछ नहीं जानते हैं हमारे बारे में. फालतू में ही कबाब में हड्डी बन रहे हो.”
सुन कर तैश मैं आ कर अनिल ने कहा "पहली बात तो यह है कि मैं वेजिटेरियन हूं, इसलिए कबाब और हड्डी की बात मत करो. और दूसरी बात यह है कि जबरदस्ती की दोस्ती ज्यादा दिन नहीं चलती. इसलिए तुम्हें फिर से समझा रहा हूं कि तृप्ति का पीछा छोड़ दो, वरना...”
"मुझे धमकी दे रहे हो,” कह कर विवेक ने आंखें तरेरीं.
तो मुसकराकर अनिल ने कहा, "धमकी नहीं चेतावनी दे रहा हूं कि इन का पीछा कर परेशान करने की शिकायत अगर पुलिस में चली गई तो मुश्किल में पड़ जाओगे.”
प्रोफेसर अनिल की चेतावनी सुन कर विवेक गुस्से से आग बबूला हो गया और पैर पटकता हुआ वहां से चला गया. रेस्टोरेंट में बैठे लोग उन की तरफ देखने लगे थे इसलिए प्रोफेसर अनिल तथा तृप्ति भी रेस्टोरेंट से बाहर निकल गए. विवेक और प्रोफेसर अनिल के बीच हुई इस तकरार से तृप्ति परेशान और भयभीत नजर आ रही थी जिसे देख कर अनिल ने उसे समझाते हुए कहा, "घबराओ नहीं, तुम आगे आगे चलो मैं पीछे आ रहा हूं. ज्यादा परेेशान करे तो इस की पुलिस से शिकायत कर देना, पक्का इलाज कर देगी पुलिस.”