दिल्ली पुलिस में इंसानी रोबोट के नाम से मशहूर बलजीत राणा पिछले 20 सालों से बिना कोई छुट्टी लिए रोजाना 16 घंटे काम करते हैं. 66 साल की उम्र में बने हुए उन के जुनून का आखिर राज क्या है...  

धिकांश वेतनभोगी कर्मचारी छुट्टियां पाने के लिए लालायित रहते हैं. विभाग से मिलने वाली हर तरह की छुट्टी का लाभ वे लेने की कोशिश करते हैं. यानी वे किसी भी छुट्टी को जाया नहीं करना चाहतेइस के विपरीत दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ऐसे भी हैं जिन्होंने पिछले 20 सालों से कोई भी छुट्टी नहीं ली. अर्जित अवकाश, आकस्मिक अवकाश, चिकित्सा अवकाश आदि की बात तो छोडि़ए, उन्होंने शनिवार, रविवार के साप्ताहिक अवकाश भी नहीं लिए

पिछले 20 सालों से वह सुबह 7 बजे से रात 11 बजे की ड्यूटी लगातार करते आ रहे हैं. और तो और रिटायर होने के बाद भी वह पहले की तरह अपनी ड्यूटी को अंजाम दे रहे हैं. विभाग में इस अधिकारी को इंसानी रोबोट के नाम से जाना जाता है. इस इंसानी रोबोट का नाम है बलजीत सिंह राणा. बलजीत सिंह राणा मूलरूप से हरियाणा के सोनीपत जिले के कुंडल गांव के रहने वाले श्रीराम राणा के बेटे हैं. उन का जन्म 14 अगस्त, 1952 को हुआ था. श्रीराम राणा आसपास के गांवों में नंबरदार के नाम से जाने जाते थे. उन के 3 बच्चे थे. बेटी शकुंतला, बलजीत सिंह और जगदीश सिंह. इन में बलजीत सिंह मंझले नंबर के थे.

बलजीत सिंह ने 1971 में गांव के ही सरकारी स्कूल से हाईस्कूल की परीक्षा पास की. बलजीत बताते हैं कि उन की दिल्ली पुलिस में भरती मौजमजे में ही हो गई थी. वह दोस्तों के साथ दिल्ली घूमने आए थे. वहां कर पता चला कि किंग्सवे कैंप में दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल की भरती चल रही हैबलजीत भी जा कर कतार में खड़े हो गए. शारीरिक रूप से वह हृष्टपुष्ट थे, इसलिए शारीरिक नापतौल में फिट पाए गए. बाद में उन्होंने दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के पद पर भरती की सूचना अपने घर वालों को दे दी. यह बात पहली सितंबर, 1972 की है.

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