पूरी दुनिया में तहलका मचाने वाले वायरस कोविड19 का दौर खत्म हो चुका था. बीते 2 साल की फीकी होली के बाद साल 2022 में धूमधाम से होली के लिए दिल्ली में भी जबरदस्त माहौल बन गया था. हफ्ते भर पहले से ही रंगअबीर, गुब्बारे, पिचकारियां और तरहतरह के कपड़ों की दुकानें सज गई थीं. गुझिया, लड्डू आदि की विशेष थाली के साथ मिठाइयों की दुकानें भी सजाई जा चुकी थी.
इसी के साथ 100-150 मीटर की दूरी पर नई तरह की दुकानों के साइनबोर्ड चमक उठे थे. वे दुकानें शराब की थीं. उन का नामकरण ठेठ अंदाज में 'ठेका’ रखा गया था. नीचे लिखा था बीयर वाइन की दुकान. बाहर से ग्रिल या लोहे की जाली नहीं लगी थी, बल्कि उसे खानेपीने के सामानों के शोरूम की तरह सजाया गया था. उस के परिसर में कोई भी बेधड़क जा कर अपनी पसंद के देसीविदेशी ब्रांड को चुन सकता था. हाथों में उठा कर जांचपरख कर सकता था.
उन में शराब खरीद पर मिलने वाले औफर के बैनर पोस्टर भी लगे हुए थे. उन पर मोटे अक्षरों में लिखा था 'एक की खरीद पर एक मुफ्त.’ फिर क्या था, लोग शराब की दुकानों की ओर दौड़ पड़े थे. मर्द तो मर्द, महिलाएं भी दुकानों पर पहुंचने लगी थीं. ऐसा केजरीवाल सरकार (Kejriwal Government) द्वारा बदली हुई आबकारी नीति के तहत हुआ था.
दरअसल, शराब बिक्री में आ रही गड़बड़ को रोकने और राजस्व बढ़ाने के लिए जून जुलाई 2021 में दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार नई योजना पर काम रही थी. इसे ले कर आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कई बैठकें कीं. पाया कि शराब की सरकारी दुकानों से ही राजस्व को आसानी से बढ़ाया जा सकता है, लेकिन यह तभी संभव है जब शराब की दुकानों की संख्या बढ़ाई जाए. उस के बाद ही आबकारी नीति में फेरबदल किया गया.