मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के सब से नजदीकी जिले सीहोर की दूरी महज 35 किलोमीटर है. इंदौरभोपाल रोड पर हाईवे बन जाने के बाद से यह दूरी महज आधे घंटे में तय हो जाती है. एक तरह से सीहोर भोपाल का ही हिस्सा बनता जा रहा है क्योंकि ये दोनों शहर तेजी से एकदूसरे की तरफ बढ़ रहे हैं.
शहरीकरण का असर ही इसे कहेंगे कि छोटे और घनी बसाहट वाले कसबे सीहोर में भी कालोनियों और अपार्टमेंटों की बाढ़ सी आती जा रही है, जो सारे के सारे बाहर की तरफ बन रहे हैं.
लेकिन सीहोर की पहचान पुराने शहर से ही है खासतौर से बसस्टैंड से, जो शहर को चारों तरफ से जोड़ता है. इस बसस्टैंड पर देर रात तक चहलपहल रहती है. बसस्टैंड के आसपास कई पुराने मोहल्लों में से एक है हाउसिंग बोर्ड कालोनी, जहां आधे पक्के और आधे कच्चे मकान बने हुए हैं. यहीं से आधा किलोमीटर दूर स्थित है सिटी कोतवाली, जो कोतवाली चौराहे पर स्थित है.
आमतौर पर बसस्टैंड के आसपास के मोहल्लों में पुश्तों से रह रहे लोग ही ज्यादा हैं और सभी एकदूसरे को जानते हैं. इसी बसस्टैंड के पास एक मकान या योग आश्रम, कुछ भी कह लें, अनुपमा तिवारी का भी है. जिन के बारे में लोग ज्यादा कुछ नहीं जानते सिवाय इस के कि वह शिवसेना की नेत्री हैं.
साल 2015 में वह नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव भी इसी पार्टी से लड़ी थीं, जिस के राष्ट्रीय मुखिया कभी बालासाहेब ठाकरे जैसे आक्रामक और कट्टरवादी हिंदू नेता हुआ करते थे और आजकल उन के बेटे उद्धव ठाकरे इन दिनों कांग्रेस और एनसीपी के सहयोग से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं.


 
 
 
            



 
                
                
                
                
                
                
                
                
                
               
 
                
                
                
               
