Chhattisgarh News : ज्योतिष का ज्ञान रखने वाले कोरबा के ज्वैलर गोपाल राय सोनी ने अपनी मौत की कुंडली खुद बांचने का दावा किया था. पत्नी को इस की तारीख तक बता दी थी, लेकिन पत्नी को इस पर जरा भी विश्वास नहीं हुआ. हालांकि उसे मालूम था कि पति की पिछली कई भविष्यवाणियां सच होती रही थीं. क्या उन की यह भविष्यवाणी भी सही साबित हुई?

छत्तीसगढ़ के जिला कोरबा का रहने वाला सूरज गिरि गोस्वामी थोड़ा परेशान था. उस की बुलेट बाइक की 7 जनवरी को किस्त जानी थी. पूरे 4 हजार रुपए खाते में रखने थे. जबकि उस के खाते में मात्र 12 सौ रुपए ही थे. वह इसी उधेड़बुन में था. तभी उस का खास दोस्त मोहन मिंज उस से मिलने आया. आते ही बोला, ”सूरज, आज बुलेट की सवारी नहीं करवाएगा?’’

”चलो न, कहां चलना है?’’ सूरज बोला.

”थोड़ा माल वाला मार्केट घूम आते हैं.’’ मोहन बोला.

”चलो, अभी बुलेट निकालता हूं.’’ कहता हुआ सूरज घर के बरामदे में खड़ी अपनी बुलेट निकालने चला गया.

थोड़ी देर में दोनों बुलेट पर सवार थे. हाइवे पर बुलेट की खास आवाज के साथ दोनों आसपास के नजारों के आनंद में खोए हुए थे.

अचानक मोहन मिंज बोला, ”यार, बुलेट की आवाज मुझे बहुत अच्छी लगती है. सोचता हूं कि मैं भी खरीद लूं.’’

”मत खरीद, महंगी है और तेल का खर्च भी है. मुझे इस की चाल बहुत पसंद है, फिर भी…’’

”फिर भी क्या? तेरी तो जिंदगी मजे में गुजर रही है.’’

”क्या खाक मजे में गुजर रही है, मैं कितनी परेशानी में हूं तुझे नहीं मालूम.’’ सूरज हंसते हुए बोला.

”वह कैसे?’’ मोहन मिंज ने सवाल किया.

”बुलेट मैं ने किस्त पर ली है. इस के पैसे भी नहीं चुका पा रहा हूं, तभी तो मैं ने कहा मत खरीद अभी.’’ सूरज निराशा से बोला.

”तो कैसे कर रहे हो पूरा? सच तो यह है दोस्त कि मैं भी अपनी इस जिंदगी से निराश हो चुका हूं. न रजनी से शादी कर पा रहा हूं और न परिवार को खुशी दे रहा हूं.’’ मोहन बोला.

दोनों अपनीअपनी समस्या और पैसे की तंगी को ले कर दुखी हो गए थे. उन की समस्या पर्याप्त पैसा नहीं होने की थी. कुछ देर उन के बीच चुप्पी बनी रही. सूरज ने सड़क के किनारे एकांत देख कर बुलेट रोक दी.

”अब क्या हुआ, गाड़ी क्यों रोकी?’’ मोहन मिंज पूछ बैठा.

”अभी बताता हूं. पहले नीचे उतर. मेरे सामने आ.’’

सूरज ने जैसा बोला, मोहन ने वैसा ही किया.

”अब बताओ, क्या कहना चाहते हो. बहुत गंभीर दिख रहे हो.’’ मोहन मजाकिया लहजे में बोला.

”बात मजाक की नहीं सीरियस है. मेरे पास एक प्लान है. अगर हम उस में सक्सेस हो गए, तब समझो हमारे पास पैसा ही पैसा होगा?’’ सूरज ने कहा.

”अच्छा! वह कैसे?’’ मोहन ने आश्चर्य से पूछा.

”लेकिन तुम को साथ देना होगा.’’ सूरज बोला.

”चलो, मैं तैयार हूं. अब प्लान बताओ.’’ मोहन ने कहा.

”तू तो जानता ही है कि मैं पहले जहां काम करता था, वह एक धन्ना सेठ है. शहर का सब से अमीर ज्वैलर. उस की तिजोरी में कितना माल है, वह सब मुझे पता है.’’ सूरज के बात पूरा करने से पहले ही मोहन बोल पड़ा, ”तो फिर उस से क्या होगा?’’

”पहले पूरी बात तो सुनो. हमें उसी तिजोरी पर हाथ साफ करना है.’’ सूरज ने कहा.

”तिजोरी पर हाथ साफ करना आसान है क्या? वह कितनी मजबूत होती है, क्या तुम को नहीं मालूम है?’’ मोहन मिंज बोला.

”उसे तोडऩा नहीं खोलना है. उस की चाबी का इंतजाम करवाने में मुझे तुम्हारी मदद की जरूरत होगी.’’ सूरज बोला.

”वह कैसे होगा?’’ मोहन ने पूछा.

”मेरे पास उस का ही प्लान है. सिर्फ तुम साथ देने की हामी भरो.’’

”मैं तैयार हूं. मुझे डिटेल में बताओ, क्या करना होगा?’’

मोहन के तैयार होते ही सूरज ने कहा, ”समझो कि मेरे पास फुलप्रूफ ऐसा प्लान है कि हमारे पास पैसे ही पैसे होंगे.’’

और फिर सूरज गिरि ने पूरी प्लानिंग मोहन मिंज के सामने रख दी. इस पर मोहन मिंज ने थोड़ी देर सोचा और फिर बोला, ”ठीक है, यह तो एकदम आसान काम है, लेकिन खतरा भी कम मत समझो.’’

”अधिक खतरा नहीं है. उस के बारे में भी तुम्हें बताऊंगा. सेठ करोड़पति है, बस हमें रात को घर में घुस कर उस की दुकान की चाबी अपने कब्जे में करनी है और उसी रात उस की दुकान का सारा माल पार कर रांची निकल जाएंगे.’’

यह बात दिसंबर 2024 के आखिरी सप्ताह की है. मोहन मिंज सूरज गिरि की बताई योजना को सुन कर मन ही मन बहुत खुश हुआ. उस की आंखों के आगे रजनी, बुलेट गाड़ी और मकान की तसवीरें घूमने लगीं. सूरज के प्लान के मुताबिक दोनों को शहर के मशहूर आभूषण कारोबारी गोपाल राय सोनी के घर में घुस कर लूट करनी थी. वहां से सेठ सोनी की दुकान की चाबी हासिल करनी थी. गोपाल राय सोनी कोरबा स्थित पावर हाउस का मुख्य सड़क पर स्थित एस.एस. प्लाजा में अमृत ज्वैलर्स नाम का भव्य शोरूम था. शोरूम की चाबी सेठ अपने पास एक छोटी सी अटैची में रखता था.

वह जहां भी जाता, अटैची साथ लिए रहता था. इस बात की जानकारी सूरज को इसलिए थी, क्योंकि वह एक समय में उस का ड्राइवर हुआ करता था. बाद में उस का भाई आकाश सेठ की गाड़ी चलाने लगा था. सूरज सेठ की रोजाना की तमाम गतिविधियों और आदतों से वाकिफ था. उसे इस बात का भी अंदाजा था कि वह कितना डरपोक है. इसी आधार पर उस ने मोहन को आश्वस्त कर दिया कि उस की प्लानिंग आसानी से सफल हो जाएगी.

छत्तीसगढ़ के औद्योगिक नगर कोरबा के नए ट्रांसपोर्ट नगर में स्थित लालूराम कालोनी में गोपाल राय सोनी का आवास है. उन के छोटे से परिवार में सेठ सोनी के अलावा उन की पत्नी रेखा सोनी और बेटा नचिकेता रहते थे. बड़ा बेटा अभिषेक सोनी रायपुर में व्यवसाय करता है. गोपाल राय सोनी की 2 बेटियां हैं. एक का विवाह नेपाल में हुआ है जो वहीं की हो कर रह गई है. दूसरी का विवाह मुंबई के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ है.

कहने को तो गोपाल राय सोनी एक सेठ थे, किंंतु उन में एक और खूबी ज्योतिषीय ज्ञान की भी थी. वह कुंडली देखना अच्छी तरह से जानते थे. ग्रहदशा और उस के होने वाले प्रभाव की गणना बहुत ही सटीक कर लेते थे. यहां तक कि अपने ग्राहकों को भी ग्रहनक्षत्रों के आधार सोनाचांदी और जेवरात खरीदने की सलाह देते थे. उन्होंने अपने कारोबार में ज्योतिषीय असर को काफी महत्त्व दिया था. इस बारे में पत्नी को पूरी जानकारी देते थे. कोरोना काल के दरम्यान उन्होंने अपने बारे में जितनी भी भविष्यवाणियां की थीं, करीबकरीब सभी सही निकली थीं.

पिछले साल की दीपावली से ठीक पहले गोपाल राय सोनी ने अपनी कुंडली देखनी शुरू की थी. कुंडली के मुताबिक अंतरदशा महादशा देखते हुए वह चौंक पड़े थे. उन्होंने जो गणना की थी, उस बारे में पत्नी को बताना उचित समझा था. गोपाल राय अपनी ही कुंडली देखने में लगे हुए थे. उन के सामने कुछ कागजात बिखरे हुए थे. उन पर कुछ हिसाबकिताब बना था तो 12 खाने वाली कई कुंडलियां बनी हुई थीं. उन्होंने पत्नी रेखा को आवाज दी. रेखा थोड़ी देर में चाय की प्याली और प्लेट में बिसकुट ले कर आई थीं. उन्होंने देखा. पति के चेहरे पर पसीने की बूंदें झलक रही थीं. वह चौंकती हुई पूछ बैठी, ”इस सर्दी में आप को पसीना आ रहा है… आश्चर्य है!’’

”रेखा रानी, हैरानी तो तुम्हें तब और होगी, जब मैं तुम्हें एक भविष्यवाणी के बारे में बताऊंगा.’’ गोपाल ने बामुश्किल से कहा और पत्नी को बैठने के लिए इशारा किया.

रेखा चुपचाप पति के सामने बैड पर बैठ गई तो वह बोले, ”मैं तुम्हें कुछ बताना चाहता हूं. ध्यान से सुनना.’’

”क्या सुनना है, फिर कोई भविष्यवाणी किए होंगे.. दुकान में चोरी होने वाली है…घाटा लगने वाला है…छापा पडऩे वाला है…और क्या होगा?’’ रेखा मजाकिया अंदाज में बोलीं.

”यह मजाक करने का वक्त नहीं है. मैं तुम्हें गहरी बात बताने वाला हूं, वह हमारीतुम्हारी और हम सब की जिंदगी से जुड़ी है.’’ गोपाल राय बोलतेबोलते गंभीर हो गए.

”ठीक है बताइए.’’ रेखा बोली.

थोड़ी देर चुप रहने के बाद गोपाल राय धीमे स्वर में बोले, ”मैं कुछ कहूं तो तुम घबराना मत. देखो संसार में जो आया है, वह तो जाएगा ही.’’ यह कहतेकहते गोपाल राय रेखा की ओर देखने लगे. पहले तो गोपाल राय ने ऐसी बात कभी नहीं की तो फिर अब क्यों? रेखा सोच में पड़ गईं, आश्चर्य से बोलीं, ”यह सब क्यों कह रहे हैं आप?’’

”सामने यह जो मेरी जन्मपत्री पड़ी हुई है, इसे मैं ने कई बार बांचा है… और बारबार यही पाया कि मेरा अंतिम समय अब आ गया है.’’ कह कर गोपाल राय ने अपनी आंखें बंद कर लीं.

रेखा ने उन का हाथ पकड़ लिया, ”आखिर आप कहना क्या चाहते हैं?’’

”रेखा, यह साल मुझ पर भारी है. सन 2024 में मैं…’’ कह कर गोपाल राय सोनी अचानक से चुप हो गए.

एकदम निशब्द की स्थिति में देख कर रेखा ने किसी तरह तसल्ली भरे लहजे में कहा, ”आप गलत भी हो सकते हो, जरूरी नहीं कि तुम्हारी गणना इस बार भी सही हो.’’

”मैं ने कई बार हिसाबकिताब लगा कर देख लिया है. मेरा 2024 में अंत निश्चित है. यही सच है. तुम्हें बताने का मतलब भी यही है कि तुम्हें मालूम होना चाहिए. कोई बात हो जाए तो हिम्मत से काम लेना है.’’ कहतेकहते गोपाल राय सोनी के चेहरे पर एक धूमिल सी मुसकराहट आ गई.

कहने को तो रेखा ने पति की भविष्यवाणी को झूठा होने की बात कह डाली थी, लेकिन भीतर से वह भी कांप गई थीं. वह चिंता से घिर गईं. पत्नी को उदास देख कर गोपाल राय बोले, ”तुम बेकार में उदास हो रही हो. अब जाने की बेला आ गई है, मुझे इस साल के बचे दिन हंसीखुशी से बिताने हैं. मैं अपनी सारी जिम्मेदारियां से मुक्त भी होना चाहता हूं. ताकि मन में कोई मलाल न रह जाए.’’

पति की बात सुन कर रेखा की आंखों में आंसू आ गए. उन की पिछली भविष्यवाणियां याद आ गईं. कई दफा अपनी कुंडली की लंबी गणना की गोपाल राय सोनी जो कुछ कहते थे, बाद में लगभग वह सच हो जाया करता था.

अपनी दिनचर्या के मुताबिक गोपाल राय सोनी रविवार 5 जनवरी, 2025 की रात 9 बजे के करीब खाना खा कर अपने ड्राइंगरूम में जा कर बैठे गए थे. सामने की खिड़की के शीशे से बाहर का कुछ हिस्सा सीलिंग लैंप की रोशनी में दिख रहा था. अचानक उन्होंने देखा कि एक शख्स दीवार फांद कर घर में घुस आया है. वह तुरंत खिड़की की तरफ गए. वहां जा कर शीशे से झांकने लगे.

कुछ नजर नहीं आया. कुछ सेकेंड बाद फिर किसी के दीवार फांदने की आवाज सुनाई दी. वह ड्राइंगरूम के मुख्य दरवाजे की तरफ गए. किंतु तब तक एक नकाबपोश व्यक्ति उन के सामने आ चुका था. गोपाल राय चिल्लाने वाले ही थे कि नकाबपोश व्यक्ति ने धारदार हथियार लहराते हुए उन्हें धक्का दे कर गिरा दिया. तभी दूसरा नकाबपोश व्यक्ति उन के सीने पर सवार हो गया. एक ने गुर्राते हुए कहा, ”सोनी सेठ, मुंह से आवाज नहीं निकालो… नहीं तो…’’

एकाएक 2 नकाबपोशों को सामने देख कर गोपाल राय की घिग्गी बंध गई थी. मगर फिर खुद को संभालते हुए कहा, ”ओह, तो तुम लोग आ गए…’’

”क्या मतलब है तेरा?’’ हथियार सीने पर टिकाए हुए एक नकाबपोश गुस्सा में बोला, ”तुम तो ऐसे बात कर रहे हो, जैसे हमें जानते हो.’’

”हां, मैं तुम्हें जानता हूं, तुम दोनों का ही मैं इंतजार कर रहा था.’’

यह सुन कर दोनों नकाबपोश व्यक्ति एकदूसरे की तरफ देखने लगे. एक ने कहा, ”सेठ, तुम बहुत धूर्त हो, चालाक बनते हो. तुम भला हमारा इंतजार क्यों कर सकते हो?’’

इस पर ज्वैलर गोपाल राय सोनी ने कहा, ”मैं तुम्हें थोड़ाथोड़ा जानता हूं, मैं ज्योतिषी भी हूं न!’’

सेठ गोपाल राय की ये बातें उन्हें बकवास लगीं. नकाबपोशों ने समझा कि वह उन्हें अपनी बातों में उलझाना चाहता है. एक ने गुस्से में बोला, ”अच्छा, खैर यह बताओ, चाबी कहां रखी है?’’

गोपाल राय अब मुसकराने लगे थे, ”तुम दोनों ही जेल जाओगे, नहीं जानते कि मैं कौन हूं. मैं तुम दोनों का एक साल से इंतजार कर रहा था. मैं यह भी जानता हूं कि तुम मुझे लूट नहीं पाओगे.’’

”तुम फालतू की बात कर रहे हो, अभी तुम्हारा काम तमाम किए देता हूं.’’ कह कर एक नकाबपोश ने धारदार चाकू लहराया.

”अरे, यहां घर पर कोई धनदौलत तो है नहीं, यहां घर में तो कुछ रखा ही नहीं है. तुम यहां से ले कर क्या जाओगे?’’

गोपाल राय की रहस्यमयी बातें सुन कर के नकाबपोश सकते में आ गए. उन्हें लगा कि गोपाल ने उन्हें पहचान लिया है और उस का जिंदा रहना उन के लिए खतरनाक होगा. एक ने गोपाल राय को कवर कर लिया, जबकि दूसरे ने पूरे घर को छान मारा. दूसरे कमरे में गोपाल राय की बीमार पत्नी रेखा गहरी नींद में सोई हुई थी. एक नकाबपोश ने जा कर उसे जगाया और धमका कर लौकर की चाबी ले ली. खोल कर देखा, वहां कुछ भी नहीं मिला तो पास में रखी अटैची को अपने कब्जे में ले लिया, जिस में दस्तावेज और दुकान की चाबियां थी.

इसी दरमियान गोपाल राय के मोबाइल पर काल आ गई. जैसे ही उन्होंने काल रिसीव करने की कोशिश की, एक नकाबपोश ने उसे रोक दिया. गुस्से से आगबबूला हो उस ने सेठ के गले पर चाकू से वार कर दिया. वह वहीं फर्श पर गिर कर तड़पने लगे. उन्हें उसी हालत में छोड़ कर दोनों नकाबपोश अटैची, सीसीटीवी का डीवीआर और घर के बाहर खड़ी क्रेटा कार को ले कर निकल भागे. उन के भागने के कुछ समय बाद ही गोपाल राय का बेटा नचिकेता घर में आया. अधखुले दरवाजे को खोलते ही सामने पापा को फर्श पर खून से लथपथ तड़पता देखा. वह घबरा गया और चिल्ला कर पड़ोसियों को बुलाया.

मम्मी रेखा बगल के कमरे में बंद थीं. नकाबपोशों ने भागने से पहले रेखा के कमरे की बाहर से कुंडी लगा दी थी. रेखा देवी ने बेटे को बताया कि 2 लोग आए थे और वारदात कर भाग गए. तुरंत यह खबर जंगल की आग की तरह पूरे कोरबा शहर में फैल गई. ट्रांसपोर्ट नगर में सेठ गोपाल राय पर हमला और लूट की खबर सुन कर पूरे इलाके के लोग भयभीत हो गए. गोपाल राय नगर के प्रतिष्ठित व्यापारी थे. एक महत्त्वपूर्ण बात यह भी थी कि घटनास्थल से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर कोतवाली थाना है. भीड़भाड़ वाली जगह होने के बाद इस तरह की घटना घटित होने पर लोग तरहतरह की आशंकाओं से घिर गए थे.

घटनास्थल पर लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई. नेताओं का भी उन के घर आना शुरू हो गया. थोड़ी देर में सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने वहां मोर्चा संभाल लिया. एसपी सिद्धार्थ तिवारी घटनास्थल पर पहुंचे और घटना का मुआयना कर फोरैंसिक और डौग स्क्वायड को बुलावा लिया. एसपी सिद्धार्थ तिवारी ने गोपाल राय सोनी के बेटे और पत्नी रेखा से बात कर उन्हें आश्वस्त किया कि आरोपियों को शीघ्र पकड़ लिया जाएगा. उसी रात यह खबर आ गई कि इलाज के दौरान घायल गोपाल राय सोनी की निजी अस्पताल में मृत्यु हो गई है. इस से शहर का माहौल और भी गमगीन हो गया.

एसपी सिद्धार्थ तिवारी ने तुरंत रात में ही एक टीम का गठन कर दिया. जिले के सभी थानों व पुलिस चौकी प्रभारियों को सतर्क रहने और नाकेबंदी के निर्देश दे दिए. इधर घटना इतनी संवेदनशील थी कि बिलासपुर संभागीय मुख्यालय से आईजी (जोन) डा. संजीव शुक्ला दूसरे दिन 6 जनवरी को सुबह ही घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने वहां की जांच की. सर्राफा कारोबारी मृतक गोपाल राय सोनी के बेटे नचिकेता राय सोनी ने घटना की रिपोर्ट रात 11बज कर 40 मिनट को सीएसईबी चौकी में दर्ज करवा दी थी. अपनी रिपोर्ट में उन्होंने घटना का उल्लेख करते हुए बताया कि रात 10 बजे जब वह घर पहुंचे, तब पोर्च में उन की हुंडई क्रेटा कार नहीं थी.

उन्होंने अपने ड्राइवर आकाश पुरी गोस्वामी को फोन कर कार के बारे में पूछा, तब ड्राइवर ने बताया कि चाबी घर में जहां रखता था, वहीं रख कर वह अपने घर आ चुका है. जिस से उसे स्पष्ट हो गया कि कथित आरोपी हत्याकांड को अंजाम देने के बाद गाड़ी ले कर फरार हो गए हैं. नचिकेता राय सोनी की रिपोर्ट पर धारा 103(1), 307, 309(4), 332(क), 333 भारतीय न्याय संहिता के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया, जिसे बाद में सिविल लाइन थाने में ट्रांसफर कर दिया.

पुलिस ने इस हत्याकांड के परदाफाश के लिए भारतीय पुलिस सेवा तथा राज्य पुलिस सेवा संवर्ग के 2-2 तथा जिले के इंसपेक्टर से ले कर कांस्टेबल स्तर के 80 तेजतर्रार पुलिसकर्मियों को शामिल किया गया. इन्हें 14 टीमों में विभाजित किया गया. सभी को अलगअलग कामों की जिम्मेदारी दी गई. इन टीमों में एएसपी यू. बी. एस. चौहान के अलावा आईपीएस रविंद्र कुमार मीणा, एसपी (सिटी दर्री) आईपीएस विमल पाठक, एसपी (सिटी कोरबा) भूषण एक्का शामिल थे. सारी टीमें एसपी सिद्धार्थ तिवारी के निर्देशन में काम में जुट गईं.

पुलिस के सामने गोपाल राय सोनी हत्याकांड एक अंधे कत्ल की तरह था. कोई सूत्र नहीं मिल रहा था. इसी बीच गोपाल राय की क्रेटा गाड़ी खड़ी किए जाने के स्थान पर खून के धब्बे मिले, जो फोरैंसिक टीम ने जांच के लिए भेज दिए. इस के अलावा 370 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की जांच की गई. इन फुटेजों से पुलिस को महत्त्वपूर्ण जानकारी मिली. फुटेज से एक व्यक्ति पहचानने में आ गया. इस आधार पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी. जांच के बाद पुलिस ने 24 वर्षीय आकाश गिरि को हिरासत में ले लिया, जो कोरबा जिले के ही कुआंभट्टा का निवासी था. उस से पुलिस ने पूछताछ की. बातोंबातों में उस ने 23 वर्षीय मोहन मिंज के चोट के बारे में बता दिया.

पुलिस ने उसे भी पूछताछ के लिए बुलवा लिया. जब उस से मध्यमा अंगुली में आई चोट के बारे में कड़ाई से पूछताछ की तो वह बोला कि उसे यह चोट टाइल्स कटिंग के समय लगी थी. दूसरी तरफ फोरैंसिक जांच में गोपाल राय सोनी के आवास पर मिले खून के धब्बे और मोहन मिंज के खून के सैंपल से मेल हो गया. इस पर जब उस के साथ सख्ती बरती गई, तब उस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. आकाश ने बताया कि उस ने अपने भाई 28 वर्षीय सूरज गिरि और मोहन मिंज के साथ मिल कर लूट की योजना बनाई थी. वारदात के समय पहचान लिए जाने के चलते गोपाल राय की हत्या कर दी गई थी.

इस तरह लूट के लिए हत्या का खुलासा हफ्ते भर के भीतर हो गया. 12 जनवरी, 2025 को पूरे मामले के बारे में मीडिया को बता दिया गया. मोहन मिंज समेत आकाश गिरि गोस्वामी और सूरज गिरि गोस्वामी की गिरफ्तारी कर ली गई. उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया.

 

 

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