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मयंकमोहन ने इंसपेक्टर से कह कर आसपास के 2 प्रतिष्ठित लोगों को बुला लिया. कोठारी से सब के सामने उस का बयान पढ़वा कर उस पर हस्ताक्षर करा लिए.

‘‘आज की तारीख भी लिखिए,’’ मयंकमोहन ने कहा तो कोठारी ने ताव में आ कर तारीख भी लिख दी.

‘‘बस कोठारी साहब,’’ मयंकमोहन ने इंसपेक्टर की ओर देख कर मुसकराते हुए कहा, ‘‘अब आप खुद अपने खिलाफ सबूत दे चुके हैं. इसलिए अपनेआप को हत्या के जुर्म में गिरफ्तार समझें.’’

कोठारी हक्काबक्का सा रह गया. दूसरे लोग भी कुछ नहीं समझ सके.

‘‘बात यह है,’’ मयंकमोहन ने सिगरेट सुलगाते हुए कहा, ‘‘कि मगन लाल कोठारी ने अपने पार्टनर की योजना बना कर हत्या की है. योजना अच्छी तो थी, लेकिन घबराहट और हड़बड़ी में ये एक गलती कर गए. यह इन का बैडलक था कि मैं इधर आ निकला, नहीं तो ये बेदाग बच निकलते. यहां आ कर मैं ने चैंबर के अंदर रामलाल जी का मृत शरीर देखा तो मैं देखते ही समझ गया कि उन्हें सोते समय गोली मारी गई है. कोठारी के पास हलकी पिस्तौल रही होगी, जिस की वजह से इस बंद जगह में मामूली सी आवाज हुई होगी.

‘‘इतने इतमीनान से इस तरह दरवाजा खोल कर कौन अंदर आ कर गोयल को गोली मार सकता था? चपरासी उस वक्त लंच पर गया हुआ था. इंसपेक्टर साहब मि. कोठारी से पूछताछ कर चुके हैं. औफिस की 2 ही चाबियां थीं, एक गोयल जी के पास रहती थी, दूसरी मि. कोठारी के पास. मैं ने दरवाजे की चाभी के छेद की जांच की है. ताला जोरजबरदस्ती से नहीं खोला गया था. यानी दरवाजा सही चाबी से ही खोला गया था.’’

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