Real Crime Stories in Hindi : महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका से निकलने वाले अपने अखबार की जिम्मेदारी अपने एक बेटे मणिलाल को सौंपी थी. बाद में मणिलाल वहीं जा कर बस गए थे. इन्हीं मणिलाल की पोती यानी महात्मा गांधी की परपोती आशीष लता रामगोबिन ने दक्षिण अफ्रीका में ऐसी जालसाजी की कि कोर्ट ने उन्हें 7 साल की सजा सुनाई. जानिए क्या है ये मामला...
दक्षिण अफ्रीका के डरबन की एक अदालत में 7 जून को एक अहम सुनवाई होनी थी. ज्यूरी के लोग पूरी तैयारी से अपनीअपनी जगहों पर आ चुके थे. कोर्ट में दोनों पक्षों के वकीलों, कोर्ट के कर्मचारियों और न्यायाधीश के अतिरिक्त मुकदमे के वादी, प्रतिवादी पक्षों के दरजनों लोग मौजूद थे. पूरी दुनिया में कोविड-19 की महामारी, वैक्सीनेशन, औक्सीजन और भारत में कहर बन कर टूटी कोरोना वायरस संक्रमण की हो रही चर्चा के बीच मीडिया में इस सुनवाई को ले कर भी जिज्ञासा बनी हुई थी. गहमागहमी का माहौल था.
अंतिम फैसले पर सब की नजरें टिकी थीं. इस की वजह यह थी कि मामले की जो आरोपी महिला थी, उस का संबंध महात्मा गांधी के परिवार और दक्षिण भारत की राजनीति में एक बड़े नाम के साथ जुड़ा था. पूरा मामला हाईप्रोफाइल होने के साथसाथ 6 साल पुराना कारोबारी धोखाधड़ी का था. यह आरोप एस.आर. महाराज नाम के एक बिजनैसमैन की शिकायत पर दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रीय अभियोजन प्राधिकरण (एनपीए) के द्वारा लगाया गया था. करीब 6 साल से जमानत पर चल रही 56 वर्षीया आरोपी महिला कठघरे में हाजिर हो चुकी थीं. अदालत की काररवाई शुरू होते ही अभियोजन पक्ष की तरफ से आरोपी के परिचय के साथसाथ न्यायाधीश के सामने उस पर लगे फरजीवाड़े के तमाम आरोप प्रस्तुत कर दिए गए थे.