23 नवंबर, 2018 को कार्तिक पूर्णिमा थी. उस रोज उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के करमैनी घाट पर मेला लगा हुआ था. यहां पर यह मेला हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन लगता है. इस दिन दूरदूर से लोग नदी में नहाने आते हैं. मेले में भारी भीड़ जुटती है. इसी जिले के पीपीगंज इलाके के रामूघाट की रहने वाली 18 वर्षीया रेनू साहनी भी अपने दोनों भांजों के साथ मेला देखने आई थी.
रेनू अपनी बड़ी बहन लीलावती के साथ उस की ससुराल मूसाबार (पीपीगंज) में रहती थी. जबकि उस की मां चंद्रावती और पिता ब्रह्मदेव रामूघाट गांव में ही रहते थे. उस का एक भाई था जो कानपुर में रह कर वहीं नौकरी करता था.
बहरहाल, रेनू कई दिन पहले से मेला देखने की तैयारी कर रही थी. चूंकि मूसाबार से करमैनी घाट की दूरी ज्यादा नहीं थी, इसलिए वह अपनी बहन लीलावती के दोनों बेटों को साथ ले घर से खुशी खुशी पैदल ही मेला देखने चली गई थी.
रेनू को घर से निकले करीब 6 घंटे बीत चुके थे, लेकिन वह वापस नहीं लौटी थी. लीलावती को बेटों को ले कर फिक्र हो रही थी. जब दोपहर के 2 बज गए और रेनू घर नहीं लौटी तो लीलावती ने पति इंद्रजीत से पता लगाने को कहा. उस दिन इंद्रजीत घर पर ही था. वैसे इंद्रजीत ने रेनू से कहा भी था कि अकेले जाने के बजाए वह उस के साथ मेला देखने चले. लेकिन रेनू ने बहन और बहनोई से कहा कि वह मेला देख कर थोड़ी देर में घर लौट आएगी. इसलिए वह दोनों भांजों को अपने साथ ले कर चली गई थी.