खबर चौंकाने वाली थी इसलिए उन्होंने अखबार को कस कर पकड़ते हुए उसे फिर से पढ़ना शुरू किया. वह ‘मयंक ने पुनर्जन्म लिया.’ शीर्षक को उन्होंने 2-3 बार पढ़ा.
खबर में छपा था, ‘शहर के कपड़ा व्यवसायी मनोहर अग्रवाल का 6 वर्षीय पुत्र रजत अपने आप को पूर्व जन्म का मयंक बताता है. उस का कहना है कि वह पिछले जन्म में नाहरगढ़ निवासी बलराम तोमर का पुत्र मयंक था. सुबूत के तौर पर उस ने कई घटनाएं बयान की हैं. उस का कहना है कि उस का घर नाहरगढ़ में है और उस के मातापिता और पत्नी सुरबाला उस का इंतजार कर रही होंगी. वह रोजाना नाहरगढ़ जाने की जिद करते हुए अपने मांबाप से कहता है कि अगर उसे उस के असली घर नहीं पहुंचाया गया तो वह खुद ही वहां चला जाएगा.’
तोमर साहब इस के आगे नहीं पढ़ सके. वह अखबार थामे घर के अंदर दौड़े.
‘‘अरे कहां हो तुम...’’ उन्होंने असंयत आवाज में अपनी पत्नी सुभाषिनी को पुकारा, ‘‘जरा यह समाचार पढ़ो.’’ वह ड्राइंगरूम में दाखिल हुए तो सुभाषिनी टीवी देखने में तल्लीन थीं.
‘‘टीवी बाद में देखना, पहले यह खबर पढ़ो.’’ तोमर साहब ने अखबार पत्नी के आगे फैला दिया.
‘‘आप पहले टीवी देखिए...’’ सुभाषिनी ने अखबार पर ध्यान न दे कर कंपकंपाती आवाज में कहा, ‘‘देखिए, क्या आ रहा है.’’
तोमर साहब ने अखबार को भूल कर टीवी की ओर देखा.
‘‘पुनर्जन्म की ऐसी रोमांचक घटना इस के पहले आप ने शायद ही कहीं देखीसुनी होगी.’’ टीवी पर रिपोर्टर की पुरजोर आवाज गूंज रही थी.
‘‘अद्भुत बच्चा है रजत... रजत तुम्हारा नाम क्या है?’’ रिपोर्टर ने पास बैठे बच्चे की ओर माइक बढ़ाया तो टीवी स्क्रीन पर फैले उस के चेहरे का क्लोजअप तैश से भर उठा. वह झुंझलाते हुए बोला, ‘‘कितनी बार बताऊं आप को? मैं ने कहा न, मेरा नाम रजत नहीं, मयंक है. मयंक तोमर.’’