गांव के किनारे हरेभरे खेतों के बीच सुनसान इलाके में बना एक आलीशान और लंबाचौड़ा मकान. मकान के इर्दगिर्द पसरा हुआ सन्नाटा, गहरी रात का अंधेरा. दोमंजिला मकान की दूसरी मंजिल के चारों तरफ गैलरी बनी हुई थी. कंधों पर दोनाली बंदूक लटकाए उस गैलरी में मुस्तैदी से 2 पहरेदार घूम रहे थे.
रफता रफता रात ढली, जैसे ही भोर होने को आई और घड़ी की सूइयों ने ठीक 5 बजाए तभी एक बंदूकधारी ने छत पर लोहे की जंजीर के सहारे लटक रहे पीतल के घंटे को बजाना शुरू कर दिया.
घंटे की आवाज सुन कर परिवार का हर सदस्य नींद से जाग कर अपने दैनिक कार्यों में लग गया. नित्यकर्म से निपटने के बाद घर की स्त्रियां नाश्ता तैयार करने में जुट गईं और पुरुष नहाधो कर नाश्ते के लिये कतारबद्ध हो कर बैठ गए. नाश्ता कर के पुरुष अपनेअपने कामों में लग गए, जबकि स्त्रियां बच्चों को स्कूल जाने के लिए तैयार करने लगीं.
इसी तरह दोपहर 1 बजे घंटे की आवाज सुन कर खेतों में काम कर रहे पुरुष खाना खाने के लिए घर आते हैं और थोड़ा आराम करने के बाद अपने काम पर चले जाते हैं. इतने बड़े परिवार में यह सब बड़े ही अनुशासन में चलता है. नियम संयम से अपना जीवनयापन करने वाला यह संयुक्त और अनोखा परिवार अपने बनाए नियमों पर जी रहा है. मौसम और हालात चाहे जो हो, इस परिवार की दिनचर्या नहीं बदलती.
इस अनोखे परिवार की बुनियाद रखने वाले शख्स का नाम था निधान सिंह. भले ही अब वह इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन यह बड़ा परिवार आज भी उन के बनाए नियमों, आदर्शों और परंपराओं पर चल रहा है.