उस बंद पड़ी मिल में कोई आता-जाता नहीं था. उस की दीवारों का सीमेंट उधड़ चुका था, लोहे के पाइपों में जंग लग चुका था, सारी मशीनें कबाड़ हो चुकी थीं. मिल तक पहुंचने का रास्ता भी खराब हो चुका था. शहर के बाहर होने की वजह से वहां कोई कितना भी चीखे, कोई उसे सुनने वाला नहीं होता था.
उसी मिल के अंदर मशीन से एक 50-55 साल का आदमी बंधा था. लेकिन वह अपनी उम्र से काफी बड़ा दिखाई दे रहा था. साधारण से कपड़े, बढ़ी हुई दाढ़ी, अस्तव्यस्त बाल. उस के दोनों हाथ पीछे की ओर बंधे थे. उस से कुछ दूरी पर एक लड़का बंधा था. उस के कपड़े, जूते आदि उम्दा किस्म के थे. दोनों बेहोश पड़े थे.
जब दोनों को होश आया तो लड़के ने अधेड़ से पूछा, ‘‘मैं यहां कैसे आया, तुम कौन हो?’’
‘‘मुझे क्या पता? देखो न, मैं भी तो तुम्हारी तरह बंधा हूं.’’ अधेड़ ने झल्ला कर कहा.
दोनों पसीने से तरबतर थे. छत टिन की थी, जो मई की गर्मी में तप रही थी. कहीं से हवा भी नहीं आ सकती थी. जो खिड़कियां थीं, वे बंद थीं. लड़का चीखा, ‘‘कोई है?’’
गला सूखा होने की वजह से उसे खांसी आ गई. उस की आंखों से पानी बहने लगा. लड़के ने खांसी पर काबू पाते हुए कहा, ‘‘अगर किसी ने रुपयों के लिए मेरा अपहरण किया है तो वह महामूर्ख है. मेरे न तो मांबाप हैं और न मेरे पास रुपए ही हैं.’’
‘‘मैं ने किसी का क्या बिगाड़ा था. मैं तो वैसे ही 10 सालों बाद जेल से बाहर आया हूं.’’ अधेड़ ने कहा.
दोनों खामोश हो कर याद करने की कोशिश करने लगे कि वे यहां कैसे पहुंचे?
अधेड़ जेल से 10 साल की सजा काट कर जेल से बाहर निकला था. रात 8 बजे उस की रिहाई हुई थी. जेल से कुछ दूर आने पर अचानक पीछे से आ रही कार ने उसे टक्कर मारी तो वह गिर गया. कार से एक व्यक्ति उतरा. उस ने माफी मांगते हुए कहा, ‘‘आइए, आप की मरहमपट्टी करवा कर आप के घर छोड़ देता हूं.’’
अधेड़ कार में बैठा ही था कि पीछे से किसी ने उस के मुंह पर कुछ रखा, जिस से वह बेहोश हो गया. उस के बाद वह होश में आया तो यहां बंधा था. उस की किसी से क्या दुश्मनी हो सकती है? 10 सालों से वह किसी के संपर्क में नहीं रहा. कहीं कोई गलती से तो उसे नहीं उठा लाया.
लड़का शराब की दुकान से शराब पी कर घर लौट रहा था, तभी रास्ते में एक छोटा सा बच्चा उसे रोता हुआ मिला. बच्चे के गले में एक रेशम की डोरी से उस के घर का पता बंधा था. बच्चे को देख कर उसे लगा कि यह अपने घर वालों से भटक गया है. उस ने सोचा कि अगर वह इसे इस के घर पहुंचा देता है तो इस के मांबाप उसे कुछ इनाम देंगे, जिस से उस के शराब पीने का इंतजाम हो जाएगा.
वह बच्चे के बारे में सोच ही रहा था कि उस के पास एक कार आ कर रुकी. उस में से एक बुजुर्ग महिला उतरी. उस के कुछ कहने से पहले ही महिला ने उसे बच्चे की सलामती के लिए धन्यवाद देते हुए कहा, ‘‘आप मेरे घर चलिए. हम आप को कुछ इनाम देना चाहते हैं.’’
इनाम के लालच में वह कार में ड्राइवर की बगल वाली सीट पर बैठ गया. औरत बच्चे को ले कर पिछली सीट पर बैठ गई. उस के कार में बैठते ही पिछली सीट से किसी ने उस के मुंह पर रूमाल रखा तो वह बेहोश हो गया. लड़के ने कहा, ‘‘मुझे क्लोरोफार्म सुंधा कर बेहोश किया गया था.’’
‘‘मुझे भी.’’ अधेड़ ने हैरानी से कहा.
‘‘मेरा अपहरण क्यों किया गया, यह मेरी समझ नहीं आ रहा है?’’ लड़के ने कहा.
‘‘अपहरण कोई क्यों करता है, पैसों के लिए या फिर बदला लेने के लिए?’’ अधेड़ ने कहा, ‘‘लेकिन मेरे पास न पैसे हैं और न किसी से ऐसी दुश्मनी है. मैं तो जेल से छूट कर आ रहा हूं.’’
‘‘किस जुर्म में जेल गए थे?’’ लड़के ने होंठों पर जीभ फेरते हुए पूछा.
‘‘तुम्हें उस से क्या लेना. यह सोचो कि हमें यहां क्यों लाया गया है? तुम्हारी जरूर किसी से दुश्मनी रही होगी? अपहरण करने वाले को पता होगा कि तुम्हारे पास रुपए नहीं हैं. ऐसा काम करने से पहले आदमी पूरी जानकारी कर लेता है.’’
‘‘लेकिन तुम्हारे मामले में तो उस ने गलती की है.’’
‘‘मेरा मामला अलग है. तुम अपनी बात करो.’’
दोनों बातें कर ही रहे थे कि तभी दरवाजे के चरमराने की आवाज आई. इस के बाद कदमों की आहट सुनाई दी, जो निरंतर उन के करीब आती जा रही थी. एक आदमी जो सिर से पैर तक ढका था, सिर्फ उस की आंखें दिख रही थीं, आ कर उन के पास खड़ा हो गया. लड़के ने पूछा, ‘‘कौन हो तुम?’’
‘‘जवाब क्यों नहीं देते?’’ अधेड़ चीखा, ‘‘मुझे थोड़ा पानी पिला दो.’’
वह आदमी लौट गया. वापस आया तो उस के हाथ में एक बोतल थी. उस ने अधेड़ के मुंह से बोतल लगाई. एक घूंट पीने के बाद अधेड़ उसे उगल कर गुस्से से चीखा, ‘‘यह क्या है?’’
उस आदमी ने वही बोतल लड़के के मुंह लगा दी. लड़का छटपटाया. लेकिन कुछ बूंदें उस के मुंह में चली गईं. लड़के ने किसी तरह बोतल से मुंह हटा कर हांफते हुए कहा, ‘‘पेशाब क्यों पिला रहे हो?’’
‘‘यह क्या हैवानियत है?’’ अधेड़ ने कहा.
उस आदमी ने अधेड़ को एक ठोकर मारी. वह दर्द से बिलबिला उठा. इस के बाद लड़के को उसी तरह ठोकर मार कर बोला, ‘‘दुष्कर्म करने के बाद रोती गिड़गिड़ाती लड़कियों को तुम यही पिलाते थे न?’’
‘‘लेकिन मैं तो अपने अपराध की सजा काट चुका हूं. ’’ महिला की आवाज सुन कर अधेड़ गिड़गिड़ाया. उसी वक्त उसे पता चला कि वह आदमी नहीं औरत है.
‘‘तभी तो 50 की उम्र में 60 के लग रहे हो खुशाल.’’ उस महिला ने कहा.
अपना नाम सुन कर खुशाल ने पूछा, ‘‘कौन हो तुम?’’
‘‘पहले यह पूछो कि यह लड़का कौन है? जानते हो इसे?’’ लबादे से ढकी औरत ने चीख कर पूछा.
‘‘नहीं, इस से मेरा क्या वास्ता?’’ खुशाल ने लड़के की तरफ अजनबी निगाहों से देखते हुए कहा.
‘‘यह वही लड़का है, जिस के मातापिता अस्पताल जाते समय तुम्हें अपना भाई और इस का चाचा समझ कर इसे तुम्हारे पास छोड़ जाते थे और तुम इस के गले में अपने गोदाम का, जहां तुम काम करते थे, पता लटका कर गर्ल्स हौस्टल, वर्किंग वुमेन हौस्टल, गर्ल्स स्कूल या कालेज के पास छोड़ देते थे. जब कोई लड़की या महिला अपनी नारी सुलभ आदत की वजह से इसे तुम्हारे पास पहुंचाने जाती थी तो तुम अपने नीच दोस्तों के साथ इस मासूम बच्चे के सामने उस के साथ दुष्कर्म करते थे.
‘‘तुम्हारी हरकतों की वजह से इस का दिमाग इतना विकृत हो गया कि यह डाक्टर, इंजीनियर बनने के बजाय दुष्कर्मी बन गया. तुम ने इस के मातापिता से उन का बेटा छीन लिया, इस का पूरा भविष्य छीन लिया. जानते हो इस ने क्या किया है? जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही इस ने अपनी रिश्ते की बहन के साथ वही किया, जो तूने इसे सिखाया था. इस के मातापिता ने शरम से आत्महत्या कर ली.
‘‘कानून ने तुझे सिर्फ एक दुष्कर्म की सजा दी है. इस के मातापिता को आत्महत्या के लिए विवश करने की सजा और इसे दुष्कर्मी बनाने की सजा तो अभी बाकी है. जिन लड़कियों के साथ तूने दुष्कर्म किया था, बता सकता है उन का क्या हुआ था?’’ इतना कह कर उस औरत ने रिवाल्वर निकाला और खुशाल के दाएं पैर पर गोली मार दी. खुशाल दर्द से चीख पड़ा. उस के पैर से खून बहने लगा.
‘‘बताता हूं…बताता हूं. मुझे मत मारो. मैं सब बताता हूं. एक लड़की ने आत्महत्या कर ली थी, दूसरी जबरदस्ती करते वक्त ज्यादा चोट लगने से मर गई थी. तीसरी ने केस किया. लेकिन कोर्ट से मेरे बाइज्जत बरी होने के बाद उसे ऐसा सदमा लगा कि वह अपना मानसिक संतुलन खो बैठी. सुना है पागलखाने में है. लेकिन तुम कौन हो?’’