पिछड़े तबके के बुद्धिविलास पटेल मध्य प्रदेश के विंघ्य इलाके के चित्रकूट के गांव बगहिया पुरवा के बाशिंदे थे. उन की 3 औलादों में साधना सब से बड़ी थी. हालांकि साधना पढ़ाईलिखाई में होशियार थी, लेकिन उस की ख्वाहिश जिंदगी में कुछ ऐसा करने की थी, जिस से लोग उसे याद रखें.
जिस उम्र में लड़कियां कौपीकिताबें सीने से लगाए शोहदों से बचती जमीन में आंखें धंसाए स्कूल जा रही होती थीं, उस उम्र में साधना अपने किसी बौयफ्रैंड के साथ जंगल में कहीं मौजमस्ती कर रही होती थी.
जाहिर है कि बहुत कम उम्र में ही वह रास्ता भटक बैठी थी तो इस के जिम्मेदार पिता बुद्धिविलास भी थे, जिन के घर आएदिन डाकुओं का आनाजाना लगा रहता था. नामी और इनामी डाकू चुन्नी पटेल का तो उन से इतना याराना था कि जिस दिन वह घर आता था, तो तबीयत से दारू, मुरगा की पार्टी होती थी.
चुन्नी पटेल को साधना चाचा कह कर बुलाती थी और अकसर उस की उंगलियां बंदूक से खेला करती थीं.
साधना की हरकतें देख चुन्नी पटेल अकसर कहा करता था कि एक दिन यह लड़की पुतलीबाई से भी बड़ी डाकू बनेगी.
ऐसा हुआ भी और उजागर 18 नवंबर, 2019 को हुआ, जब सतना पुलिस ने 50,000 इनामी की इस दस्यु सुंदरी, जिसे ‘जंगल की शेरनी’ भी कहा जाता था, को कडियन मोड़ के जंगल से गिरफ्तार कर लिया.
ऐसे बनी डाकू
एक मामूली से घर की बला की खूबसूरत दिखने व लगने वाली साधना पटेल के डाकू बनने की कहानी भी उस की जिंदगी की तरह कम दिलचस्प नहीं. कम उम्र में ही साधना पटेल को सैक्स का चसका लग गया था, जिस से पिता बुद्धिविलास परेशान रहने लगे थे.