पता चला कि उन की बेटी रत्ना देवी 2 रोज पहले ही तेज बुखार में बे्रन हैमरेज होने से मर गई थी. यह एक सनसनीखेज खबर थी, क्योंकि उस की मौत के 24 घंटे बाद ही अनिल के साथ हादसा पेश आया था. अनिल के शब्द मेरे दिमाग में घूमने लगे, ‘‘अगर मुझे कुछ हो गया तो इस की वजह रत्ना देवी वाला मामला होगा. रत्ना देवी डा. प्रकाश की बेटी है.’’
अनिल मुझ से अपनी पूरी बात नहीं कह पाया था. पता नहीं, वह आगे क्या कहना चाहता था. ऐसी क्या मुश्किल थी कि उस ने मुझे रात को फोन किया था और फिर बाद में मिलने पर विस्तार से बताने को कहा था.
मेरा दिमाग उलझ गया. डा. प्रकाश से मिलना जरूरी हो गया था. मेरे मुंह से पूरी बात सुन कर इंसपेक्टर इमरान खां को भी शक हो रहा था कि यह हादसा हुआ नहीं, बल्कि करवाया गया है. पहले इस हादसे की वजह अनिल का नशे में होना माना गया था. पोस्टमार्टम की रिपोर्ट से भी उस के नशे में होने की पुष्टि हुई थी. फिर शराब की बोतल भी उस की कार में मिली थी.
इस से सोचा गया था कि नशे में वह कार पर कंट्रोल नहीं रख पाया होगा और कार खाई में जा गिरी होगी. उस के मिलनेजुलने वालों के मुताबिक कई दिनों से वह कुछ परेशान था. एक घंटे बाद हम दोनों अधेड़ उम्र के डा. प्रकाश के सामने बैठे थे. डा. प्रकाश का बेटा धीरेन भी वहां मौजूद था. दोनों थोड़े नरवस लग रहे थे.