खाने के थोड़ी देर बाद वही दुबली पतली खूबसूरत लड़की कमरे में आई, जो थोड़ी देर पहले शादा के साथ डोली में आई थी. उस का हुलिया एकदम बदला हुआ था. खूबसूरत टाइट सूट, सलीके से काढ़े गए बाल, हलका सा मेकअप, पर उस के चेहरे पर उदासी और बेबसी पहले से ज्यादा बढ़ गई थी. उस के पीछे बुलडौग की शक्ल का एक नौकर था. उस ने कड़े लहजे में लड़की से कहा, ‘‘साहब के पास बैठ कर इन की खिदमत करो.’’
अपनी बात कह कर कुछ कमीनगी से मुसकराता हुआ बाहर चला गया. लड़की डरी सहमी सी पलंग पर बैठ गई.
मैं ने लड़की की तरफ देखा. वह डर से कांप रही थी. मैं ने उस के सिर पर हाथ रख कर कहा, ‘‘बेटी, घबराओ मत. तुम्हारे साथ कुछ गलत नहीं होगा. तुम आराम से बैठो और बताओ कि तुम कौन हो?’’
वही पुरानी कहानी थी, गरीब बाप ने पैसे की खातिर बेटी को शादा के हाथों बेच दिया था. उस का नाम कमला था. मुझे शादा की यह खातिरदारी किसी जाल की तरह लग रही थी. मैं लड़की से इधरउधर की बातें करने लगा. उसी वक्त कोठी के पोर्च में किसी गाड़ी के रुकने की आवाज आई. मैं ने खिड़की का परदा हटा कर देखा और फिर से बिस्तर पर लेट गया. मैं ने कमला से कहा, ‘‘कमला, अब भेडि़या आ रहा है.’’
वह और ज्यादा डर गई. मैं ने रिवाल्वर हाथ में थाम लिया. कमला ने घबरा कर पूछा, ‘‘अब क्या होगा?’’
मैं ने उसे दिलासा दिया, ‘‘तुम घबराओ मत, मैं हूं. तुम इस अलमारी के पीछे छिप जाओ.’’