12 अगस्त, 2013 की बात है. नेहा तय समय पर कुछ कपड़े और सामान ले कर चुपचाप घर के  बाहर निकल गई. उस ने और महेंद्र ने पहले ही घर से भागने की योजना बना ली थी. गांव से निकल कर नेहा रायबरेली लालगंज जाने वाली सड़क पर पहुंच गई. वहां उस का प्रेमी महेंद्र पहले से उस का इंतजार कर रहा था.

दोनों ने वहां से फटाफट बस पकड़ी और कानपुर चले गए. कानपुर के एक मंदिर में दोनों ने पहले शादी की, फिर वहां से दिल्ली चले गए. दिल्ली में महेंद्र का एक दोस्त रहता था. उस की मार्फत दिल्ली में उस की नौकरी लग गई. बाद में उस ने किराए पर एक कमरा ले लिया. किराए के उस कमरे में वह नेहा के साथ रहने लगा.

इधर महेंद्र और नेहा के फरार होने के बाद उन के गांव बीजेमऊ में हंगामा मच गया. नेहा नाबालिग थी, ऐसे में उस के मांबाप ने 15 अगस्त को महेंद्र के खिलाफ खीरो थाने में भादंवि की धारा 363, 366 और 376 के तहत अपहरण और बलात्कार का मुकदमा दर्ज करा दिया.

खीरो थाने के एसआई राकेश कुमार पांडेय नेहा और महेंद्र की खोज में जुट गए. हफ्ता भर कोशिश करने के बाद उन्होंने दोनों को आखिर ढूंढ लिया. राकेश कुमार ने महेंद्र और नेहा को बरामद कर के 24 अगस्त को न्यायालय में पेश किया.

महेंद्र और नेहा ने कोर्ट में सफाई दी कि उन्होंने शादी कर ली है. इतना ही नहीं, उन्होंने अपनी शादी के फोटो भी कोर्ट में पेश किए लेकिन नेहा के नाबालिग होने की वजह से अदालत ने महेंद्र को जेल भेज दिया और नेहा को उस की मां के हवाले करने का आदेश दिया.

पुलिस ने इस मामले की जांच पूरी करने के बाद 27 अगस्त, 2013 को अदालत में चार्जशीट पेश कर दी. पुलिस की जांच से पता चला कि महेंद्र और नेहा का प्यार 2 साल पहले शुरू हुआ था. नेहा और महेंद्र के प्यार की शुरुआत की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है.

उत्तर प्रदेश के जिला रायबरेली की रहने वाली नेहा की मां की दोस्ती रेखा गुप्ता नाम की एक महिला से थी. रेखा के पति श्यामू गुप्ता की करीब 8 साल पहले मृत्यु हो गई थी. उन से 3 बेटियां कोमल, करिश्मा और खुशबू थीं. पति की मौत के बाद रेखा किसी तरह परिवार पाल रही थी, उसी दौरान उस की मुलाकात सर्वेश यादव से हुई.

सर्वेश यादव मूल रूप से कन्नौज जिले के मुंडला थाना क्षेत्र के गांव ताल का रहने वाला था. उस के पिता मोहर सिंह किसान थे. सर्वेश काम की तलाश में गांव से रायबरेली आया तो फिर वहीं का हो कर रह गया.   रेखा से मुलाकात होने के बाद उस की उस से दोस्ती हो गई. यह दोस्ती दोनों को इतना करीब ले आई कि रेखा और सर्वेश ने शादी कर ली. सर्वेश से शादी करने के बाद रेखा 2 और बच्चों की मां बनी. बाद में सर्वेश ने रेखा की बड़ी बेटी कोमल की शादी अपने भांजे सुमित से करा दी थी.

सहेली होने के नाते नेहा की मां विनीता अपने घरपरिवार की सारी परेशानी रेखा और सर्वेश से कहती रहती थी. विनीता और सर्वेश एक ही जाति के थे, इसलिए वह विनीता को बहन कहता था. दोनों में बहुत छनती थी. रेखा का घर विनीता के घर से कुछ दूरी पर था. जब भी मौका मिलता था, वह उस के पास चली आती थी. नेहा के भागने के बाद विनीता गांव में खुद को अपमानित महसूस करती थी. वह रेखा के अलावा किसी के घर नहीं जाती थी.

एक बार रेखा और विनीता आपस में बातचीत कर रही थीं तभी वहां मौजूद सर्वेश ने विनीता से कहा, ‘‘बहन, तुम्हारी बेटी नेहा तुम्हारे कहने में नहीं है. अभी तो वह नाबालिग थी तो पुलिस ने उसे पकड़ लिया. बालिग होने के बाद अगर वह किसी के साथ चली जाएगी तो पुलिस भी कोई मदद नहीं करेगी.’’

‘‘भैया, तुम्हारी बात तो सही है. पर क्या करें कुछ समझ नहीं आ रहा है. मैं उसे बहुत समझाने की कोशिश करती हूं लेकिन उस के ऊपर महेंद्र का भूत सवार है.’’ विनीता बोली.

‘‘बहन, तुम चिंता मत करो. मैं अपने गांव में नेहा की शादी की बात करता हूं. वहां के लोगों को नेहा के बारे में कोई बात पता नहीं है. इसलिए शादी होने में कोई परेशानी नहीं आएगी. शादी होने के बाद सब ठीक हो जाता है.’’

सर्वेश का एक भतीजा था जोगिंदर. उस की शादी नहीं हुई थी. सर्वेश ने सोचा कि अगर नेहा और जोगिंदर की शादी हो जाए तो दोनों की जोड़ी अच्छी रहेगी. रायबरेली और कन्नौज के बीच करीब 160 किलोमीटर की दूरी है. ऐसे में नेहा जल्द मायके भी नहीं आजा सकेगी और महेंद्र को भूल कर अपनी गृहस्थी में रचबस जाएगी. विनीता चाहती थी कि महेंद्र के जेल से बाहर आने से पहले नेहा की शादी हो जाए तो अच्छा रहेगा. इसलिए उस ने सर्वेश से कहा कि जितनी जल्दी हो सके, वह इस काम को करवा दे.

सर्वेश ने ऐसा ही किया. जोगिंदर और उस के घरवालों से बात करने के बाद आननफानन में जोगिंदर और नेहा की शादी कर दी गई. शादी के बाद नेहा कन्नौज चली गई. बेटी की शादी हो जाने के बाद विनीता ने राहत की सांस ली.

लगभग 3 महीने जेल में रहने के बाद नवंबर, 2013 में महेंद्र जमानत पर घर आ गया. जेल में रहने के बाद भी वह नेहा को भूल नहीं पाया था.  उस ने अपने घरवालों से नेहा के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि नेहा के घर वालों ने उस की शादी दूसरी जगह कर दी है. यह सुन कर उसे बहुत बड़ा धक्का लगा.

बाद में महेंद्र ने पता लगा लिया कि नेहा की शादी कराने में सब से बड़ी भूमिका सर्वेश यादव की रही थी. इसलिए उस ने सर्वेश के पास जा कर उसे धमकी दी, ‘‘नेहा मुझे प्यार करती थी और मेरे साथ रहना चाहती थी. तुम सब ने मुझे जेल भिजवा कर उस की शादी कर दी. तुम ने सोचा होगा कि इस से हम दूर हो जाएंगे. लेकिन मैं तुम्हें बता देना चाहता हूं कि यह तुम लोगों की गलतफहमी है. मैं नेहा को दोबारा हासिल कर के रहूंगा. जिस ने भी नेहा को मुझ से अलग करने का काम किया है, मैं उसे सबक सिखा कर रहूंगा.’’

सर्वेश ने महेंद्र से उलझना ठीक नहीं समझा. उस के जाने के बाद वह अपने काम में लग गया. उधर महेंद्र इस कोशिश में लग गया कि किसी तरह उस की एक बार नेहा से बात हो जाए. वह उस से जानना चाहता था कि शादी के बाद भी वह उस के साथ रहना चाहती है या नहीं. यदि वह उसे अब भी चाहती है तो वह उसे ले कर कहीं दूर चला  जाएगा. महेंद्र यह बात अच्छी तरह जानता था कि अब तक नेहा बालिग हो चुकी है. ऐसे में अब अगर वह अपनी मरजी से उस के साथ जाएगी तो पुलिस भी उसे फिर से जेल नहीं भेज पाएगी.

कुछ समय बाद महेंद्र को किसी तरह नेहा का मोबाइल नंबर मिल गया. उस ने नेहा से बात की. महेंद्र के जेल से आने की बात सुन कर नेहा खुश हो गई.  आपसी गिलेशिकवे दूर करने के बाद नेहा ने उसे बताया, ‘‘घरवालों ने मेरी शादी जबरन कराई है. मैं अब भी तुम्हारे साथ रहना चाहती हूं लेकिन अब इतनी दूर हूं कि मिलना भी संभव नहीं है.’’

प्रेमिका की बात सुन कर महेंद्र का दिल बागबाग हो गया. इस के बाद दोनों ने आगे की रणनीति बनाई.

8 फरवरी, 2014 को नेहा के चचेरे भाई पवन की शादी थी. नेहा ने महेंद्र से कहा कि मैं उस की शादी में शामिल होने के लिए गांव आऊंगी. तब तुम से मिलूंगी.

‘‘बस नेहा एक बार तुम मेरे पास आ जाओ, इस के बाद मैं तुम्हें कभी भी दूर नहीं जाने दूंगा. तुम्हें ले कर इतनी दूर चला जाऊंगा कि किसी को पता तक नहीं चलेगा.’’ महेंद्र ने कहा.

महेंद्र की बातों में आ कर नेहा एक बार फिर से उस के साथ भागने को तैयार हो गई तो महेंद्र ने यह बात अपने कुछ दोस्तों को भी बता दी. फिर क्या था, यह जानकारी सर्वेश को भी मिल गई. महेंद्र के जेल से छूट कर आने के बाद उस ने जब से सर्वेश को धमकी दी थी, तब से वह उस की हर हरकत पर नजर रख रहा था.

सर्वेश को महेंद्र की योजना का पता चल ही गया था. उस की योजना को फेल करने के लिए सर्वेश ने अपने भतीजे जोगिंदर को फोन कर के कहा, ‘‘जोगिंदर पवन की शादी में तुम नेहा को ले कर उस के गांव मत आना. यहां आ कर वह परेशान हो जाती है. अपनी मां, घरपरिवार के मोह में वह यहां आना चाहती है.’’

भतीजे से बात करने के बाद सर्वेश को लगा कि जब नेहा यहां आएगी ही नहीं तो महेंद्र कुछ नहीं कर सकेगा. यही नहीं सर्वेश ने जोगिंदर से कह कर नेहा का मोबाइल नंबर भी बदलवा दिया, ताकि महेंद्र उस से दोबारा बात न कर सके.

यह बात जब महेंद्र को पता चली तो उसे शक हो गया कि यह सब सर्वेश ने ही कराया होगा. वह सर्वेश के पास पहुंच गया और आगबबूला होते हुए बोला, ‘‘मैं ने तुम से कहा था कि तुम मेरे बीच में मत आओ लेकिन तुम नहीं माने. अब इस का खामियाजा भुगतने को तैयार रहो.’’

27 मार्च, 2014 की रात को सर्वेश अपने घर के बाहर दरवाजे पर सो रहा था. आधी रात को अचानक उस के चीखने की आवाजें आने लगीं. आवाज सुन कर उस की पत्नी रेखा भाग कर बाहर आई तो सर्वेश का गला कटा हुआ था.  पति की हालत देख कर वह जोरजोर से रोने लगी. उस की आवाज सुन कर गांव के दूसरे लोग भी वहां आ गए. लोगों को इस बात की हैरानी हो रही थी कि इस तरह गला रेत कर सर्वेश की हत्या किस ने कर दी?

सूचना मिलने पर थाना खीरो की पुलिस भी वहां पहुंच गई. पुलिस रेखा और अन्य लोगों से पूछताछ करने लगी. पुलिस को लोगों से तो कुछ पता नहीं चला लेकिन वह इतना जरूर समझ गई कि हत्यारे की सर्वेश से गहरी दुश्मनी रही होगी. पुलिस ने लाश का पंचनामा करने के बाद उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

पुलिस ने रेखा की तरफ से अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर के तहकीकात शुरू कर दी. पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार पांडेय ने खीरो के थानाप्रभारी विद्यासागर पाल को जल्द से जल्द इस मामले का परदाफाश करने के आदेश दिए.

थानाप्रभारी ने रेखा से बात की तो उस ने बताया कि उन की वैसे तो किसी से भी कोई दुश्मनी वगैरह नहीं थी लेकिन महेंद्र कई बार दरवाजे पर आ कर धमकी दे गया था. चूंकि पुलिस अधीक्षक सीधे इस केस की काररवाई पर नजर रखे हुए थे इसलिए थानाप्रभारी ने रेखा द्वारा कही गई बात उन्हें बताई तो उन्होंने महेंद्र के खिलाफ सुबूत जुटाने को कहा.

थानाप्रभारी ने सर्वेश के घर वालों के अलावा मोहल्ले के अन्य लोगों से बात की तो पता चला कि महेंद्र का विनीता की बेटी नेहा से चक्कर चल रहा था. अपने और नेहा के बीच में वह सर्वेश को रोढ़ा मानता था. लोगों से की गई बात के बाद थानाप्रभारी को भी महेंद्र पर शक होने लगा.

एसपी के आदेश पर खीरो थाने की पुलिस महेंद्र के पीछे लग गई. घटना के 3 दिन बाद 31 मार्च, 2014 को मुखबिर की सूचना पर एसआई राकेश कुमार पांडेय, कांस्टेबल सुरेश चंद्र सोनकर, गोबिंद और कमरूज्जमा अंसारी ने महेंद्र को हिरासत में ले लिया. थाने ला कर जब उस से पूछताछ की गई तो उस ने आसानी से स्वीकार कर लिया कि उस ने ही सर्वेश की हत्या की थी.

महेंद्र ने पुलिस को बताया कि वह नेहा से बहुत प्यार करता था. उस के लिए वह जेल भी गया था. इस बीच नेहा की शादी जोगिंदर से हो जरूर गई थी, लेकिन उस के जेल से लौटने के बाद भी नेहा पति को छोड़ उस के साथ ही रहना चाहती थी. सर्वेश उस की और नेहा की राह में रोड़ा बन कर बारबार आ रहा था. तब मजबूरी में उस ने सर्वेश को रास्ते से हटाने की योजना बनाई.

वह सर्वेश को मारने का मौका ढूंढता रहा. जाड़े के दिनों में वह घर में सोता था इसलिए उसे मौका नहीं मिला. जाडे़ का मौसम गुजर जाने के बाद सर्वेश घर के बाहर सोने लगा. महेंद्र मौके की तलाश में रात में रोजाना उस के घर की तरफ जाता था. 27 मार्च को भी वह मौके की फिराक में था. रात साढ़े 12 बजे जब सन्नाटा हो गया तो उस ने सर्वेश का मुंह दबा कर उस का गला चाकू से काट दिया.

सर्वेश जोर से चिल्लाने लगा तो उस ने उस पर चाकू से कई वार किए. इस बीच उस की पत्नी रेखा दरवाजा खोल कर आती दिखी तो वह भाग निकला. हत्या के समय खून के छींटे महेंद्र की शर्ट पर भी आए थे. उस ने चाकू और खून लगी शर्ट महारानीगंज, सिधौर मार्ग पर बने मंदिर के बगल वाली पुलिया के नीचे छिपा दी थी. फिर वह घर चला गया था.

महेंद्र को जब पता चला कि पुलिस ज्यादा एक्टिव हो गई है तो उस ने घर से कानपुर के रास्ते दिल्ली भागने की योजना बना ली. इस से पहले कि वह वहां से भाग पाता पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर उसे समेरी चौराहे से गिरफ्तार कर लिया. महेंद्र की निशानदेही पर पुलिस ने चाकू और खून से सनी शर्ट भी बरामद कर ली.

1 अप्रैल, 2014 को पुलिस ने महेंद्र को रायबरेली के जिला न्यायालय में पेश किया. वहां से उसे जेल भेज दिया गया.  महेंद्र ने अपने और अपनी प्रेमिका के बीच सर्वेश के आने पर प्रतिशोध की भावना से ग्रस्त हो कर उस की हत्या कर दी. भले ही वह अपना प्रतिशोध लेने में सफल हो गया हो पर यह उस के लिए बहुत महंगा साबित हुआ. अब वह हत्या के आरोप में जेल में बंद है. उसे न तो प्रेमिका मिल सकी और न उस का साथ.

प्रतिशोध की भावना लोगों को अंधा कर देती है. ऐसे में यह दिखाई नहीं देता कि प्रतिशोध का अंजाम जीवन बरबाद करने वाला होता है. महेंद्र को यह कदम उठाने से पहले सोच लेना चाहिए था. वह खुद तो तिलतिल मर कर जेल में अपनी जिंदगी गुजार ही रहा होगा लेकिन उसे इस बात का अहसास नहीं होगा कि उस का परिवार उस से भी अधिक मुसीबत में है.

उस के परिवार वाले अपनी जमीनजायदाद बेच कर मुकदमा लड़ने के लिए वकील की फीस चुका रहे हैं. इस सब के बाद भी अदालत इस मामले में जो फैसला सुनाएगी, वह जरूरी नहीं कि महेंद्र के पक्ष में ही आए.

कुल मिला कर बात यहीं आ कर ठहरती है कि महेंद्र ने गुस्से में जो कदम उठाया उस से उस का परिवार ही मुसीबत में नहीं फंसा बल्कि सर्वेश यादव की हत्या के बाद उस की पत्नी और परिवार का जीवन भी अंधकारमय हो गया है.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित है. कथा में कुछ पात्रों के नाम परिवर्तित हैं.

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