घर में घुसते ही वारिस ने अपनी पत्नी को आवाज दी, ‘‘सलमा, 2 कप चाय बनाना.’’सलमा खाना बनाने की तैयारी कर रही थी. पति ने 2 कप चाय मांगी थी, इस का मतलब उस के साथ कोई आया था. उस ने किचन से बाहर आ कर देखा तो वारिस किसी हमउम्र युवक के साथ बैठा था. सलमा उसे पहचानती नहीं थी. इस का मतलब वह पहली बार आया था.

कुछ देर में सलमा चाय और पानी ले कर आई तो युवक ने हाथ जोड़ कर नमस्ते किया. वह चायपानी की ट्रे रख कर खड़ी हुई तो वारिस ने उस युवक का परिचय कराया, ‘‘यह मेरा दोस्त सुलतान है, सीबीगंज के मथुरापुर गांव में रहता है. ये भी आटो ड्राइवर है.’’

चाय पी कर सुलतान जाने के लिए उठा तो सलमा ने कहा, ‘‘अभी आप इन से कह रहे थे कि आप की पत्नी की तबीयत ठीक नहीं है. मतलब घर में खाना भी नहीं बना होगा. खाने का समय है, खाना खा कर जाना.’’

सुलतान संकोचवश कुछ नहीं बोला तो वारिस ने पत्नी की हां में हां मिलाते हुए कहा, ‘‘अब तुम्हारी भाभी ने कह दिया है तो खाना खाना ही होगा. यह बिना खाना खाए नहीं जाने देगी.’’

सुलतान बैठ गया. सलमा ने जल्दीजल्दी सुलतान और पति के लिए खाना लगाया. सलमा ने सुलतान को इतने प्यार से खाना खिलाया कि वह जरूरत से ज्यादा खा गया. वह पेट पर हाथ फेरते हुए बोला, ‘‘भाभी, आप बहुत अच्छा खाना बनाती हैं.’’

30 वर्षीय सुलतान ने 2 निकाह किए थे. उस का पहला निकाह 5 साल पहले बरेली के बाकरगंज में रहने वाली रानो से हुआ था, जिस से उसे 2 बेटियां और एक बेटा था. रानो का चालचलन ठीक न होने पर सुलतान उसे उस के मायके छोड़ आया था.

इस के बाद सुलतान ने दूसरा निकाह बिहार के कटिहार जिले की शबीना से किया, जिस से 2 बेटे हुए.

सुलतान आटो चलाता था. एक ही काम में होने के वजह से दोनों में गहरी दोस्ती थी. वारिस अपने परिवार के साथ फतेहगंज (पश्चिम) के मोहल्ला कंचननगर में रहता था. परिवार में उस की पत्नी सलमा और 2 बेटे थे. जबकि सुलतान अपनी पत्नी और बेटियों के साथ महानगर बरेली के गांव मथुरानगर में रहता था.

दोस्ती की वजह से एक दिन वारिस सुलतान को अपने घर ले गया और चायनाश्ता ही नहीं, खाना भी खिलाया. उस दिन सुलतान ने कुछ नहीं कहा, लेकिन 4 दिन बाद उस की गाड़ी खराब हो गई तो वह वारिस के घर जा पहुंचा. पता चला वारिस नहा रहा है.

सुलतान ने सलमा से कहा, ‘‘भाभी, उस दिन आप ने जो खाना खिलाया था, बहुत स्वादिष्ट था. आप खाना बहुत अच्छा बनाती हैं.’’

‘‘मैं और काम भी बहुत अच्छे से करती हूं.’’ सलमा ने एक आंख दबा कर कहा.

सुलतान सलमा की इस हरकत से दंग रह गया. वह कुछ कहता, तभी वारिस ने बाथरूम से बाहर आ कर कहा, ‘‘सुबहसुबह कैसे आना हुआ भाई?’’

‘‘यार, मेरी गाड़ी खराब हो गई है, उसे मिस्त्री के यहां पहुंचाना है. मेरी गाड़ी अपनी गाड़ी में बांध लो तो आसानी हो जाएगी.’’

‘‘आज मेरी तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए मैं काम पर नहीं जाऊंगा. तुम मेरी गाड़ी ले जाओ. उसी में अपनी गाड़ी बांध लेना. उसे मिस्त्री के यहां छोड़ कर पूरे दिन मेरी गाड़ी चलाना, शाम को गाड़ी खड़ी करने आओगे तो हिसाब दे देना.’’

सुलतान वारिस की गाड़ी ले गया. दिन भर गाड़ी चला कर वह हिसाब देने आया तो सलमा उस के लिए पानी ले कर आई. सुलतान ने गिलास थामते हुए उस की ओर देखा तो उस ने फिर आंख दबा दी. सुलतान अचकचा गया. सलमा धीरे से बोली, ‘‘मौका मिले तो आ जाना.’’

सुलतान को सलमा की हरकतें अजीब लग रही थीं. उस ने आने के लिए क्यों कहा, यह सोचते हुए सुलतान अपने घर आ गया.

एक दिन सुलतान स्टैंड पर खड़ा सवारियों का इंतजार कर रहा था, तभी उसे सलमा आती दिखाई दी. सब से आगे सुलतान का ही आटो खड़ा था. इसलिए उस ने सुलतान के पास आ कर मुसकराते हुए पूछा, ‘‘क्या मुझे मेरे घर तक छोड़ दोगे?’’

‘‘क्यों नहीं भाभी, आओ बैठो.’’ कह कर सुलतान सवारियों का इंतजार किए बिना ही सलमा को ले कर चल पड़ा.

सुलतान चुपचाप गाड़ी चला रहा था. उसे इस तरह खामोश देख कर सलमा ने पूछा, ‘‘क्या बात है, बहुत खामोश हो?’’

‘‘तबीयत कुछ भारीभारी सी है. आज वरिस नहीं दिखा, कहीं गया है क्या?’’

‘‘वह बाहर गए हुए हैं. आज बहुत गरमी है, घर चलो. तुम्हें नींबू का शरबत पिलाती हूं.’’ सलमा ने मीठे स्वर में कहा.

‘‘नहीं भाभी, आप को परेशान होने की जरूरत नहीं है. ड्राइवरों को गरमीसर्दी सब झेलनी पड़ती है.’’

‘‘कुछ भी हो, शरबत तो पीना ही पड़ेगा.’’ सलमा ने जिद की.

सुलतान चुप रह गया. उस ने सलमा के घर के सामने गाड़ी रोकी तो सलमा ने आटो से उतर कर ताला खोला. उस ने सुलतान को अंदर बुला कर बैठा दिया और खुद शरबत बनाने लगी.

कांच के 2 गिलासों में शरबत ला कर वह सुलतान के पास बैठ गई. शरबत पी कर सुलतान उठने लगा तो सलमा ने उस का हाथ पकड़ कर बिठाते हुए कहा, ‘‘इतनी गरमी में कहां जाओगे, थोड़ी देर बैठो न. आज मैं भी अकेली हूं, दोनों बातें करते हैं.’’

सुलतान बैठ गया तो सलमा उठी और बाहर का दरवाजा बंद कर के कुंडी लगा दी. सुलतान अचकचाया. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि सलमा को ऐसी कौन सी बात करनी है जो अंदर से दरवाजा बंद कर दिया.

दरवाजा बंद कर के सलमा सुलतान के पास बैठ गई और बोली, ‘‘तुम ने यह तो बता दिया था कि खाना बहुत अच्छा बना था, लेकिन यह नहीं बताया कि खाना बनाने वाली कैसी लगी?’’

यह सुन कर सुलतान की हैरानी और बढ़ गई. अकेले में दोस्त की पत्नी के साथ इस तरह बैठना उसे ठीक नहीं लग रहा था. इस के अलावा वह डर भी रहा था. उस की हालत देख कर सलमा ने कहा, ‘‘डरने की कोई बात नहीं है. इस समय यहां कोई नहीं आएगा.’’

लेकिन उस के आश्वासन के बावजूद सुलतान का डर कम नहीं हुआ. वह वहां से निकलने के बारे में सोच रहा था कि सलमा ने उस का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘तुम मुझे अच्छे लगने लगे हो.’’

सुलतान घबरा कर उठ खड़ा हुआ, ‘‘भाभी, मैं शादीशुदा हूं. मुझ से ऐसी बात न करो.’’

सलमा ने हंसते हुए कहा, ‘‘मैं ने तुम से यह थोड़े ही कहा है कि मैं तुम से शादी करना चाहती हूं. लेकिन मुझे तुम से प्यार जरूर हो गया है.’’

सलमा उस के एकदम करीब आ गई. सुलतान थोड़ा खिसकते हुए बोला, ‘‘वारिस क्या सोचेगा?’’

‘‘कोई कुछ नहीं सोचता सुलतान, सही बात तो यह है कि हर कोई अपने सुख के चक्कर में घूम रहा है. किसी के बारे में सोच कर परेशान होने की जरूरत नहीं है. मैं अपने बारे में सोचती हूं, मेरे पति भी अपने बारे में सोचते हैं. अब तुम भी अपने बारे में सोचो.’’

‘‘ये कैसी बातें कर रही हो आप?’’

‘‘ये अपने दिल से पूछो, अगर तुम्हारे दिल में मेरे साथ समय बिताने की इच्छा न होती तो तुम गाड़ी ले कर बाहर से ही लौट जाते, अंदर कतई नहीं आते.’’

‘‘अंदर तो आप ने बुलाया है.’’

‘‘ठीक है, बुलाया था पर तुम मना भी कर सकते थे.’’ सलमा ने कहा.

सुलतान हैरान था. यह सच था कि पिछले कई दिनों से वह सलमा के बारे में सोच रहा था. कई बार वह उस के दरवाजे तक आया भी था, लेकिन बाहर से ही लौट गया था.

सलमा उस के कंधे पर हाथ रख कर बोली, ‘‘प्यार करना गुनाह नहीं है. मैं जानती हूं कि तुम्हारे दिल में मेरे लिए एक नरम कोना है. मौके का फायदा उठाने से मत चूको.’’

उलझन में फंसा सुलतान सलमा के आकर्षण में बंधा था, इसलिए चाह कर भी वहां से नहीं जा पा रहा था. सुनसान घर में अकेली औरत नाजायज संबंध बनाने के लिए मजबूर कर रही थी. आखिर सुलतान ने खुद को सलमा के हवाले कर दिया.

उस दिन वह सलमा के घर से निकला तो उस की स्थिति अजीब सी थी. वह गाड़ी ले कर सीधा घर आ गया. जल्दी वापस आने पर शबीना ने कहा, ‘‘आज जल्दी आ गए, तबीयत ठीक नहीं है क्या?’’

‘‘सिर थोड़ा भारी लग रहा था. मैं ने सोचा थोड़ा आराम कर लूंगा तो ठीक हो जाऊंगा. मैं सोना चाहता हूं.’’ कह कर सुलतान कमरे में जा कर लेट गया. कुछ देर पहले उस के साथ जो कुछ गुजरा था, वह सब उसे याद आने लगा. उसे लगा कि वह शबीना का गुनहगार है.

वह अपराधबोध से ग्रस्त था. उस ने सोचा जो हो गया सो हो गया. भविष्य में वह ऐसी गलती नहीं करेगा. यह सोच कर उस का दिल कुछ हलका हुआ. लेकिन उस की वह रात करवट बदलते हुए गुजरी. सुबह उठा तो सिर भारी था.

सुबह को सुलतान काफी देर तक नहाता रहा, जिस से मन को कुछ शांति मिली. नाश्ते के बाद वह गाड़ी ले कर चला गया. सीधीसादी शबीना को पता ही नहीं चला कि पति ने उस के साथ बेवफाई कर डाली है.

अगले कुछ दिनों में सब सामान्य हो गया. सुलतान वारिस के घर की तरफ नहीं गया. लेकिन सलमा ने उसे फिर से तलाश कर कुछ सामान लाने को कहा. वारिस बाहर था, इसलिए सुलतान ने सामान ला कर सलमा के घर पर दे दिया. उस दिन भी सुलतान सलमा से दूर नहीं रह पाया.

वह खुद को संभालने की लाख कोशिश करता, लेकिन उस की कोशिश धरी रह जाती. जब उसे लगा कि संभलना मुश्किल है तो उस ने सलमा के साथ इसे सिलसिला ही बना लिया.

दोनों को मौके की तलाश रहने लगी. मोबाइल फोन ने उन की राह आसान कर दी थी. इसी बीच सुलतान और वारिस आटो चलाना छोड़ कर कैंटर चलाने लगे थे. सुलतान फतेहगंज पश्चिमी के ही नवाजिश अली का कैंटर चलाता था, तो वारिस इमरान रजा का.

समय का पहिया अपनी गति से घूमता रहा. सलमा सुलतान को अपना बलमा तो नहीं बना सकती थी, लेकिन उस के दिल का सुलतान वही था.

7 फरवरी को देर रात तक सुलतान घर नहीं लौटा तो शबीना को चिंता हुई. उस ने पौने 8 बजे सुलतान को फोन किया तो उस ने आधे घंटे में पहुंचने की बात कही. लेकिन देर रात होने पर भी वह घर नहीं लौटा. उस का मोबाइल भी बंद हो गया था.

पति के बारे में पता करने के लिए शबीना ने अपने जेठ शाने अली को फोन किया तो पता चला कि वह राजस्थान से माल ले कर फतेहगंज लौट आया था. शाने अली ने शबीना से कहा कि रात होने की वजह से वह कहीं रुक गया होगा. सुबह होने पर भी जब सुलतान घर नहीं पहुंचा तो शाने अली उस की तलाश में लग गया.

8 फरवरी की सुबह फतेहगंज (पश्चिम) थाना क्षेत्र के गांव सफरी के कुछ लोगों ने सड़क किनारे स्थित बलवीर के खेत में एक अज्ञात युवक की लाश पड़ी देखी.

वहां भीड़ एकत्र हुई तो बात गांव के प्रधान तक पहुंची. प्रधान ने मौके पर जा कर देखा और इस की सूचना फतेहगंज (पश्चिम) थाने को दे दी.

सूचना मिलने पर इंसपेक्टर चंद्रकिरन पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. मृतक की उम्र 28-30 साल रही होगी. मृतक के गले पर कसे जाने के निशान मौजूद थे. साथ ही सिर पर काफी गहरे घाव भी थे.

घाव किसी वजनदार ठोस वस्तु के प्रहार के लग रहे थे. लाश के आसपास घटनास्थल का निरीक्षण करने पर कोई सुराग नहीं मिला. अलबत्ता वह मृतक के संघर्ष करने के निशान जरूर मौजूद थे. कई जगह मिट्टी उखड़ी हुई थी, कई लोगों के पैरों के निशान भी थे. मतलब हत्यारे एक से ज्यादा थे.

इस बीच लाश मिलने की सूचना आसपास के क्षेत्रों में फैल गई थी. कुछ लोगों ने लाश की फोटो सोशल मीडिया पर डाल दी थी. शाने अली के कुछ परिचितों ने फोटो देखी तो शाने अली को बताया कि सफरी गांव के पास एक लाश मिली है, कहीं वह सुलतान की तो नहीं, जा कर देख ले. शाने अली शबीना और भाई इरशाद के साथ मौके पर पहुंच गया.

लाश सुलतान की निकली. लाश की शिनाख्त हो गई तो इंसपेक्टर चंद्रकिरन ने सुलतान की पत्नी शबीना से पूछताछ की. उस ने बताया कि रात पौने 8 बजे सुलतान को फोन किया था तो उस ने आधे घंटे में घर पहुंचने की बात कही थी, लेकिन वह घर नहीं आया.

उस ने सुलतान के कैंटर मालिक नवाजिश अली और उस के बहनोई पर सुलतान की हत्या का शक जताते हुए बताया कि एक माह पहले रुपयों के लेनदेन को ले कर सुलतान का उन से झगड़ा हुआ था. दोनों ने सुलतान को जान से मारने की धमकी दी थी.

इसी बीच सीओ जगमोहन सिंह बुटोला और एसपी (ग्रामीण) संसार सिंह भी मौके पर पहुंच गए. अधिकारियों ने लाश व घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद आवश्यक पूछताछ की. उस के बाद वह इंसपेक्टर चंद्रकिरन को दिशानिर्देश दे कर वापस लौट गए.

शबीना की लिखित तहरीर पर नवाजिश अली और उस के बहनोई के विरुद्ध भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया.

इंसपेक्टर चंद्रकिरन ने केस की जांच शुरू की तो पता चला नवाजिश कैंसर से पीडि़त है और काफी समय से अस्पताल में भरती है. ऐसे में सुलतान की हत्या में उस का हाथ नहीं हो सकता था.

इस जानकारी के बाद उन्होंने सुलतान के प्रेम प्रसंग के संबंध में जानकारी जुटाई तो उस के किसी महिला से प्रेम प्रसंग की जानकारी मिली. इस पर उन्होंने सुलतान के मोबाइल की कालडिटेल्स निकलवाई. पता चला कि एक नंबर पर उस की हर रोज काफी देर तक बातें होती थीं.

वह नंबर सुलतान के नाम ही था. इस का मतलब यह था कि सुलतान ने ही वह नंबर किसी को दिया था. उस नंबर की लोकेशन फतेहगंज (पश्चिम)  के कंचननगर मोहल्ले की थी.

और जानकारी जुटाई गई तो पता चला सुलतान की दोस्ती कंचननगर में रहने वाले वारिस उर्फ चांद से थी. इस के बाद रहस्य से परदा उठते देर नहीं लगी. पता चला कि सुलतान के नाजायज संबंध वारिस की पत्नी सलमा से थे. सुलतान की हत्या इन्हीं संबंधों की परिणति थी.

इस के बाद इंसपेक्टर चंद्रकिरन ने 28 फरवरी को वारिस को गिरफ्तार कर लिया. थाने में जब उस से कड़ाई से पूछताछ की गई तो मामला नाजायज संबंधों का ही निकला.

सलमा और सुलतान के नाजायज संबंधों की भनक पड़ोसियों को भी लग गई थी. जब वारिस घर पर नहीं रहता था तो सुलतान घंटों तक उस के घर में पड़ा रहता था. इस से पड़ोसियों को समझते देर नहीं लगी कि सुलतान और सलमा के बीच क्या खिचड़ी पक रही थी.

एक पड़ोसी ने वारिस को इस बारे में बता दिया था. यह जान कर कि सुलतान ने उसे दोस्ती में दगा दे कर उस की पीठ में धोखे का खंजर घोंपा है, वह आगबबूला हो उठा. इस के बाद उस ने सलमा को खूब पीटा और सुलतान का दिया हुआ मोबाइल और सिम भी खोज लिया, जिसे उस ने तोड़ दिया.

इस के बाद उस ने सुलतान को उस की दगाबाजी और इज्जत से खेलने के लिए सबक सिखाने का फैसला कर लिया.

इस के लिए उस ने कंचननगर में ही रहने वाले अपने फुफेरे भाई आमिर और भांजे दानिश उर्फ टाइगर को साथ देने के लिए तैयार कर लिया. दोनों ट्रांसपोर्ट पर मजदूरी का काम करते थे.

7 फरवरी की रात को सुलतान दिल्ली से माल ले कर बरेली आया. माल उतारने के बाद उस ने कैंटर को ठिरिया खेतल के नासिर ट्रांसपोर्ट पर खड़ा कर दिया. इस के बाद वह अपने घर की ओर चल दिया.

रास्ते में वारिस, आमिर और दानिश ने उसे मथुरापुर चलने की बात कह कर अपने कैंटर के केबिन में बैठा लिया. जब वारिस ने कैंटर शंघा-अगरास रोड पर मोड़ा तो सुलतान विरोध करने लगा. इस पर तीनों ने गमछे से उस का गला दबा दिया. सुलतान बेहोश हो गया.

सफरी गांव के पास उसे कैंटर से उतारा गया तो होश आने पर सुलतान ने भागने की कोशिश की. इस पर तीनों ने लोहे की रौड से पीटपीट कर उसे मार डाला और उस की लाश खेत में डाल दी.

खून से सने कपड़ों को इन लोगों ने एक थैले में रख कर टूल बौक्स में डाल दिया और अपनेअपने घर चले गए.

लेकिन गुनाह छिप न सका. वारिस की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त लोहे की रौड और खून से सने कपड़े बरामद कर लिए. इस के बाद वारिस को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया.

2 मार्च को पुलिस ने दानिश उर्फ टाइगर को भी गिरफ्तार कर लिया. साथ ही हत्या में इस्तेमाल वारिस का कैंटर नंबर यूपी25सी टी9339 भी बरामद कर लिया. कथा लिखे जाने तक आमिर फरार था, उस की गिरफ्तारी नहीं हो पाई थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सौजन्य: मनोहर कहानियां, मई 2020

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