उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के सुभाष रोड स्थित प्रदेश पुलिस मुख्यालय में उस दिन भी रोज की ही तरह पुलिस महानिदेशक बी.एस. सिद्धू समेत अन्य अधिकारी अपनेअपने औफिसों में बैठे कार्य में लगे थे. पुलिस अधीक्षक ममता वोहरा भी अपने औफिस में जरूरी फाइलें निपटा रही थीं, तभी ड्यूटी पर तैनात उन के पीए ने इंटरकौम से सूचना दी, ‘‘मैडम, एक लड़की आप से मिलना चाहती है.’’
‘‘ठीक है, उसे अंदर भेज दो.’’ ममता वोहरा ने कहा.
उन के कहने के पल भर बाद एक लड़की दरवाजे पर टंगा परदा हटा कर अंदर आ गई. लड़की को देखते ही वह पहचान गईं. उस का नाम गुडि़या था और वह एक बहुचर्चित दुराचार मामले की वादी थी. उन्हें लगा, लड़की अपने केस की प्रगति के बारे में जानने आई है, इसलिए उन्होंने कहा, ‘‘कहिए सब ठीक तो है? हमारी पुलिस उसे गिरफ्तार करने की कोशिश में लगी है. वह जल्दी ही पकड़ा जाएगा.’’
‘‘वह तो ठीक है मैडम, लेकिन...’’ लड़की ने इतना ही कहा था कि ममता वोहरा ने पूछा, ‘‘लेकिन क्या...’’
‘‘मैडम, मैं अपना बयान दोबारा देना चाहती हूं.’’ गुडि़या ने कहा.
सवालिया नजरों से उसे घूरते हुए पूछा, ‘‘मतलब?’’
‘‘मैडम, रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद मैं ने जो बयान दिया था, अब उस में मैं कुछ बदलाव करना चाहती हूं.’’
‘‘क्यों?’’ एसपी वोहरा ने हैरानी से पूछा.
‘‘मैडम, उस समय मेरी तबीयत ठीक नहीं थी. उलझन में पता नहीं मैं ने क्या कुछ कह दिया था. गफलत में जो कह गई, अब उस में सुधार करना चाहती हूं.’’
इतना कह कर गुडि़या ने एक कागज उन की ओर बढ़ा दिया. ममता वोहरा ने उसे ले कर गौर से पढ़ा. उस में उस ने अपना बयान बदलने के बारे में लिखा था. उसे पढ़ कर उन्हें हैरानी हुई कि आखिर यह ऐसा क्यों करना चाहती है. उस का मामला काफी गंभीर ही नहीं था, बल्कि पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय भी बना हुआ था.