family Crime : दंपति के बीच आपसी विवाद होना एक आम बात होती है. लेकिन समझदार लोग पहल कर के खुद ही विवादों को निपटा लेते हैं. अवतार सिंह और अंजना यादव भी अगर अपना अहंकार छोड़ कर घरेलू विवाद निपटाने की कोशिश करते तो शायद...

यह झांसी डिवीजन के तहत आता है. महाराजा सोमेश सिंह ने अपनी पत्नी ललिता देवी की यादगार में इस का नाम ललितपुर रखा था. साल 1974 में यह जिले के रूप में अस्तित्व में आया. जिले की सीमाएं झांसी व दतिया से जुड़ी हैं. झांसी जहां ऐतिहासिक क्रांति के लिए मशहूर है तो दतिया दूधदही व खोया व्यापार के लिए. जबकि ललितपुर उधार व्यापार के लिए चर्चित है. इन 3 जिलों को मिला कर एक कहावत बहुत मशहूर है ‘झांसी गले की फांसी, दतिया गले का हार. ललितपुर न छोडि़ए, जब तक मिले उधार.’

ललितपुर जिला ऐतिहासिक तथा धर्मस्थलों के लिए भी मशहूर है. यहां कई प्रसिद्ध मंदिर हैं. भारत के 3 बांधों में प्रमुख गोविंद सागर बांध इसी ललितपुर में स्थित है. इस बांध को लव पौइंट के नाम से भी जाना जाता है. इसी ललितपुर शहर में एक गांव है जिजयावन. यादव बाहुल्य इस गांव में शेर सिंह यादव अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी कमला के अलावा एक बेटी रामरती और बेटा अवतार सिंह था. शेर सिंह की आजीविका खेती थी. उसी की आय से उस ने बेटी का ब्याह कर उसे ससुराल भेजा था. शेर सिंह यादव खुद तो जीवन भर खेत जोतता रहा, लेकिन वह अपने बेटे अवतार सिंह को पढ़ालिखा कर अच्छी नौकरी दिलवाना चाहता था. लेकिन उस की यह तमन्ना अधूरी ही रह गई.

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