UP News : ज्यादातर महिलाएं प्यार की कद्रदान होती हैं. जब वह एक बार किसी पुरुष को अपने दिल में बसा लेती हैं तो उस का साथ ताउम्र चाहने की लालसा रखती हैं, लेकिन पुरुष उस के साथ दगा करने से नहीं चूकता. जब कभी उस महिला का दिल टूटता है तो वह कुछ भी करने से नहीं झिझकती. पढ़ें, हवस में अंधे पुरुषों से धोखा खाई महिलाओं की यह दिलचस्प कहानी…

उत्तर प्रदेश के जिला रायबरेली के थाना गुरबख्शगंज के एसएचओ प्रवीण गौतम ने गीता को समझाते हुए कहा, ”अगर तुम्हारे साथ कुछ गलत हुआ है तो मुझे बताओ. मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूं कि मुझ से जितना हो सकेगा, मैं तुम्हारी मदद करूंगा.’’

एसएचओ का इतना कहना था कि गीता फफकफफक कर रोने लगी. रोते हुए ही उस ने कहा, ”क्या करती साहब, जवान बेटी की इज्जत का सवाल था. अगर मैं उसे मार न डालती तो वह मेरी बेटी की जिंदगी को नरक बना देता. मजबूर हो कर मुझे उस की हत्या करनी पड़ी.’’

एसएचओ ने गिलास का पानी गीता की ओर बढ़ाते हुए कहा, ”यह लो पहले पानी पियो. मन को थोड़ा शांत करो, उस के बाद बताओ कि मेड़ीलाल ने तुम्हारे साथ या तुम्हारी बेटी के साथ ऐसा क्या किया कि तुम्हें उस की हत्या करनी पड़ी?’’

एसएचओ के हाथ से पानी का गिलास ले कर गीता ने थोड़ा पानी पिया. खाली गिलास सिपाही को पकड़ा कर साड़ी के पल्लू से मुंह और आंखें पोंछ कर सिसकते हुए गीता अपनी दुखभरी कहानी सुनाने लगी. गीता ने एसएचओ को अपनी जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी. हरियाणा की रहने वाली गीता की शादी दयाशंकर से हुई थी. दयाशंकर ठीक आदमी नहीं था. इसलिए गीता पति से परेशान रहती थी, लेकिन कोई ढंग का सहारा न मिलने की वजह से वह किसी तरह उस से निभा रही थी. दूसरों के घर काम कर के वह किसी तरह जीवन काट रही थी. उसी बीच उसे एक बेटी हो गई, जिस का नाम उस ने रोशनी रखा.

उसे लगा कि रोशनी के आने के बाद शायद उस के जीवन में रोशनी आ जाए, पर उस के जीवन में वैसा ही अंधेरा बना रहा. धीरेधीरे रोशनी बड़ी होने लगी, पर गीता के जीवन में वैसा ही अंधेरा बना रहा. अचानक एक दिन उस के जीवन में उत्तर प्रदेश के जिला रायबरेली के थाना गुरबख्शगंज के गांव दाउदपुर रामनगर का रहने वाला मेड़ीलाल आया. रोजीरोटी की तलाश में मेड़ीलाल हरियाणा गया था. जबकि उस का परिवार गांव में ही रहता था. गीता ने जब अपनी दुखभरी कहानी मेड़ीलाल को सुनाई तो उसे गीता से सहानुभूति हो गई और वह गीता की हर तरह से मदद करने लगा.

मेड़ीलाल पत्नी और बच्चों से दूर अकेला रहता था. गीता से मुलाकात होने के बाद मेड़ीलाल जब काम से घर आता तो गीता उसे एक गिलास पानी ही नहीं चाय भी बना कर देने लगी. मेड़ीलाल भी हर तरह से गीता का खयाल रखने लगा था. गीता जहां पति के प्यार से वंचित थी, वहीं मेड़ीलाल भी पत्नी से दूर था. दोनों को प्यार की नहीं, शरीर की भूख सताती थी. इसलिए उन्हें नजदीक आने में देर नहीं लगी. नजदीकी बढ़ी तो दोनों एक साथ रहने लगे, जिसे आज लिवइन कहा जाता है. मेड़ीलाल गीता की बेटी का भी खयाल रखता था. उस की पढ़ाई का खर्च उठाने के साथसाथ उस की हर जरूरत पूरी करता था. गीता की बेटी तब यही कोई 14 साल की थी.

सब कुछ बढिय़ा चल रहा था. गीता का साथ पाने के बाद मेड़ीलाल घर और परिवार को लगभग भूल सा गया था. शायद वह गांव लौट कर आता भी न. पर जब देश में कोरोना फैला तो बहुत लोगों के रोजगार चले गए. उन्हीं में एक मेड़ीलाल भी था. कोरोना की वजह से काम बंद हुआ तो मेड़ीलाल ने गांव लौटने का विचार किया. जब वह गांव जाने के लिए तैयार हुआ तो गीता ने कहा, ”तुम गांव चले जाओगे तो मेरा क्या होगा? मैं अकेली पड़ जाऊंगी. इतने दिन साथ रहने के बाद अब में तुम्हारे बिना रह नहीं पाऊंगी.’’

मेड़ीलाल जहां 55 साल का था, वहीं गीता 35 साल की थी. उस की पत्नी भी बूढ़ी हो चुकी थी. इस के अलावा गीता उस की पत्नी से सुंदर भी थी. यही सब सोच कर उस ने गीता से कहा, ”तुम ने ऐसा कैसे सोच लिया कि मैं तुम्हें छोड़ कर अकेला गांव जाऊंगा. अब तो जहां मैं रहूंगा, वहीं तुम्हें भी रखूंगा.’’

इस के बाद परिणाम की चिंता किए बगैर मेड़ीलाल गीता और उस की बेटी रोशनी को साथ ले कर गांव आ गया. मेड़ीलाल गीता के साथ घर पहुंचा तो घर में बवाल हो गया. फेमिली वालों ने गीता और रोशनी को घर में रखने से साफ मना कर दिया. मेड़ीलाल का गांव के बाहर थोड़ा खेत था, उसी में उस ने गीता के लिए झोपड़ी डाल दी. गीता के रहने की व्यवस्था हो गई. खर्च भी मेड़ीलाल ही उठाता था. वह कभी घर में रहता तो कभी गीता के साथ. इसी तरह समय बीतता रहा.

रोशनी का दाखिला यहां भी गीता ने एक स्कूल में करा दिया था. गीता अब तक 12वीं पास कर चुकी थी. उस की उम्र भी 19 साल हो गई थी. देखा जाए तो अब वह जवान हो गई थी. ऐसे में ही किसी दिन मेड़ीलाल की नजर उस पर पड़ी तो उस की नीयत बदल गई. फिर क्या था, वह बेटी की तो क्या पोती की उम्र की रोशनी के पीछे हाथ धो कर पड़ गया. मेड़ीलाल को लगता था कि वही उसे खिलातापिलाता है तो वह जो चाहेगा, उस के साथ कर लेगा. लेकिन रोशनी ने उसे छूने नहीं दिया. एक दिन तो उस ने हद ही कर दी. उस दिन उस ने उस के नाजुक अंगों पर हाथ लगा दिया.

मेड़ीलाल की इस हरकत पर रोशनी को गुस्सा आ गया. उस ने कह भी दिया, ”आज के बाद इस तरह की हरकत की तो ठीक नहीं होगा.’’

मेड़ीलाल को इस के बाद पीछे हट जाना चाहिए था. पर उस की मम्मी गीता को उस ने रखैल बना रखा था, इसलिए उसे लगता था कि बेटी भी वैसी ही होगी. आज नखरे कर रही है, पर कभी न कभी समर्पित ही हो जाएगी. पर ऐसा हुआ नहीं. उस ने उसी दिन मेड़ीलाल की शिकायत मम्मी से कर दी. प्रेमी की इस हरकत पर गीता सोच में पड़ गई. बेटी की जिंदगी का सवाल था. उसी का प्रेमी उस की बेटी की जिंदगी नरक बनाने पर तुला था. गीता जानती थी कि मेड़ीलाल समझाने से नहीं मानेगा. क्योंकि अब तक वह उस के स्वभाव से अच्छी तरह परिचित हो चुकी थी. इसलिए उस ने बेटी से सलाह कर के उसे खत्म करने का निर्णय ले लिया.

यह निर्णय लेने के बाद गीता मेड़ीलाल से मिली और उसे लालच दिया कि शाम को वह उस के घर आ जाए. रात में पार्टी करेंगे. उस के बाद रोशनी को समझाबुझा कर वह उस के पास भेज देगी. मेड़ीलाल तो यही चाहता था. रात होते ही वह शराब की बोतल ले कर गीता के घर पहुंच गया. गीता और रोशनी ने मेड़ीलाल को जम कर शराब पिलाई. जब वह विरोध करने की स्थिति में नहीं रहा तो गीता और रोशनी ने पहले तो लाठीडंडे से मेड़ीलाल की खूब पिटाई की. ज्यादा डंडे उस के सीने पर ही मारे, जिस से उस की पसलियां टूट गईं. उस के गुप्तांग पर भी डंडों से मारा. मार खातेखाते जब मेड़ीलाल बेहोश हो गया तो गीता और रोशनी ने चुन्नी से उस का गला घोंट दिया.

मेड़ीलाल का खेल खत्म कर गीता और रोशनी ने उस की लाश एक चादर में लपेटी और अपने घर से करीब 100 मीटर दूर ले जा कर झाडिय़ों में फेंक दी. इस के बाद अपने घर आ कर मांबेटी सो गईं. सवेरा होने पर देर तक मेड़ीलाल घर नहीं आया तो उस की खोज शुरू हुई. गांव में इधरउधर तलाशा गया, गीता के घर भी जा पर पूछा गया, लेकिन मेड़ीलाल का कुछ पता नहीं चला. दोपहर के करीब किसी व्यक्ति ने झाडिय़ों के बीच लाश देखी तो उस ने शोर मचाया तो गांव वालों ने उस लाश की शिनाख्त मेड़ीलाल के रूप में की. मेड़ीलाल के बेटे सुशील कुमार ने थाना गुरबख्शगंज जा कर पिता की हत्या की सूचना पुलिस को दी.

सूचना मिलते ही एसएचओ प्रवीण गौतम, सीओ (लालगंज) पुलिस बल एवं फोरैंसिक टीम के साथ गांव दाउदपुर रामनगर पहुंच गए. पुलिस ने लाश का निरीक्षण किया. उन्होंने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा कर परिवार के लोगों तथा गांव वालों से पूछताछ शुरू की. जब उस के चरित्र के बारे में पूछा तो गीता का नाम पुलिस के सामने आया. तब पुलिस गीता से पूछताछ करने लगी. पहले तो गीता पुलिस को इधरउधर की कहानियां सुनाती रही, पर उस की बौडी लैंग्वेज और बारबार झूठ बोलने पर पुलिस को शक हुआ तो पुलिस ने उसे विश्वास में लेने की कोशिश की. उस से कहा गया कि अगर वह सब कुछ सचसच बता देगी तो जितना हो सकेगा, पुलिस उस की मदद करेगी. इस के बाद गीता ने रोते हुए मेड़ीलाल की हत्या का अपराध स्वीकार करते हुए उस की हत्या की सारी कहानी सुना दी.

मेड़ीलाल की हत्या की सच्चाई जान कर पुलिस का मन भी द्रवित हो उठा, लेकिन अपराध तो अपराध है. गीता ने अपराध किया था, इसीलिए पुलिस ने उस के साथ उस की 19 साल की बेटी रोशनी को भी गिरफ्तार कर लिया. इसी के साथ वह चुन्नी भी बरामद कर ली, जिस से मेड़ीलाल का गला घोंटा गया था. उन डंडों को पुलिस ने बरामद कर लिया, जिन से मेड़ीलाल की पिटाई की गई थी. सारे सबूत जुटाने के बाद एसपी आलोक प्रियदर्शी ने प्रैस कौन्फ्रैंस कर के पत्रकारों को मेड़ीलाल की हत्या का खुलासा करते हुए आरोपियों के गिरफ्तार करने की सूचना दी. अगले दिन मांबेटी को रायबरेली की अदालत में पेश किया गया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया.

यह ऐसी सत्य घटना थी, जिस में एक मां गीता ने अपनी बेटी की इज्जत बचाने के लिए अपने प्रेमी और पालनहार की जान ले ली. लेकिन दूसरी जो घटना गोरखपुर की है, उस में अपनी हवस मिटाने के लिए एक सुनीता ने बेटी को फंदे से लटकाने वाले प्रेमी को बचाने की कोशिश की. गोरखपुर का एक थाना है कैंपियरगंज. इसी थाने के अंतर्गत एक परिवार रहता था, जिस के मुखिया मुंबई में रहते थे. पत्नी सुनीता और 15 साल की बेटी रजनी गांव में ही रहती थी. बेटी 9वीं क्लास में पढ़ती थी. पति के बाहर होने की वजह से घर और बाहर के सारे काम सुनीता ही देखती थी. इन्होंने एक गाय भी पाल रखी थी, जिस का दूध बेच कर कुछ पैसे कमा लेती थीं. इस के अलावा पति कुछ पैसे भेज देता था, जिस से मांबेटी का गुजारा आराम से हो जाता था.

गाय के लिए भूसे की जरूरत पड़ती थी. भूसा थाना पीपीगंज के अंतर्गत आने वाले गांव जंगल अगही के रहने वाले सुनील गौड़ से खरीदती थीं. जब भी इन्हें भूसे की जरूरत पड़ती, वह सुनील गौड़ को फोन कर देतीं, सुनील भूसा पहुंचा देता था. अगर पैसे होते तो उसी समय दे देतीं, न होते सुनील को बाद में ले जाने के लिए कह दिया जाता. सुनील को भी ऐतराज नहीं होता, क्योंकि वह हमेशा उसी से भूसा लेती थीं. सुनीता अभी जवान थी. पति परदेश में रहता था. साल, डेढ़ साल में महीने, 2 महीने के लिए आता था और फिर वापस चला जाता था. इतने दिनों में उस की पति के साथ रहने की हसरतें अधूरी ही रह जाती थीं. जबकि सुनीता चाहती थी कि उस का पति हमेशा उस के साथ रहे.

प्यार की भूखी सुनीता के घर जब सुनील का आनाजाना बढ़ा तो वह उस में पति वाला प्यार ढूंढने लगी. सुनील जवान और कुंवारा था, इसलिए वह किसी भी औरत के प्यार की तलाश में रहता था. सुनील को सुनीता की आंखों में अपने लिए प्यार दिखाई दिया तो उसे उस के करीब आते देर नहीं लगी. क्योंकि आग दोनों ओर लगी थी. सुनीता और सुनील के बीच संबंध बने तो जब देखो, तब सुनील सुनीता के घर आनेजाने लगा. घर में कोई मर्द तो था नहीं कि रोकटोक होती, इसलिए सुनील कभीकभी रात को भी सुनीता के घर रुक जाता.

सुनीता की बेटी रजनी नाबालिग जरूर थी, पर इतनी भी छोटी नहीं थी कि उसे यह न पता चलता कि उस की मम्मी और सुनील के बीच क्या चल रहा है. कुछ दिनों तो वह चुप रही, लेकिन जब बात हद से ज्यादा बढ़ी तो वह मम्मी के इस संबंध का विरोध करने लगी. वह सुनील को अपने घर आने से रोकने लगी. इस से सुनील को भी परेशानी होने लगी और सुनीता को भी. क्योंकि न तो सुनीता सुनील को छोडऩा चाहती थी और न ही सुनील सुनीता को. जब इस मामले पर सुनीता और सुनील ने सलाह की तो उन्होंने इस का एक ही हल निकाला कि रजनी को भी इस की लत लगा दी जाए. उस के बाद न तो वह किसी से इस बात की शिकायत कर सकेगी और न ही विरोध कर सकेगी.

फिर क्या था, सुनील तो चाहता ही यही था. रजनी अभी कुंवारी थी. हर मर्द ऐसी लड़कियों को पाना चाहता है. सुनील गौड़ प्रेमिका सुनीता की बेटी रजनी पर भी डोरे डालने लगा. सुनीता की ओर से उसे पूरी छूट थी, इसलिए वह उस से शारीरिक छेड़छाड़ भी करने लगा. इस तरह जल्दी ही रजनी सुनील के जाल में फंस गई और अपना सब कुछ सुनील को दे बैठी. फिर तो सुनील की चांदी हो गई. वह मांबेटी से संबंध बनाता. यह सब इसी तरह चलता रहा. सुनीता के सुनील से संबंध केवल शारीरिक भूख मिटाने के लिए थे. पर रजनी को तो सुनील से प्यार हो गया था. जबकि उसे पता था कि सुनील के उस की मम्मी से भी संबंध हैं.

इस के बावजूद वह सुनील को इस कदर चाहने लगी कि उसे लगने लगा कि वह सुनील के बगैर नहीं रह सकती. इसलिए वह सुनील पर शादी के लिए दबाव डालने लगी. जबकि सुनील ने केवल मौजमजे के लिए मांबेटी से संबंध बनाए थे. रजनी पहले तो सुनील से ऐसे ही विवाह के लिए कहती रही. पर जब देखा कि सुनील गंभीर नहीं है तो वह उस के पीछे पड़ गई. जब सुनील के लिए रजनी गले की हड्डी बनने लगी तो वह परेशान रहने लगा. उस ने यह बात अपने ही टोले के रहने वाले अपने दोस्त दुर्गेश यादव को बताई तो उस ने साफ कहा, ”अगर प्रेमिका गले की हड्डी बन रही है तो निकाल फेंको, वरना तुम्हारी ही जान ले लेगी.’’

इस के बाद सुनील रजनी को रास्ते से हटाने के बारे में सोचने लगा. आखिर एक दिन उसे मौका मिल गया. सुनीता के किसी रिश्तेदार की मौत हो गई थी. पति बाहर था, इसलिए संवेदना व्यक्त करने उसे ही जाना पड़ा. बेटी को घर में अकेली छोड़ कर वह रिश्तेदार के यहां संवेदना व्यक्त करने चली गई. शाम को सुनीता लौट कर आई तो उसे बेटी रजनी की साड़ी से लटकी लाश मिली. रोते हुए उस ने यह बात पड़ोसियों को बताई तो मोहल्ले की तमाम महिलाएं व पुरुष संवेदना व्यक्त करने पहुंच गए. उसी दौरान किसी पड़ोसी ने यह जानकारी थाना कैंपियरगंज पुलिस को दे दी.

पहली नजर में पुलिस को लगा कि यह सुसाइड का मामला है, लेकिन जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो पता चला कि यह सुसाइड का मामला नहीं, बल्कि रजनी की गला दबा कर हत्या की गई थी. यही नहीं, हत्या से पहले उस के साथ शारीरिक संबंध भी बनाया गया था. पुलिस चौंकी, क्योंकि रजनी अभी नाबालिग थी. पुलिस को शुरुआती जांच में घर में जोरजबरदस्ती के कोई निशान नहीं मिले थे. मां सुनीता से भी पूछताछ की गई कि लड़की का किसी से प्रेमसंबंध तो नहीं था?

सुनीता ने भी मना कर दिया. तब पुलिस ने घर के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. इस काल डिटेल्स से पता चला कि इस नंबर से एक नंबर पर रोजाना लंबीलंबी बातें होती थीं. पुलिस ने उस नंबर के बारे में पता किया तो वह नंबर थाना पीपीगंज के गांव जंगल अगही के टोला भरवल के रहने वाले सुनील गौड़ का निकला. पुलिस ने सुनील को हिरासत में ले कर पूछताछ शुरू की तो हर अपराधी की तरह उस ने भी पहले इधरउधर की कहानियां सुनाईं. लेकिन जब पुलिस अपनी पर आई तो उस ने सारी सच्चाई उगल दी. उस ने रजनी की हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया और रजनी से शारीरिक संबंध बनाने से ले कर हत्या तक की पूरी कहानी सुना दी.

रजनी सुनील पर विवाह के लिए दबाव डाल रही थी, इसलिए सुनील अब उस से पीछा छुड़ाना चाहता था. 26 सितंबर को जब सुनील को पता चला कि रजनी घर में अकेली है तो वह अपने दोस्त दुर्गेश यादव के साथ उस के घर पहुंच गया. पहले तो उस ने रजनी के साथ शारीरिक संबंध बनाए. इस के बाद जब रजनी ने विवाह की बात की तो उस ने विवाह करने से साफ मना कर दिया. फिर तो रजनी बिफर उठी और सुनील से उलझ गई. पीछा छुड़ाने के लिए सुनील ने रजनी की गला दबा कर हत्या कर दी.

इस बीच दुर्गेश घर के बाहर बैठा निगरानी करता रहा. हत्या करने के बाद सुनील ने दुर्गेश को अंदर बुलाया और उस की मदद से आंगन में फैली सुनीता की साड़ी में फंदा बना कर रजनी की लाश को लटका दिया, ताकि लगे कि रजनी ने आत्महत्या की है. अपना काम कर के दोनों अपनेअपने घर चले गए. रजनी की मम्मी सुनीता को पता था कि यह काम कौन कर सकता है, पर अपना पाप छिपाने के चक्कर में उस ने यह बात पुलिस को नहीं बताई थी.

सुनील गौड़ के अपराध स्वीकार करने के बाद पुलिस ने दुर्गेश यादव को भी गिरफ्तार कर लिया. इस के बाद एसएसपी गोरखपुर डा. गौरव ग्रोवर ने पुलिस लाइन में पत्रकार वार्ता कर के इस बात की जानकारी दी और थाना कैंपियरगंज में आरोपियों के खिलाफ हत्या और पोक्सो ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर के अदालत में पेश किया गया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया. यह तीसरी घटना है गुजरात के जिला भुज की. भुज का एक थाना है मुंद्रा मरीन. इसी थाने के अंतर्गत आने वाले गांव हमीरमोरा के रहने वालों ने समुद्र के किनारे एक लाश पड़ी देखी. यह जानकारी उन्होंने थाना मुंद्रा मरीन पुलिस को दी तो थाना पुलिस तुरंत घटनास्थल पर पहुंच गई.

लाश की स्थिति काफी खराब थी. इस से साफ लग रहा था कि हत्या कई दिनों पहले की गई थी. पुलिस ने लाश की शिनाख्त कराने की कोशिश की, पर पता चला कि यह महिला वहां की रहने वाली नहीं है. पुलिस ने लाश के फोटो करवा कर वह पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी और थाने आ कर उस की शिनाख्त की कोशिश करने लगी. काफी कोशिश के बाद भी जब लाश की शिनाख्त नहीं हो सकी तो पुलिस ने फोटो से महिला का स्केच बनवा कर उस के पैंफ्लेट छपवा कर सार्वजनिक स्थानों पर लगवाए, लेकिन इस का भी कोई फायदा नहीं हुआ.

पुलिस ने उस स्थान का मोबाइल का डंप डाटा निकलवाया, जहां वह लाश मिली थी. जब इस डंप डाटा की स्क्रीनिंग की गई तो उस में 2 नंबर ऐसे मिले, जो वहां के रहने वालों के नहीं थे. जब इस बारे में पुलिस ने गांव वालों से पूछताछ की तो गांव के एक आदमी ने बताया, ”जी साहब, कुछ दिनों पहले 3 लोग यहां दिखाई दिए थे, जो यहां के रहने वाले नहीं थे. उन लोगों ने यहां पार्टी वगैरह की थी. उस के बाद चले गए थे.’’

पुलिस को डंप डाटा से बाहर के 2 नंबर मिले थे. इस से पुलिस को लगा कि वे दोनों नंबर उन्हीं लोगों के हो सकते हैं, जो बाहर से आए थे.

इस के बाद पुलिस ने उन लोगों के बारे में पता कराया तो जानकारी मिली कि ये नंबर नवावास के रहने वाले योगेश और नारण के थे. इस के बाद पुलिस ने घटना के लगभग एक महीने बाद लोकेशन के आधार पर योगेश और नारण को उठा लिया. थाने में योगेश और नारण से पूछताछ की तो पहले तो दोनों पुलिस को घुमाने की कोशिश करते रहे. लेकिन जब पुलिस ने सख्ती दिखाई तो उन्होंने लक्ष्मी की हत्या की बात स्वीकारते हुए असली कहानी सुनानी शुरू कर दी. पुलिस ने दोनों को विधिवत गिरफ्तार कर लिया. फिर जो कहानी निकल कर सामने आई, वह इस तरह थी.

इस कहानी को जानने के लिए 9 साल पीछे जाना होगा. मूलरूप से जूनागढ़ के रहने वाले जितेंद्र भट्ट को 9 साल पहले लक्ष्मी बेकरिया से प्यार हो गया. लक्ष्मी शादीशुदा ही नहीं, 3 बच्चों की मां थी, लेकिन पति से न पटने के कारण उस का झुकाव जितेंद्र की ओर हो गया तो वह पति को छोड़ कर जितेंद्र के साथ रहने लगी थी. उस ने एक बेटे को तो पति के पास छोड़ दिया था, जबकि एक बेटी और एक बेटे चेतन को साथ रख लिया था. बाद में उस ने पति से तलाक ले कर जितेंद्र से विवाह भी कर लिया था.

जब तक बच्चे छोटे थे, तब तक तो जितेंद्र की कमाई से घर का खर्च चलता रहा, लेकिन जब बच्चे बड़े हो गए तो घर का खर्च भी बढ़ गया. अब तक लक्ष्मी भी बच्चों की देखभाल से फुरसत पा गई थी. इस के बाद आमदनी बढ़ाने के लिए वह भी काम की तलाश में बाहर निकली. उसे कोई और काम नहीं मिला तो वह रंगरोगन का काम करने लगी. क्योंकि यह काम उसे आता था. इसी रंगरोगन का काम करने के दौरान उस की मुलाकात योगेश जोतियाना से हुई तो वह उसे दिल दे बैठी. इस के बाद दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बन गए. फिर तो योगेश लक्ष्मी के घर भी आनेजाने लगा.

जितेंद्र को पता चल गया कि उस की पत्नी का संबंध योगेश से हो गया है, लेकिन योगेश थोड़ा अपराधी प्रवृत्ति का था, इसलिए जितेंद्र उस से कुछ कहने या उसे रोकने से घबराता था. दूसरी ओर लक्ष्मी भी पति का कहना नहीं मानती थी. ऐसे में योगेश का जब मन होता, लक्ष्मी के घर आ धमकता. लक्ष्मी के घर आनेजाने में योगेश की नजर लक्ष्मी की नाबालिग बेटी पर पड़ी तो वह अधेड़ लक्ष्मी के सहारे उसे पाने के रास्ता खोजने लगा. वह लक्ष्मी की बेटी पर भी डोरे डालने लगा. जिस घर में अनैतिक काम हो रहा हो, उस घर के बच्चों को बहकते देर नहीं लगती. लक्ष्मी की बेटी भी जल्दी ही योगेश के झांसे में आ गई और उसे अपना सब कुछ सौंप बैठी.

जल्दी ही बेटी और योगेश के संबंधों की जानकारी लक्ष्मी को तो हो ही गई, जितेंद्र को भी हो गई. तब जितेंद्र ने पत्नी को ताना मारा, ”देख लिया न अपनी अय्याशी का नतीजा. तुम्हारी ही वजह से आज नाबालिग बेटी की जिंदगी बरबाद हो रही है.’’

बेटी भले ही लक्ष्मी के पहले पति की थी, लेकिन जितेंद्र का अपना कोई बच्चा न होने की वजह से वह लक्ष्मी के पहले पति के बच्चों को अपने बच्चों की तरह मानता था. इसलिए बेटी के गलत रास्ते पर जाने की वजह से वह परेशान तो था ही, इस की वजह भी पत्नी लक्ष्मी को मानता था. योगेश और बेटी के संबंधों के बारे में जान कर लक्ष्मी भी परेशान थी. उस ने बेटी को समझाया. पर बेटी नहीं मानी तो उस ने योगेश को घर आने से रोक दिया, लेकिन अब तक बेटी शारीरिक संबंधों की आदी हो चुकी थी और योगेश का भी वही हाल था. अब दोनों के बीच में लक्ष्मी कांटा बन रही थी, इसलिए दोनों ने सलाह की कि लक्ष्मी नाम के इस कांटे को ही निकाल फेंका जाए.

योगेश ने अपने एक दोस्त नारण से बात की तो वह योगेश का साथ देने को तैयार हो गया. 10 जुलाई, 2023 को योगेश ने लक्ष्मी को फोन कर के कहा, ”चलो, कहीं घूम कर आते हैं.’’

पहले तो लक्ष्मी ने मना किया, पर जब योगेश ने मिन्नतें की तो लक्ष्मी साथ चलने को तैयार हो गई. नारण के पास अपनी कार थी. योगेश नारण की कार में लक्ष्मी को बैठा कर थाना मुंद्रा मरीन के अंतर्गत आने वाले गांव हमीरमोरा पहुंचा. पहले तो तीनों ने शराब पी. उस के बाद योगेश ने लक्ष्मी के साथ संबंध बनाए और फिर गला दबा कर उस की हत्या कर दी. लक्ष्मी की हत्या कर उस की लाश को वहीं समुद्र किनारे बालू में दबा कर योगेश और नारण नवावास लौट आए.

समुद्र की लहरों की वजह से लाश के ऊपर की बालू हट गई तो गांव वालों की नजर उस पर पड़ गई और बात पुलिस तक जा पहुंची. इस के बाद काफी प्रयास कर महीनों बाद पुलिस ने लाश की शिनाख्त कर आरोपियों को पकड़ा. पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि मां की हत्या में नाबालिग बेटी का कितना हाथ है. पुलिस ने जब लक्ष्मी के पति जितेंद्र से पूछा कि उस ने पत्नी की गुमशुदगी क्यों नहीं दर्ज कराई तो जितेंद्र ने कहा, ”साहब, जब मैं ने पहले इसे योगेश से मिलनेजुलने से रोका था, तब इस ने मुझ से कहा था कि उसे मेरे साथ रहना हो तो रहे, वरना चला जाए. उस का जहां मन होगा जाएगी. साहब, इसीलिए मुझे लगा कि वह योगेश के साथ कहीं गई होगी. जब उस का मन भर जाएगा तो वापस आ जाएगी.’’

जितेंद्र के इस बयान में जो दर्द था, उसे सुनने वाले हर व्यक्ति ने महसूस किया. पुलिस ने पूछताछ के बाद योगेश और नारण को जेल भिजवा दिया है. UP News

—कथा में कुछ पात्रों के नाम परिवर्तित हैं

 

 

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...