Uttarakhand Crime : संजय बालियान ने हर्षित के अपहरण और फिरौती की जो योजना बनाई थी, उस में वह कामयाब भी रहा. लेकिन इस पूरे मामले में भूल कहां हुई कि अपराध की सफलता का जश्न मनाने के पहले ही वह साथियों समेत पकड़ा गया. भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) में सहायक निदेशक के पद पर तैनात गिरीश तायल का परिवार उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के पौश इलाके इंजीनियर्स एनक्लेव स्थित आलीशान कोठी में रहता था. उन के परिवार में पत्नी लक्ष्मी तायल के अलावा 2 बड़ी बेटियां और एक बेटा हर्षित था. गिरीश तायल की तैनाती उत्तर प्रदेश के जिला मुजफ्फरनगर में थी, इसलिए वह कभीकभी ही घर आ पाते थे.

आर्थिक रूप से समृद्ध तायल का बेटा हर्षित शहर के ही एक प्रतिष्ठित स्कूल में कक्षा 12 में पढ़ता था. व्यक्ति कितना भी अमीर व गरीब क्यों न हो, समय उस के साथ अपने हिसाब से ही चाल चलता है. 29 नवंबर की ठंडक भरी शाम के करीबन सवा 7 बजे का वक्त था. 18 वर्षीय हर्षित तायल स्कूटी से अपने मोबाइल को रिचार्ज कराने के लिए जीएमएस रोड की तरफ घर से निकला. गिरीश तायल उस दिन घर पर ही थे. हर्षित को घर से निकले लगभग एक घंटा हो गया. इतनी देर तक वह वापस नहीं आया तो गिरीश को उस की चिंता हुई. उन के दिमाग में यह भी  खयाल आया कि कहीं वह अपने दोस्तों के साथ बातचीत में तो नहीं लग गया.

कुछ समय और बीता तो फिक्र की डगर पर चलना उन की मजबूरी हो गई. उन्होंने उस का मोबाइल मिलाया, लेकिन पूरी घंटी जाने के बाद भी उस ने फोन नहीं उठाया. उन्होंने दोबारा फोन किया तो उस का फोन बंद मिला. इस के बाद उन्होंने जितनी बार फोन किया, हर बार उस का फोन स्विच औफ ही बताया. गिरीश तायल परेशान हो गए कि हर्षित का फोन स्विच औफ क्यों हो गया है? लड़का हो या लड़की, जब तक बाहर जाने के बाद घर न आ जाए, तब तक मातापिता को चिंता सताती है. अगले आधे घंटे तक भी हर्षित घर नहीं आया तो गिरीश ने अपने परीचितों को यह बात बताई. परिचित उन के घर आ गए और हर्षित की खोज में निकल पड़े.

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