Superstition : आढ़ती सुनील कुमार सूद की लाखों की कमाई थी. इस के बाद भी उस ने लालच में आ कर ऐसा कौन सा गुनाह कर डाला कि लाखों रुपए तो गंवाए ही, जेल भी पहुंच गया. लुधियाना पुलिस कंट्रोल रूम को 20 नवंबर, 2014 की शाम साढ़े सात बजे के करीब फोन द्वारा सुनील कुमार सूद ने सूचना दी. कि 3 लोगों ने धांधरा रोड पर उस से 12 लाख रुपए लूट लिए हैं, तुरंत उस की मदद की जाए. पुलिस कंट्रोल रूम ने तुरंत इस घटना की सूचना थाना सदर पुलिस को दी, क्योंकि घटनास्थल उसी थाना के अंतर्गत था.
थाना सदर पुलिस ने घटना की जानकारी उच्चाधिकारियों को देने के साथ पुलिस चौकी बसंत एवेन्यू को दी, क्योंकि घटनास्थल वहां से करीब था. सरेआम हुई इस लूट की सूचना मिलते ही थाना सदर के थानाप्रभारी इंसपेक्टर जतेंद्रजीत सिंह, पुलिस चौकी बसंत एवेन्यू के चौकीप्रभारी सबइंसपेक्टर पवित्र सिंह, हेडकांस्टेबल जसबीर सिंह, दलबीर सिंह, सुखविंदर सिंह के साथ धांधरा रोड स्थित घटनास्थल पर पहुंच गए.
लूट का शिकार हुए सुनील कुमार सूद अपने बेटों अंकुश और अंकुर के साथ वहां मौजूद थे. थानाप्रभारी जतेंद्रजीत सिंह ने उन से घटना के बारे में पूछा तो सुनील कुमार ने बताया, ‘‘मैं धंधरा गांव का रहने वाला हूं और गांव में ही मेरी आढ़त है. आज पूरे दिन लुधियाना से उगाही कर के मैं घर लौट रहा था तो एक व्यापारी ने पेमेंट देने के लिए फोन किया. उस समय मेरे पास पूरे दिन की उगाही के लगभग 12 लाख रुपए थे. इतनी बड़ी रकम ले कर मैं वापस नहीं जाना चाहता था.
‘‘इसलिए मैं ने गाड़ी रोक कर अपने बेटे अंकुश को फोन किया कि वह आ कर मुझ से रुपए ले जाए, क्योंकि मुझे कुछ और पेमेंट लेने जाना है. फोन कर के मैं गाड़ी से उतर कर बेटे का इंतजार करने लगा. उसी बीच 2 लड़कों ने मुझ से लुधियाना का एक पता पूछा. मैं ने पता बता दिया तो उन लड़कों ने कहा कि मैं उन्हें गाड़ी से लुधियाना तक छोड़ दूं.
‘‘मैं बेटे का इंतजार कर रहा था, इसलिए मैं ने मना कर दिया. मेरी उन लड़कों से बात हो रही थी कि तभी अंकुश आ गया. नोटों वाला बैग निकाल कर मैं ने बेटे को देने के लिए उस की ओर बढ़ाया. बेटा बैग पकड़ पाता, उस के पहले ही उन दोनों लड़कों ने झपट्टा मार कर नोटों वाला बैग मेरे हाथ से छीन लिया. मैं कुछ समझ पाता या उन का विरोध करता, तेजी से एक गोल्डन रंग की वरना कार आई, जिस में दोनों युवक सवार हो कर भाग गए. लेकिन उन के जातेजाते मैं ने कार का नंबर नोट कर लिया था.
इंसपेक्टर जतेंद्रजीत सिंह और सबइंसपेक्टर पवित्र सिंह सुनील कुमार सूद से पूछताछ कर ही रहे थे कि एडीसीपी (क्राइम) हरिमोहन सिंह एडीसीपी-3 परमजीत सिंह पन्नू, एसीपी (देहात) गुरप्रीत सिंह भी घटनास्थल पर आ पहुंचे थे. इन अधिकारियों के वहां आने की वजह यह थी कि चंद रोज पहले ही बदमाशों ने शहर के एक नामी मिष्ठान व्यापारी के घर फिल्म स्पैशल 26 की तरह फर्जी इन्कमटैक्स अधिकारी बन कर चालीस लाख रुपए की लूट की थी.
आढ़ती सुनील कुमार सूद ने लूट की जो कहानी इंसपेक्टर जतेंद्रजीत सिंह को सुनाई थी, उन्हें वह काफी संदिग्ध लगी, क्योंकि उस की कहानी में काफी पेंच थे. मसलन वह आबादी से दूर सुनसान जगह पर खड़े हो कर अपने बेटे का इंतजार क्यों कर रहा था? अंधेरे में लुटेरों की कार का नंबर नोट कर लेना. उस ने जिस जगह पर लूट होने की बात बताई थी, वह जगह थोड़ा वीरान जरूर थी, लेकिन उस से कुछ ही दूरी पर मकान और दुकानें थीं, जिस की वजह से वहां चहलपहल थी. कोई भी आदमी, वह भी व्यापारी, चहलपहल वाली जगह छोड़ कर सुनसान में क्यों खड़ा होगा?
बहरहाल, इंसपेक्टर जतेंद्रजीत सिंह के आदेश पर चौकीप्रभारी पवित्र सिंह ने इस मामले को अपराध संख्या-178 पर भादंवि. की धारा 382-34 के तहत अज्ञात लुटेरों के खिलाफ दर्ज करा कर जांच शुरू कर दी. थानाप्रभारी ने इस मामले की जांच में मदद के लिए लालतो के चौकीप्रभारी सबइंसपेक्टर गुरबख्शीश सिंह को भी लगा दिया था. पुलिस अधिकारियों ने तमाम नाकों और चंडीगढ़हरियाणा की सीमाओं पर कार का नंबर दे कर अलर्ट घोषित करा दिया. इसी के साथ अपने मुखबिरों को भी यह पता लगाने के लिए लगा दिया कि मामले की सच्चाई क्या है?
अगले दिन सुबह सबइंसपेक्टर गुरबख्शीश सिंह ने आढ़ती सुनील कुमार सूद का दुगड़ी के इंडियन बैंक की जिस शाखा में खाता था, वहां सीसीटीवी फुटेज चैक की तो पता चला कि 20 नवंबर को उस का बेटा अंकुश 2 बार बैंक आयागया था. पहली बार वह 1 बज कर 42 मिनट पर बैंक में गया था और 1 बज कर 51 मिनट पर बाहर निकला था. दूसरी बार वह 3 बज कर 8 मिनट पर बैंक गया था तो 3 बज कर 28 मिनट पर बाहर निकला था. बैंक से जब उस के आनेजाने के बारे में पता किया गया तो पता चला कि उस दिन अंकुश ने इंडियन बैंक की उस शाखा से 10 लाख रुपए निकलवाए थे. इस बात ने सुनील कुमार सूद की उस बात को झूठा साबित कर दिया कि उस ने पूरे दिन घूमघूम कर व्यापारियों से उगाही की थी.
पुलिस को शुरू से ही यह मामला संदिग्ध लग रहा था, इसलिए चौकीप्रभारी पवित्र सिंह ने हेडकांस्टेबल जसबीर सिंह और सुखविंदर सिंह को सुनील के बारे में पता लगाने की जिम्मेदारी सौंप दी. दोनों ने अपने सूत्रों से जो जानकारी जुटाई, उस के अनुसार सुनील कुमार का उठनाबैठना गुरविंदर, राजवीर, कुलदीप और शिवपाल के साथ था. ये चारों युवक आपराधिक प्रवृत्ति के थे और पिछले लगभग 2 महीने से सुनील के संपर्क में थे. इन चारों के अलावा एक राजमिस्त्री बलबीर इधर कुछ दिनों से सुनील के पास कुछ ज्यादा ही आताजाता था.
दूसरी ओर सबइंसपेक्टर गुरबख्शीश सिंह ने लूट में प्रयुक्त कार का पता लगा लिया था. वह कार फजिल्का के रहने वाले जतिंद्र सिंह की थी. जतिंद्र से पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि वह कार उस ने दिल्ली से खरीदी थी और कुछ दिनों पहले गुरविंदर उस से मांग कर ले गया था. अब तक हुई जांच से काफी हद तक यह साफ हो गया था कि लूट नहीं हुई थी, बल्कि लूट का ड्रामा रचा गया था. अब सवाल यह उठा कि क्यों? इसी क्यों का पता लगाने के लिए चौकीप्रभारी पवित्र सिंह राजमिस्त्री बलबीर को पूछताछ के लिए पुलिस चौकी ले आए.
पूछताछ में पहले तो उस ने इस मामले में अनभिज्ञाता प्रकट की. उस ने कहा कि वह किसी सुनील कुमार सूद को नहीं जानता. चूंकि पवित्र सिंह को सच्चाई का पता चल गया था, इसलिए उन्होंने उस से स्वीकार करा लिया कि वह सुनील कुमार सूद को ही नहीं, गुरविंदर, राजवीर, कुलदीप और शिवपाल को भी जानता है. इस के बाद उस ने लूट के नाटक की जो कहानी सुनाई, वह अंधविश्वास, लालच और ठगी के तानेबाने में बुनी थी. लुधियाना के धंधरा गांव का रहने वाला बलबीर राजमिस्त्री का काम कर के अपने परिवार का गुजरबसर करता था. उस के लिए परेशानी यह थी कि काफी मेहनत करने के बाद भी उस की आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं हो रहा था.
राजमिस्त्री का काम करने के साथसाथ उस ने मकान बनाने के छोटेमोटे ठेके भी लिए, लेकिन इस में भी उसे कोई खास लाभ नहीं हुआ. परेशान बलबीर पीरबाबाओं के यहां चक्कर लगाने लगा. उसे पूरा विश्वास था कि इन पीरबाबाओं की कृपा से एक न एक दिन उस के दिन जरूर बदल जाएंगे. किसी पीर की मजार पर एक दिन उसे किसी ने बताया कि वह एक ऐसे तांत्रिक को जानता है, जो तंत्रमंत्र से नोटों को दोगुना कर देता है. अगर किसी के पास सोनाचांदी है तो उसे भी वह अपने मंत्रों की ताकत से दोगुना कर देता है.
यह जानकारी मिलने के बाद बलबीर के मन में उथलपुथल मच उठी. उस ने उस आदमी से तांत्रिक से मिलवाने का आग्रह किया. काफी टालमटोल के बाद आखिर उस आदमी ने बलबीर को गिद्दड़बाहा के रहने वाले सुरजीत सिंह के बेटे गुरविंदर सिंह से मिलवा दिया. गुरविंदर सिंह झाड़फूंक और तंत्रमंत्र का काम करता था. बलबीर ने उस के कहने पर कुछ रकम अपने घर से तो कुछ ब्याज पर ले कर कुल 80 हजार रुपए दोगुना करने के लिए उसे दे दिए. वैसे तो गुरविंदर सिंह एक तांत्रिक के रूप में काफी प्रसिद्ध था, लेकिन उसे तंत्रमंत्र का कखग भी नहीं आता था. वह तंत्रमंत्र के नाम पर ठगी करता था.
वह अपने साथियों राजवीर सिंह उर्फ राजा, शिवाल सिंह उर्फ काला तथा कुलदीप सिंह उर्फ कीपा की मदद से अकल के अंधे, अंधविश्वास में जकड़े लालची लोगों को नोट दोगुने करने का झांसा दे कर उन के रुपए ठग लेता था. बहरहाल, घर बैठे जब 80 हजार का बलबीर नामक बकरा उस के पास आया तो उस ने उसे हलाल कर दिया. नोट ले कर एक लिफाफा बलबीर को थमा कर उस ने कहा, ‘‘इसे ले जा कर घर में पूजास्थल पर रख देना और 3 दिनों बाद खोलना. तुम्हारे रुपए दोगुने हो जाएंगे.’’
बलबीर लिफाफा ले कर घर आ गया और उसे पूजास्थल पर रख दिया. लेकिन जैसा तांत्रिक गुरविंदर सिंह ने कहा था, वैसा नहीं हुआ. लिफाफे में रुपयों की जगह राख निकली. बलबीर को समझते देर नहीं लगी कि उस के साथ ठगी हुई है. लेकिन यह ऐसा मामला था कि वह पुलिस के पास भी नहीं जा सकता था. इसलिए उस ने गुरविंदर के पास जा कर अपने रुपए मांगे. तब गुरविंदर ने कहा कि उस ने उस के द्वारा बताए समय पर लिफाफा नहीं खोला, इसीलिए सारे रुपए राख हो गए. लेकिन जब बलबीर ने उसे धमकी दी कि वह उसे जगहजगह बदनाम कर देगा और पुलिस के पास भी जाएगा, तब जा कर गुरविंदर ने उस से रुपए लौटाने का वादा कर लिया. लेकिन जब काफी समय तक उस ने बलबीर के रुपए नहीं लौटाए तो बलबीर को चिढ़ होने लगी, क्योंकि उस पर ब्याज चढ़ रहा था.
बलबीर ने गुरविंदर पर रुपए लौटाने के लिए दबाव बनाया तो एक दिन गुरविंदर ने साफसाफ कह दिया. ‘‘भाई साफ बात तो यह है कि जब तक हमारे पास कोई नया शिकार नहीं आता, तब तक हम तुम्हारे रुपए नहीं लौटा सकते. अगर तुम्हें रुपयों की ज्यादा जल्दी है तो तुम्हीं कोई शिकार हमारे पास ले आओ.’’
इस के बाद बलबीर किसी शिकार की तलाश में लग गया. अचानक उसे आढती सुनील कुमार सूद की याद आई. सुनील उन दिनों संत समुंद्र सिंह नगर में नई कोठी बनवा रहा था. बलबीर उसे अच्छी तरह जानता था, क्योंकि कई दिनों तक उस ने उस की नई कोठी पर काम किया था. बलबीर जानता था कि सुनील लालची किस्म का आदमी है और नई कोठी बनवाने की वजह से उसे रुपयों की जरूरत भी है.
बलबीर सिंह नोट दोगुने करने की कहानी सुना कर सुनील पर चारा डालने लगा. जब सुनील उस के झांसे में नहीं आया तो गुरविंदर ने विश्वास जमाने के लिए अपने सहयोगियों शिवपाल और कुलदीप को भेजा. शिवपाल और कुलदीप ने सुनील को झूठी कहानियां गढ़ कर सुनाई कि वे किस तरह व्यापार में घाटा होने पर कंगाल हो गए थे और किस तरह तांत्रिक गुरविंदर ने उन का धन दोगुना कर के उन्हें बचाया था. इस तरह कुछ दिनों की मेहनत के बाद सुनील उन के जाल में फंस कर अपना धन दोगुना करवाने के लिए राजी हो गया.
योजना के अनुसार, 20 नवंबर, 2014 को सुनील ने गुरविंदर को परवोवाल रोड जी.के. एस्टेट स्थित अपने घर बुलाया. तय समय पर गुरविंदर अपने साथियों शिवपाल, कुलदीप और राजवीर के साथ सुनील के घर पहुंच गया. सभी ने एक खाली कमरे में आसन जमा कर तंत्रमंत्र का ड्रामा शुरू कर दिया. पूजा सामग्री के साथ कमरे में एक खाली कनस्तर भी रखा गया था. कुछ देर पूजापाठ करने के बाद गुरविंदर ने अभिमंत्रित जल खाली कनस्तर पर छिड़क कर उसे शुद्ध किया और सुनील द्वारा दिए गए 10 लाख रुपए उस में रख कर उस में ताला लगा चाबी सुनील को देते हुए कहा, ‘‘लो बच्चा, हम ने अपनी तंत्र शक्ति के माध्यम से तुम्हारा काम कर दिया है. कुछ देर में ये 10 लाख रुपए 20 लाख हो जाएंगे. लेकिन बच्चा हमें भूलना मत. कभीकभार सेवा कर दिया करना.’’
‘‘बिलकुल महाराज, मैं आप को आजीवन याद रखूंगा.’’ सुनील ने गुरविंदर के चरणों में माथा टेकते हुए कहा.
‘‘उठो बच्चा, ध्यान से सुनो. अब से ठीक 15 मिनट बाद यह ताला खोल रुपए निकाल लेना. इस में न एक सैकेंड की जल्दी होनी चाहिए और न देर.’’
सुनील को सारी बातें समझा कर गुरविंदर, शिवपाल, कुलदीप और राजवीर अपनी गाड़ी से चले गए. 15 मिनट बाद जब सुनील ने कनस्तर का ताला खोल कर देखा तो उस में रुपए की जगह एक थैले में राख भरी रखी थी. यह देख कर सुनील के पैरों तले से जमीन खिसक गई. वह समझ गया कि नोट दोगुने करने का लालच दे कर गुरविंदर उसे लूट ले गया है. वह इतना घबरा गया कि उस की समझ में ही नहीं आ रहा था कि क्या करे? जब उसे कुछ नहीं सूझा तो आननफानन में उस ने लूट की झूठी कहानी गढ़ कर ठगों को गिरफ्तार कराने के लिए गाड़ी का नंबर दे कर पुलिस में मुकदमा दर्ज करवा दिया.
लेकिन उस की कहानी में इतने पेंच थे कि इंसपेक्टर जतेंद्रजीत सिंह को ताड़ते देर नहीं लगी कि यह ड्रामा कर रहा है. बलबीर की निशानदेही पर पुलिस ने सुनील कुमार सूद, गुरविंदर, कुलदीप, राजवीर और शिवपाल को भी गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में सुनील कुमार ने बताया कि रुपए उस ने अपने हाथों से कनस्तर में रख कर ताला लगाया था और वहीं बैठा भी रहा. गुरविंदर ने रुपए कनस्तर से कब निकाल कर राख वाला झोला रख दिया, उसे पता ही नहीं चला.
सभी अभियुक्तों से पूछताछ के बाद इंसपेक्टर जतेंद्रजीत के आदेश पर चौकीप्रभारी पवित्र सिंह ने लूट के लिए दर्ज मुकदमे को खारिज कर नया मुकदमा पुलिस को गुमराह करने और झूठ बोलने की धाराओं के तहत दर्ज कराया. इस के बाद सभी अभियुक्तों को ड्यूटी मजिस्ट्रेट मिस शगुन की अदालत में पेश कर के 2 दिनों के पुलिस रिमांड पर लिया. रिमांड अवधि में अभियुक्तों की निशानदेही पर सबइंसपेक्टर पवित्र सिंह ने कार, 7 लाख 15 हजार रुपए नगद और खाली कनस्तर बरामद कर लिया. रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद 2 दिसंबर, 2014 को पुन: सभी अभियुक्तों को जिला मजिस्ट्रेट मनी अरोड़ा की अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया. Superstition
— कथा पुलिस सूत्रों प






