फोरेस्ट रेंजर भुवनेंद्र पचौरी और ऊषा के बच्चा न हुआ तो उन्होंने अनाथालय से एक बच्चा गोद ले लिया. बच्चे को दीपक नाम दे कर उस की अच्छी परवरिश की. उच्चशिक्षा हासिल कर दीपक सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी कर रहा था. इसी दौरान ऐसा क्या हुआ कि दीपक ने अपनी मां ऊषा की हत्या कर लाश अपने घर में ही दफन कर दी?

65 वर्षीय ऊषा देवी की तलाश में पुलिस टीम युद्धस्तर पर जुटी थी. जहांजहां उन के मिलने की संभावना थी, वहांवहां तो उन के बारे में पता किया गया, साथ ही तमाम सारे नएपुराने अपराधियों को भी कोतवाली में बुला कर पूछताछ की गई. लेकिन ऊषा देवी के बारे में कोई सुराग नहीं लगा. मुखबिर भी ऊषा देवी के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं दे सके.

ऊषा देवी की गुमशुदगी की रिपोर्ट 8 मई, 2024 को उन के द्वारा ग्वालियर के अनाथालय से 23 साल पहले गोद लिए दीपक पचौरी (25) ने स्वयं ग्वालियर की श्योपुर कोतवाली में अपने 2 मुंहबोले रिश्तेदारों के साथ दर्ज कराई थी. दीपक ने एसएचओ योगेंद्र सिंह जादौन को जो कुछ बताया, उस के अनुसार उस की मां कोतवाली थाने के अंतर्गत आने वाले वार्ड-7 की रेलवे कालोनी में अपने सेवानिवृत्तवन विभाग में रेंजर पति भुवनेंद्र पचौरी के साथ रहती थीं, लेकिन 2021 में हार्टअटैक से पति की हुई मौत के बाद मैं और मां साथ रह रहे थे.

दीपक पचौरी ने बताया कि 6 मई, 2024 की सुबह 10 बजे जिस वक्त मां अपनी आंखें चेक कराने अस्पताल जाने के लिए निकलीं तो वह घर पर ही था. शाम होने तक भी मां जब अस्पताल से लौट कर नहीं आईं तो उस ने अपने स्तर से उन्हें अस्पताल से ले कर हर संभावित स्थानों पर तलाशा, मगर उन का कुछ भी पता नहीं चला. ऊषा देवी के लापता होने की घटना को एसएचओ योगेंद्र सिंह जादौन ने गंभीरता से लेते हुए गुमशुदगी दर्ज कर ली. उन्होंने ऊषा देवी की गुमशुदगी की सूचना एसपी अभिषेक आनंद, एडिशनल एसपी सतेंद्र सिंह तोमर एवं एसडीओपी राजीव गुप्ता को देने के बाद तेजी से ऊषा देवी की तलाश शुरू कर दी.

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