True Crime Story: जिन लोगों को नहीं सुधरना होता, वे ठोकरें खाने के बाद भी नहीं सुधरते. मंजू के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ. अच्छा घर मिलने के बाद भी वह अपनी आदत से बाज नहीं आई और...

मथुरा प्रसाद अपने परिवर के साथ जिला हरदोई के अंतर्गत आने वाले गांव गोवर्धनपुर में रहते हैं. उन के 4 बेटों में 2 बेटे रमेश और अनिल खेती करते हैं. तीसरा बेटा परशुराम लखनऊ में नौकरी करता है. उन के छोटे बेटे सुनील की उम्र 30 वर्ष थी. घर में सभी उसे कल्लू कहते थे. सुनील बड़े भाइयों की तरह खेती कर के गुजरबसर करता था. बंटवारे के बाद उसे अलग खेत मिल गए थे. उस के खेत के पास ही रेवतीराम की भी जमीन थी. रेवतीराम जब खेतों पर काम कर रहा होता तो दोपहर में उस के घर से कोई न कोई खाना पहुंचाने आता. आसपड़ोस में खेत होने के कारण रेवतीराम और सुनील के संबंध काफी अच्छे थे. घर से आए खाने को दोनों मिलबांट कर खा लेते थे.

रेवतीराम पहले गांव बेहटा, थाना बांगरमऊ, जनपद उन्नाव में रहता था. 15 साल पहले उस ने एक विवाद के चलते एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी, जिस की वजह से उसे सालों जेल में रहना पड़ा था. जेल से निकलने के बाद उस ने गांव छोड़ दिया था और सपरिवार हरदोई के थाना मल्लावां के गांव भगवंतनगर में आ कर बस गया था. उस के परिवार में पत्नी वंदना सहित 6 औलाद थीं, 3 बेटे और 3 बेटियां. सब से छोटी मंजू बचपन से ही अल्हड़ और शोख स्वभाव की थी.

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