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मैनेजर विकास को जितेंद्र ने ही नौकरी पर रखा था

विकास यादव होटल का मैनेजर था और जितेंद्र यादव ने ही उसे मैनेजर के पद पर नियुक्त किया था. पूछताछ से यह भी पता चला कि विकास यादव का जितेंद्र के घर आनाजाना लगा रहता था.

होटल स्टाफ से पूछताछ के बाद पूजा यादव का माथा ठनका. वह सोचने लगीं कि कहीं विकास और निशा के बीच नाजायज संबंध तो नहीं थे, जिस के चलते दोनों ने मिल कर जितेंद्र की हत्या कर दी हो और निशा लूट का नाटक रच कर पुलिस को गुमराह कर रही हो. लेकिन बिना सबूत के दोनों पर शक नहीं किया जा सकता था. इस बारे में पूजा यादव ने सीओ कपिलदेव मिश्रा से विचारविमर्श किया. मिश्रा भी पूजा की बात से सहमत थे.

पूजा यादव के पास निशा का मोबाइल फोन था. उन्होंने उस के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई, जिस से पता चला कि एक विशेष नंबर पर वह रोजाना लंबीलंबी बातें किया करती थी. उस नंबर की जांच की गई तो वह फतेहपुर शहर के रामगंज पक्का तालाब निवासी विकास यादव का निकला. यह विकास यादव कोई और नहीं, बल्कि महेंद्र सिंह के होटल का मैनेजर ही था. मोबाइल की जांच से यह भी पता चला कि निशा ने घटना वाली रात इसी नंबर पर वाट्सऐप मैसेज भेज कर विकास को घर बुलाया था.

अब सबूत मिल चुका था, लिहाजा 2 मई 2019 की शाम को एडिशनल एसपी पूजा यादव ने अपनी टीम सहित जा कर निशा यादव और विकास यादव को उन के घरों से हिरासत में ले लिया. थाना कोतवाली ला कर दोनों से जितेंद्र की हत्या के संबंध में पूछा गया तो दोनों साफ मुकर गए. लेकिन जब सख्ती की गई तो दोनों टूट गए और जितेंद्र की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.

पुलिस ने जितेंद्र के हत्यारों को तो पकड़ लिया, लेकिन अभी तक हत्या में इस्तेमाल हथियार और गहने आदि बरामद नहीं हो पाए थे. इस संबंध में पुलिस ने विकास यादव से पूछताछ की तो उस ने बताया कि कत्ल वाला चाकू और गहने उस ने भिटौरा रोड पर स्थित बैजू बनिया बाग में शिवमंदिर के कुएं में छिपा दिए हैं.

यह पता चलते ही पुलिस विकास को कुएं पर ले गई. वहां उस ने कुएं से बैग बरामद करा दिया. उस बैग में खून से सना चाकू, खून सने कपड़े, जूते व बेल्ट थी. यह सारा सामान पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया. विकास यादव ने एक दूसरी जगह से गहने और नकदी भी बरामद करा दी. गहनों को निशा ने पहचान लिया. गहने उसी के ही थे, जो उस ने पति के कत्ल के बाद विकास को दे दिए थे.

जितेंद्र की हत्या का खुलासा करने व अभियुक्तों की गिरफ्तारी की सूचना एडिशनल एसपी पूजा यादव ने एसपी कैलाश सिंह को दे दी. एसपी ने आननफानन में प्रैसवार्ता की और अभियुक्तों को मीडिया के सामने पेश कर घटना का खुलासा कर दिया. निशा यादव ने अपना सिंदूर खुद ही मिटाने की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी—

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर शहर के गढ़ीवा निवासी जितेंद्र यादव की शादी निशा से करीब 10 साल पहले हुई थी. निशा बला की खूबसूरत थी. निशा को पा कर जितेंद्र खूब खुश था. जितेंद्र का अपना दोमंजिला मकान था. उस के पास जरूरत की सभी भौतिक सुखसुविधाएं थीं.

जितेंद्र यादव के चाचा महेंद्र सिंह यादव शहर के चर्चित कारोबारी थे. वह समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता थे. उन की पत्नी फूलमती बहुआ ब्लौक प्रमुख थीं. शहर के वर्मा चौराहे पर उन का आलीशान महेंद्र कांटिनेंटल होटल था. इस होटल का संचालन उन का भतीजा जितेंद्र यादव करता था. होटल के अलावा भी जितेंद्र उन के दूसरे कारोबारों की देखरेख करता था. महेंद्र यादव की शहर में अच्छीखासी प्रौपर्टी थी. वह साफसुथरी छवि वाले नेता थे.

जितेंद्र यादव पढ़ालिखा व हंसमुख था. उस के इसी स्वभाव व कुशल संचालन से महेंद्र होटल सदैव गुलजार रहता था. महेंद्र सिंह यादव जितेंद्र पर पूरा विश्वास करते थे.

होटल चलाने में उन का कोई दखल नहीं था. जितेंद्र सुबह 9 बजे घर से निकलता था. उस की वापसी देर रात ही हो पाती थी. निशा की नजरें हर समय जितेंद्र के इंतजार में दरवाजे पर लगी रहती थीं.

जितेंद्र के घर सारी सुखसुविधाएं थीं. उस का जीवन सुखमय था. कालांतर में निशा ने 2 बेटों तनु व मनु को जन्म दिया. 2 बच्चों के जन्म के बाद घर में खुशी छा गई. निशा की बोरियत भी कम हो गई. वह बच्चों की देखभाल में जुटी रहती थी. समय के साथ बच्चे बड़े हुए तो वे स्कूल जाने लगे.

2 बच्चों के जन्म के बाद जितेंद्र ने पत्नी निशा की तरफ ध्यान देना कम कर दिया. वहीं निशा की कामेच्छा बढ़ गई थी. जितेंद्र रात 12 बजे घर आता और खाना खा कर सो जाता था. निशा उसे सैक्स के लिए उकसाती तो वह उसे झिड़क देता था.

विकास आया निशा की जिंदगी में

निशा रात भर गीली लकड़ी तरह सुलगती रहती थी. कामेच्छा की पूर्ति न होने से निशा का स्वभाव चिड़चिड़ा हो गया था. वह बातबात पर पति से झगड़ने लगी थी.

उन्हीं दिनों निशा की नजर विकास यादव पर पड़ी. विकास यादव रामगंज पक्का तालाब के पास रहता था और महेंद्र कांटिनेंटल होटल में मैनेजर था. उसे निशा के पति जितेंद्र यादव ने ही मैनेजर के पद पर नियुक्त किया था. किसी न किसी काम से विकास का जितेंद्र के घर आनाजाना लगा रहता था. विकास शरीर से हृष्टपुष्ट था और स्मार्ट भी.

विकास निशा को भाभी कहता था. वह हंसमुख व बातूनी था, इसलिए निशा जल्दी ही उस से घुलमिल गई थी. विकास निशा की सुंदरता पर रीझ गया था और मन ही मन उसे चाहने लगा था. लेकिन वह अपनी चाहत का इजहार नहीं कर पा रहा था. जबकि निशा विकास की नजरों की चाहत भांप गई थी. उसे अब पति जितेंद्र विकास की तुलना में कमतर नजर आने लगा था. इसलिए वह विकास को ज्यादा तवज्जो देने लगी थी.

विकास जब भी निशा के सामने होता, वह उस की सुंदरता की तारीफ करता और अपनी लच्छेदार बातों से उसे रिझाता. इस सब में निशा को खूब आनंद आने लगा था. ज्यादातर औरतें अपनी प्रशंसा सुन कर गदगद हो जाती हैं. निशा को भी अपनी तारीफ सुनना अच्छा लगता था.

एक दिन मन के भाव जाहिर न कर के उस ने विकास से पूछा, ‘‘विकास, मुझ में तुम्हें ऐसा क्या खूबसूरत लगा कि मेरी तारीफ करते नहीं थकते? कुछ कहने से पहले यह भी सोच लेना चाहिए कि मैं 2 बच्चों की मां हूं.’’

‘‘भाभी, तुम 2 बच्चों की मां जरूर हो, लेकिन इस से तुम्हारी खूबसूरती में कोई कमी नहीं आई है. तुम्हारे लंबे बाल, शरबती आंखें, रसीले होंठ सब कुछ लाजवाब हैं.’’ विकास आप से तुम पर आ गया.

‘‘पर तुम्हारे भैया ने तो मेरी खूबसूरती की कभी तारीफ नहीं की.’’ निशा ने बात आगे बढ़ाने वाली चाल चली.

‘‘भैया बुद्धू हैं, वह रातदिन होटल में व्यस्त रहते हैं. उन्हें शायद पता नहीं है कि औरत को पेट की भूख के अलावा और भी कुछ चाहिए होता है. मैं ने कुछ गलत तो नहीं कहा, भाभी.’’

‘‘नहीं, तुम सच कह रहे हो, विकास. मैं वाकई उन के साथ नीरस जिंदगी जी रही हूं. जब से तुम घर आने लगे हो तब से मेरे मन में कुछ आस जागी है. तुम्हारी रसभरी बातों से मुझे सुकून मिलता है. जब तुम चले जाते हो तो घर फिर सूनासूना सा लगने लगता है.’’

भले ही स्वार्थ के लिए सही, निशा और विकास दोनों एकदूसरे को चाहने लगे थे. लेकिन दिल की बात खुल कर कहने में दोनों ही संकोच कर रहे थे. दोनों तरफ प्यार की आग बराबर लगी थी.

एक दिन दोपहर को विकास, निशा के घर पहुंचा. इधरउधर की बातें करने के बाद उस ने निशा को छेड़ा, ‘‘भाभी, कब तक तड़पाओगी’’

‘‘तुम निरे बुद्धू हो, विकास. मैं तुम्हें नहीं तड़पा रही, बल्कि तुम मुझे तड़पा रहे हो.’’ कहते हुए निशा की आंखों में निमंत्रण उतर आया.

निशा के इस आमंत्रण पर विकास रोमांचित हो गया. उस की नसों में सनसनी सी दौड़ गई. उस ने आगे बढ़ कर निशा को अपनी बाहों में भींच लिया. निशा भी विकास से लता की तरह लिपट गई.

थोड़ी देर बाद जब दोनों एकदूसरे से अलग हुए तो खूब खुश थे. दोनों के मन की चाहत पूरी हो गई थी.

उस दिन के बाद जब भी निशा और विकास को मौका मिलता, एकदूसरे को अपनी देह समर्पित कर देते. निशा अब तन के साथसाथ मन से भी विकास की हो गई थी. अब वह अपने प्रेमी विकास का तो खूब खयाल रखती थी, लेकिन पति की उपेक्षा करने लगी थी. कभीकभी वह बिना बात के पति से झगड़ने भी लगती थी. जितेंद्र निशा की बेरुखी और बदले हुए व्यवहार का कारण नहीं समझ पा रहा था.

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