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सीसीटीवी फुटेज से मिला सुराग

पुलिस इस बात पर खास तवज्जो दे रही थी कि कोई व्यक्ति उस स्थान पर हाथ में काले रंग की पौलीथिन ले कर पहुंचा तो नहीं है? अगर पहुंचा है तो कैसे पहुंचा है, पैदल अथवा किसी वाहन से? अगर वाहन से पहुंचा तो उस वाहन का नंबर, रंग, मौडल और ब्रांड क्या है?

पुलिस बारीकी से और पूरी एकाग्रता से जांच में जुटी थी, लगभग सभी कैमरों की फुटेज की जांच के बाद 90 से ज्यादा गाडिय़ों और 100 से ज्यादा लोगों को शार्टलिस्ट किया गया और जांच चलती रही, लेकिन कहीं से कोई सुराग हाथ नहीं लगा. अंत में कैमरे में कैद एक शख्स पर शक हुआ, उस ने मुंह पर मास्क और सिर पर टोपी लगा रखी थी.

आमतौर पर जब कोई अपराध करता है या मौका ए वारदात पर जाता है तो उस की कोशिश होती है कि उसे कहीं भी अपना चेहरा न दिखाना पड़े. उस ने भी ऐसा ही किया था. उस शख्स की ये हरकत पुलिस को अजीब लगी, लेकिन उस का चेहरा सीसीटीवी फुटेज में कहीं साफ दिख नहीं रहा था. वह सीसीटीवी कैमरे से बारबार अपना मुंह छिपा रहा था.

उस के दाहिने हाथ में एक काले रंग की पौलीथिन थी, जब वह टैंपो से नीचे उतरा. यह वही काली पौलीथिन थी, जो मौके से बरामद की गई थी. वह रहस्यमय शख्स वहां से रेस्टोरेंट की ओर बढ़ा. वहां से (रेस्टोरेंट) उस ने पानी की एक बोतल खरीदी और दुकानदार को नकद पैसे देने के बजाय उस ने यूपीआई से पेमेंट किया और फिर कूड़ाघर की ओर वापस आया. वहां खड़े हो कर इधरउधर देखा, फिर पौलीथिन झटके से फेंक कर भीड़ में कहीं गुम हो गया.

ये क्लू पुलिस के लिए खाद जैसा काम कर गया. 23 मई की सुबह करीब 10 बजे पुलिस की टीम उस रेस्टोरेंट पर पहुंच गई थी, जहां उस संदिग्ध व्यक्ति ने 15 मई की दोपहर साढ़े 12 बजे पानी की बोतल खरीदी थी और यूपीआई से पेमेंट किया था. रेस्टोरेंट वाले से पूछताछ करने के बाद आखिरकार उस संदिग्ध शख्स तक पहुंच ही गई. उस का नाम बी. चंद्रमोहन था और पता चला कि वह दिलसुख नगर थानाक्षेत्र के चैतन्यपुर में रहता है.

संदिग्ध व्यक्ति के घर पहुंची पुलिस

24 मई, 2023 की सुबह मलकापेट पुलिस बी. चंद्रमोहन के घर चैतन्यपुर मोहल्ले में पहुंच गई और दरवाजे पर दस्तक दी. भीतर से एक शख्स ने दरवाजा खोला और सामने पुलिस को देख कर सहज भाव में पूछा, “आप किस से मिलना चाहते हैं?”

“चंद्रमोहन आप हो?” एसआई एल. भास्कर रेड्डी ने शख्स से सवाल किया.

“हां, मैं ही हूं चंद्रमोहन, क्या बात है? आप मुझ से क्यों मिलना चाहते हैं?” चंद्रमोहन से पूछा.

“बताता हूं, बताता हूं. सारे सवाल यहीं दरवाजे पर खड़ेखड़े पूछ लोगे, अंदर आने के लिए नहीं कहोगे?” इस बार इंसपेक्टर के. श्रीनिवास ने कहा.

“नहीं नहीं जी. मैं तो भूल ही गया था. आइए…आइए, अंदर आइए. फिर उस ने इंसपेक्टर के. श्रीनिवास और एसआई रेड्डी को अंदर बुलाया और ड्राइंगरूम में उन्हें बैठा दिया, बाकी पुलिस टीम घर के बाहर मुस्तैदी से तैनात रही.

“क्या लेंगे सर, चाय या पानी?” चंद्रमोहन ने सम्मानजनक तरीके से और बड़े अदब से पूछा.

“हम यहां चायपानी पीने नहीं आए हैं, बल्कि तुम से कुछ पूछताछ करने आए हैं,” इस बार इंसपेक्टर श्रीनिवास का चेहरा सख्त हो गया था.

“थीगालगुडा रोड पर डंपिंग ग्राउंड स्थित मुसी नदी के किनारे एक सीसीटीवी कैमरे में नकाबपोश के रूप में तुम्हें देखा गया है. क्या कहना चाहते हो?”

“सर, मैं स्टौक ब्रोकर हूं. शहर में बहुतेरा काम होता है. लोगों से मिलनाजुलना होता है. हो सकता है उस राह से गुजरते हुए सीसीटीवी में फोटो आ गई हो? कोई ताज्जुब की बात नहीं इस में,” चंद्रमोहन ने बड़े आत्मविश्वास के साथ पुलिस के सवाल का जवाब दिया था.

“तो तुम कहते हो, सीसीटीवी फुटेज में जो तसवीरें दिख रही हैं, वे तुम्हारी नहीं हैं किसी और की हैं.”

“मैं कब इस बात से इंकार करता हूं कि सीसीटीवी फुटेज में दिखने वाली फोटो मेरी नहीं हैं, लेकिन मैं ये भी एक्सेप्ट नहीं करता कि…”

“महिला के कटे सिर वाली लाश वाली काली पौलीथिन तुम ने नहीं किसी और ने फेंकी थी?” बीच में बात काटते हुए इंसपेक्टर के. श्रीनिवास बोले.

“हां, सच यही है, मैं ने कोई कटा हुआ सिर नहीं फेंका था.”

हाथ की चोट ने खोला हत्या का राज

बी. चंद्रमोहन के आत्मविश्वास भरे जवाब सुन कर पुलिस इस निष्कर्ष पर पहुंची थी कि वो किसी गलत घर में पूछताछ करने आ गई, जबकि उस लाश से इस का कोई लेनादेना नहीं है. वहां से पुलिस बाहर निकलने के लिए जैसे ही उठी, तभी अचानक इंसपेक्टर श्रीनिवास की नजर चंद्रमोहन की बाईं कलाई पर पड़ी तो वह ठिठक गए और चोट के बारे में उस से पूछ बैठे, “बाई द वे, तुम्हारे हाथ में ये चोट कैसे लगी?”

“ज…ज… जी… सब्जी काटने वाले चाकू से. मैं सब्जी बनाने के लिए आलू काट रहा था, तभी छिटक कर चाकू कलाई पर लग गया और हाथ कट गया. ये जख्म उसी चाकू से बने हैं.”

“बरखुरदार, तुम्हारी जुबान तुम्हारा साथ नहीं दे रही है. और तुम सच भी नहीं बोल रहे हो?” इस बार उन्होंने अंधेरे में तीर चलाया था.

“नहीं तो, सच कह रहा हूं मैं. सब्जी काटते वक्त कलाई कट गई थी.”

“तो तुम सच ऐसे नहीं कबूलोगे, तुम्हें पुलिस की खातिरदारी की जरूरत है.” कहते हुए इंसपेक्टर श्रीनिवास ने उस के गाल पर झन्नाटेदार एक थप्पड़ जड़ा. उस की आंखों के सामने अंधेरा छा गया और कानों में सीटियां बजने लगीं. कुछ पल के लिएवह जैसे बहरा हो गया था, उसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था.

फ्रिज के अंदर मिले डैडबौडी के पाट्र्स

जब वह थोड़ा सामान्य स्थिति में हुआ तो घुटने दोहरा करते हुए नीचे फर्श पर बैठ गया. और कहा, “हां सर, मैं ने ही कल्ल किया था और उस का सिर काट कर नदी में फेंकना चाहा था, पर बदकिस्मती ने दगा दे दी और मैं आखिरकार पकड़ लिया गया.” चंद्रमोहन के चेहरे पर कोई पश्चाताप नहीं था.

“कौन थी वो? और तुम ने उस की हत्या क्यों की?” श्रीनिवास ने सवाल दागा.

“अनुराधा, यारम अनुराधा रेड्डी नाम था उस का.” बुत बना चंद्रमोहन आगे कहता गया, “क्या करता. उस ने हालात ही ऐसे बना दिए थे कि उसे मारने के अलावा मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा था. और मैं ने उस की हत्या कर दी.”

“बाकी शरीर के अंग को कहां फेंका है तुम ने?”

“कहीं नहीं, घर में हैं.” चंद्रमोहन समझ चुका था कि उस के गुनाहों का घड़ा फूट चुका है और वह बेनकाब हो चुका है. अब सच बता देने में ही भलाई है और फिर वहां से उठा फिर पुलिस को साथ ले कर किचन में पहुंचा, जहां फ्रिज रखा था. उस ने फ्रिज खोल कर पुलिस को दिखा दिया. फ्रिज के अंदर का नजारा देख कर दोनों पुलिस अधिकारी भौचक रह गए थे.

फ्रिज के अंदर कटे हुए दोनों हाथ और पैर रखे हुए थे. यह दृश्य देख कर दोनों की जैसे रूह कांप उठी.

यही नहीं, ट्रंक के भीतर उस ने धड़ (साबूत) रखा था, जिस में से सड़ांध उठ रही थी. बदबू छिपाने के लिए, उस ने कमरे में परफ्यूम स्प्रे किया था, अगरबत्तियां भी जला रखी थीं ताकि बदबू बाहर न जा सके और उस का गुनाह पिटारे के अंदर बंद रहे.

कुल मिलाजुला कर चंद्रमोहन ने दिल्ली के श्रद्धा मर्डर कांड का रिमेक किया था और उसी की तर्ज पर मृतका के एकएक अंग को शहर के विभिन्न इलाकों में फेंक कर हमेशाहमेशा के लिए राज दफन कर एक नई जिंदगी बिताना चाहता था, लेकिन शातिर चंद्रमोहन की चालाकी चल न सकी और कानून के लंबे हाथों से धर दबोचा गया.

8 दिनों से रहस्य बनी सिर कटी लाश का परदाफाश हो चुका था और मृतका की पहचान यारम अनुराधा रेड्डी के रूप में की जा चुकी थी. मृतका कोई और नहीं, बल्कि आरोपी चंद्रमोहन की प्रेमिका थी. आखिरकार उस ने अपनी प्रेमिका की हत्या बड़ी बेरहमी से क्यों की? पुलिस पूछताछ में उस ने सारा राज उगल दिया था.

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