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लाश की सूचना पाते ही पुलिस घटनास्थल पर पहुंची. पुलिस ने देखा तो वहां पर एक व्यक्ति की लाश क्षतविक्षत हालत में पड़ी हुई थी. पुलिस ने वहां पर मौजूद लोगों से उस लाश की शिनाख्त करानी चाही लेकिन किसी ने भी उसे नहीं पहचाना. उस के बाद पुलिस को ध्यान आया कि उसी दिन के अखबारों में एक व्यक्ति की गुमशुदगी की खबर छपी थी.

इस बात के सामने आते ही पुलिस ने सब से पहले असंद्रा थाने से संपर्क किया, क्योंकि वह गुमशुदगी की खबर उसी थाने की थी. असंद्रा थाने से संपर्क होते ही पुलिस ने उस फोटो से मृतक का चेहरा मिलाया तो शिनाख्त हुई कि मृतक अजय शुक्ला ही था.

पुलिस काररवाई कर रही थी कि उसी समय संतोष कुमारी नाम की महिला रोती बिलखती अपने 5 बच्चों के साथ घटनास्थल पर पहुंची.

लाश को देखते ही संतोष कुमारी अपना आपा खो बैठी. क्योंकि वह लाश उस के पति अजय शुक्ला की थी. वह पति की लाश से लिपट लिपट कर बुरी तरह से रोने चिल्लाने लगी. उस के बच्चों का भी रोरो कर बुरा हाल था. पुलिस ने किसी तरह से संतोष कुमारी को शांत कराया. उस के बाद पुलिस ने जांचपड़ताल की तो अजय शुक्ला के सिर व पेट पर चोटों के काफी निशान थे.

इस से एक दिन पहले ही संतोष कुमारी 18 दिसंबर, 2023 की शाम के वक्त बाराबंकी जिले के थाना असंद्रा पहुंची थी. उस ने एसएचओ संतोष कुमार सिंह को बताया था कि वह मल्लपुर मजरे सुपामऊ गांव की रहने वाली है. सुबह लगभग 11 बजे उस के पति अजय कुमार शुक्ला बाइक से किसी काम से मस्तान बाबा की कुटी पर जाने के लिए निकले थे. लेकिन उस के बाद वह वापस नहीं लौटे.

उस ने बताया था कि जाने से पहले वह अपना मोबाइल भी घर पर ही भूल गए थे. एसएचओ ने संतोष कुमारी से उस के पति के बारे में कुछ और जानकारी हासिल करने के बाद अजय कुमार की गुमशुदगी की सूचना दर्ज कर ली थी.

उसी जांचपड़ताल के तहत सब से पहले एसएचओ पुलिस टीम के साथ गांव मल्लपुर मजरे सुपामऊ से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर रह रहे मस्तान बाबा की कुटिया पर पहुंचे. कुटिया पर पहुंच कर उन्होंने वहां पर अजय कुमार शुक्ला के बारे में जानकारी ली तो पता चला कि अजय कुमार शुक्ला वहां पर आया ही नहीं था. उस के बाद पुलिस ने अजय कुमार शुक्ला की हर जगह तलाश की, लेकिन कहीं भी उस का अतापता नहीं चला.

इस के बाद पुलिस ने उस के गुमशुदा होने की सूचना स्थानीय अखबारों में छपवाई, लेकिन उस के बाद भी पुलिस को कोई सफलता नहीं मिली. इस सब का कारण था कि अजय शुक्ला अपने साथ मोबाइल नहीं ले गया था, जिस के कारण उसे तलाशने में पुलिस के सामने बड़ी समस्या आ खड़ी हुई थी.

उसी दौरान 19 दिसंबर, 2023 को गांव प्रताप पुरवा के पास एक व्यक्ति की लाश पड़ी होने की सूचना रामसनेही घाट कोतवाली को मिली. सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई. रामसनेही घाट पुलिस ने इस की सूचना असंद्रा थाने में भी दे दी थी, क्योंकि उस थाने के एक लापता व्यक्ति की सूचना अखबार में छपी थी.

इस जानकारी के मिलते ही सब से पहले असंद्रा पुलिस ने उस की पत्नी संतोष कुमारी को इस की जानकारी दी. उस के तुरंत बाद ही असंद्रा थाने के एसएचओ भी उस जगह पहुंच गए, जहां पर अजय शुक्ला की लाश मिली थी. संतोष कुमारी ने उस लाश की शिनाख्त अपने पति अजय शुक्ला के रूप में कर ली.

घटनास्थल से समस्त जानकारी जुटाने के बाद पुलिस ने अपनी काररवाई आगे बढ़ाई. फिर उस की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. उस के बाद पुलिस ने संतोष कुमारी से पूछा कि गांव में तुम्हारे पति की किसी से कोई दुश्मनी तो नहीं थी.

यह बात सुनते ही संतोष कुमारी पहले तो चुप्पी साध गई, फिर उस ने बताया कि उस के पति का गांव के ही कुछ लोगों से जमीन को ले कर विवाद चल रहा था, जिस के कारण ही उन लोगों ने उन की हत्या की होगी.

संतोष कुमारी के शक के आधार पर पुलिस ने गांव के ही 5 लोगों माताबदल, महेश, रामकुमार, बाबा सोनी व प्रदीप को हिरासत में ले लिया. पुलिस ने संतोष कुमारी की तरफ से शक के आधार पर इन पांचों पर भादंवि की धारा 302/34 के तहत मामला दर्ज कर लिया.

इन पांचों से पुलिस ने कड़ी पूछताछ की, लेकिन किसी ने भी उस की हत्या की जिम्मेदारी नहीं ली. पुलिस ने इस मामले में उन के गांव जा कर अन्य लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि पांचों ही लोग बेहद ही शरीफ और सज्जन इंसान थे.

गांव वालों की जानकारी से पुलिस को भी लगने लगा था कि कहीं न कहीं ये पांचों निर्दोष हैं. उसी दौरान गांव वालों का संतोष कुमारी पर दबाव बना तो वह भी उन की गिरफ्तारी को ले कर कुछ ढीली नजर आई. उस के बाद वह भी उन की पैरवी पर उतर आई थी, जिस के बाद अजय शुक्ला की हत्या के शक की सूई संतोष कुमारी की ओर ही घूम गई थी.

फिर पुलिस ने उस के परिवार वालों के साथसाथ गांव वालों से भी उस के चरित्र के बारे में जानकारी हासिल की तो पता चला कि अजय शुक्ला के एक दोस्त नीरज विश्वकर्मा का उस के घर पर आनाजाना था. वह अजय शुक्ला की गैरमौजूदगी में भी उस के घर आयाजाया करता था. उस के बाद संतोष कुमारी स्वयं ही पुलिस की शक की निगाहों में चढ़ गई थी.

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पुलिस को मृतक की पत्नी पर क्यों हुआ शक

शक की सूई संतोष कुमारी की तरफ घूमते ही पुलिस ने उस के और मृतक अजय शुक्ला और उस की पत्नी के मोबाइल नंबरों को सर्विलांस पर लगाया. इस से पुलिस को एक खास जानकारी मिली.

तहकीकात के दौरान पता चला कि संतोष कुमारी काफी समय से महमूदपुर निवासी नीरज कुमार विश्वकर्मा से मोबाइल पर बात करती थी. घटना वाले दिन भी संतोष कुमारी ने नीरज कुमार से बात की थी.

इस बात की जानकारी मिलते ही सब से पहले पुलिस नीरज कुमार के घर पहुंची, लेकिन नीरज कुमार घर से लापता मिला. उस के बाद पुलिस ने उस के मोबाइल पर कई बार काल की तो पहले तो उस ने उठाया नहीं, दूसरी बार करने पर उस ने फोन स्विच्ड औफ कर दिया. इस के बावजूद भी पुलिस ने उस की लोकेशन के आधार पर उसे अपनी हिरासत में ले लिया.

पुलिस ने उस से अजय शुक्ला की हत्या के संबंध में कड़ी पूछताछ की तो उस ने हत्या करने की बात स्वीकार कर ली. फिर उस ने हत्या के पीछे की जो कहानी बताई, वह चौंकाने वाली निकली—

संतोष कुमारी भले ही पढ़ीलिखी नहीं थी, लेकिन उस का दिमाग इतना तेज था कि वह अपने पति अजय शुक्ला को कुछ भी नहीं समझती थी. अजय शुक्ला एक रिक्शाचालक था. उस के 5 बच्चे थे, जिस से परिवार की गुजरबसर ठीक से नहीं हो पा रही थी. उस के साथ ही उस में शराब पीने की लत भी थी.

यही कारण रहा कि उस ने नीरज कुमार विश्वकर्मा के साथ दोस्ती होते ही अपने पति को अपनी जिंदगी का कांटा समझ कर उसे हटाने के लिए एक सुनियोजित रास्ता चुना. लेकिन पुलिस के लंबे हाथों से वह बच नहीं पाई.

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