True Crime Story: गुलाब सिंह की चमन से ऐसी गहरी दोस्ती थी कि वह उसे घर ही नहीं ले जाता था, बल्कि साथ बैठा कर खिलातापिलाता भी था. लेकिन दोनों के बीच ऐसा क्या हुआ कि एक दोस्त गद्दार हो गया. राजस्थान के जिला भरतपुर के कस्बा नदवई के नजदीक बसे गांव रौनीजा के रहने वाले फतेह सिंह की गिनती अच्छे और रसूखदार किसानों में होती थी. उन के परिवार में पत्नी के अलावा 3 बेटे, रामवीर सिंह, गुलाब सिंह और महेश सिंह थे. फतेह सिंह के परिवार के कई लोग फौज में थे, इसलिए वह चाहते थे कि उन के भी बेटे फौज में जाएं.
पिता की इच्छा का खयाल रखते हुए बड़ा बेटा रामवीर सेना में भर्ती हो गया. उस के बाद फतेह सिंह ने रामवीर सिंह की शादी भी कर दी. भाई को फौज की वर्दी में देख कर उस से छोटे गुलाब सिंह के मन में भी सेना में जाने का जज्बा जाग उठा. फतेह सिंह कहते भी रहते थे कि वह अपने तीनों बेटों को सेना में भेजना चाहते हैं. इसलिए उम्र होने पर गुलाब सिंह ने भी सेना में भर्ती होने की कोशिश शुरू कर दी. गुलाब सिंह की कोशिश रंग लाई और आर्मी हेडक्वार्टर में उसे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नौकरी मिल गई. इस तरह फतेह सिंह के 2 बेटे फौज में भर्ती हो गए तब तीसरे बेटे महेश को उन्होंने अपने पास घर और खेती के कामों की मदद के लिए रख लिया.

गुलाब सिंह की तैनाती आगरा के आर्मी हेडक्वार्टर में हुई थी. नौकरी लगने के बाद घर वालों ने उस का घर बसाने के लिए रिश्ते की तलाश शुरू कर दी. यह तलाश राजेंद्री पर जा कर खत्म हुई. राजेंद्री भी भरतपुर की ही रहने वाली थी. गुलाब सिंह को आगरा के थाना सदर स्थित सैन्य कालोनी में रहने के लिए क्वार्टर मिला हुआ था. इसलिए शादी के बाद गुलाब सिंह पत्नी को आगरा ले आया. आगरा आ कर राजेंद्री बहुत खुश थी, क्योंकि अब उस का अपना घर था, जिसे वह अपने ढंग से सजा सकती थी. गुलाब सिंह को ठीकठाक वेतन मिलता ही था, रहने के लिए सरकारी क्वार्टर भी मिला हुआ था, इसलिए उस का और राजेंद्री का दांपत्य सरपट दौड़ने लगा.
कालांतर में दोनों 2 बेटों के मांबाप बने. गुलाब सिंह हंसमुख और मेहनती लड़का था, इस से औफिस के अधिकारी और कर्मचारी उस से खुश रहते थे. घर में भी खुशहाली थी. लेकिन वक्त कब करवट बदल ले, कुछ कहा नहीं जा सकता. गुलाब सिंह की दोस्ती आगरा के ही नौलखा के रहने वाले चमन से हो गई थी. चमन बढ़ई का काम करता था, जिस से वह अच्छीखासी कमाई कर रहा था. दोस्ती होने के बाद अकसर दोनों की मुलाकातें होने लगीं. जब भी दोनों मिलते पीनापिलाना भी होता. पीनेपिलाने के दौरान ही एक दिन गुलाब सिंह ने कहा, ‘‘भाई चमन, तुम किसी दिन मेरे घर चलो, मैं तुम्हें तुम्हारी भाभी से मिलवाता हूं. वह खाना बहुत अच्छा बनाती है, तुम्हें उस के हाथ का खाना भी खिलाता हूं.’’
इस के बाद एक दिन चमन गुलाब सिंह के साथ उस के घर जा पहुंचा. गुलाब सिंह ने पत्नी राजेंद्री से उस का अपने सब से अच्छे दोस्त के रूप में परिचय करा दिया. पति ने चमन को अपना सब से अच्छा दोस्त बताया था, इसलिए राजेंद्री ने उस का खूब स्वागत किया. इस के बाद चमन राजेंद्री का देवर बन गया. एक बार घर आने के बाद अक्सर चमन गुलाब सिंह के घर आने लगा. चमन की शादी नहीं हुई थी, इसलिए गुलाब सिंह और राजेंद्री का प्यार और पत्नी का सुख देख उस के मन में भी औरत के सुख की लालसा जागने लगी. वह जब भी आता, राजेंद्री को तिरछी नजरों से देखता. अब उस की मुसकान, चालढाल सब उसे बहुत अच्छा लगने लगा.
अचानक उस के मन में आया कि जब देखो, तब वह गुलाब सिंह के घर क्यों भागा चला आता है, इस के बाद उस ने दिल से पूछा तो एक ही आवाज आई, उस की पत्नी राजेंद्री, जिस की तसवीर उस के अंदर बस गई है. चमन को लगा, दिल से जो आवाज आई है, वह सच है. उस में ऐसा आकर्षण है कि वह उस की ओर खिंचता चला आता है. दिल की बात समझ में आते ही उसे गुलाब सिंह से ईर्ष्या होने लगी. वह राजेंद्री के करीब जाने की तरकीबें सोचने लगा. लेकिन कोई तरकीब उस की समझ में नहीं आ रही थी. गुलाब सिंह के सामने वह राजेंद्री से कुछ कह नहीं सकता था, इसलिए एक दिन वह ऐसे समय में उस के घर पहुंचा, जब गुलाब सिंह ड्यूटी पर था. उस ने गुलाब सिंह के घर की कुंडी खटखटाई तो राजेंद्री ने दरवाजा खोला, ‘‘अरे देवरजी आप, लेकिन वह तो ड्यूटी पर गए हैं.’’
‘‘मुझे पता है. भाई साहब नहीं हैं तो क्या हुआ, आप तो हैं. उन के न रहने पर नहीं आ सकता क्या?’’ चमन ने कहा.
‘‘क्यों नहीं आ सकते. आइए, अंदर आइए.’’ कह कर राजेंद्री एक किनारे हट गई.
चमन को बैठा कर राजेंद्री ने कहा, ‘‘आप बैठें, मैं चाय बना लाती हूं.’’
चमन ने लपक कर उस का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘नहीं भाभी, मैं चाय पीने नहीं, आप से कुछ कहने आया हूं.’’
राजेंद्री चमन की इस हरकत पर हैरान रह गई. उस ने चमन को घूरा तो उस के तेवर देख कर चमन कांप उठा. उस ने झट से उस के हाथ में एक पैकेट थमा दिया.
‘‘यह क्या है?’’ राजेंद्री ने तल्ख लहजे में पूछा.
‘‘आप के लिए एक साड़ी लाया हूं. कल बाजार गया था. मुझे अच्छी लगी तो खरीद लिया. मेरे यहां तो कोई पहनने वाला है नहीं, इसलिए आप को देने चला आया. देखें, शायद आप को पसंद आ जाए?’’
राजेंद्री ने पैकेट से साड़ीनिकाली और उलटपलट कर देखते हुए बोली, ‘‘अच्छी है, लेकिन इस की क्या जरूरत थी?’’
चमन को खुशी हुई कि राजेंद्री ने उस की हरकत का बुरा नहीं माना. उस ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘मैं जब भी आता हूं, आप मेरी कितनी सेवा करती हैं. यह सब आप मुझे अपना समझ कर ही तो करती हैं. फिर मेरा भी तो आप के लिए कुछ करने का अधिकार बनता है न?’’
‘‘भई, तुम मेरे पति के दोस्त हो, इसलिए तुम्हारा स्वागतसतकार करना मेरा फर्ज बनता है.’’ राजेंद्री ने कहा.
चमन की समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपने दिल की बात कैसे कहे? जब उस की समझ में नहीं आया तो अपनी बात कहे बगैर ही वह चला गया. उस के जाने के बाद राजेंद्री सोच में डूब गई कि आखिर चमन उस पर इतना मेहरबान क्यों है? गुलाब सिंह के अन्य दोस्त भी घर आते थे. कभी किसी ने उसे कुछ नहीं दिया था. चमन ही उस के लिए साड़ी क्यों ले आया? उस ने महसूस किया कि जब भी चमन उस के यहां आता है, उस की नजरें उसी पर टिकी रहती हैं. यह बात याद आते ही वह साड़ी लाने का मतलब समझ गई. उस दिन के बाद कई दिनों तक चमन गुलाब सिंह के घर नहीं आ पाया और न ही उस से मिला. कई दिनों बाद वह दोपहर को गुलाब सिंह के घर पहुंचा तो राजेंद्री ने टोका, ‘‘इतने दिनों तक कहां थे भई तुम?’’
‘‘कहीं नहीं, खेतों के काम निपटा रहा था और करना भी क्या है,’’ चमन ने कहा, ‘‘बाकी उस से जो समय बचता है, लकड़ी से जूझता हूं.’’
‘‘मुझे तो लगा कि तुम कहीं बाहर चले गए?’’
‘‘तुम्हें छोड़ कर बाहर कहां जा सकता हूं भाभी.’’
‘‘क्या मतलब?’’ राजेंद्री चौंकी.
‘‘भाभी, सही बात तो यह है कि अब मैं आप को देखे बगैर रह ही नहीं सकता, क्योंकि मुझे तुम से प्यार हो गया है.’’
‘‘यह जो कह रहे हो, इस का मतलब समझते हो? फौजी को पता चल गया तो वह न तुम्हें जिंदा छोड़ेगा, न मुझे.’’
‘‘मैं वैसे भी जिंदा कहां हूं. तुम्हारे लिए तो मैं एक बार की कौन कहे, हजार बार मर सकता हूं.’’
पिछले कुछ समय से राजेंद्री भी मन में चमन के प्रति आकर्षण महसूस कर रही थी. उस ने लंबी सासें लेते हुए कहा, ‘‘मैं तुम्हारे दोस्त की पत्नी हूं. हमारे 2 बच्चे भी हैं. ऐसे में तुम्हारे प्यार का क्या मतलब? तुम्हें पता होना चाहिए कि इस का परिणाम बहुत बुरा होगा.’’
‘‘सब पता है, लेकिन मैं इस दिल से मजबूर हूं. मैं इसे समझा नहीं पा रहा हूं.’’ चमन ने कहा.
राजेंद्री ने परेशान हो कर कहा, ‘‘फिलहाल तो तुम अभी यहां से जाओ. मैं तुम से फिर बात करूंगी.’’
चमन तो चला गया, लेकिन अपने पीछे उलझन का पहाड़ छोड़ गया. राजेंद्री परेशान थी. उसे साफ लग रहा था कि उस के भी मन में चमन के लिए कुछ है. इस के बाद उस ने गुलाब सिंह और चमन में तुलना की तो दोनों में बहुत फर्क नजर आया. गुलाब सिंह उसे न तो कभी कहीं घुमाने ले जाता था और न उस तरह प्यार करता था, जैसा वह चाहती थी. यह सब सोच कर मन में पति के प्रति वितृष्णा पैदा होने लगी.
उस दिन ड्यूटी कर के गुलाब सिंह घर आया तो राजेंद्री को कुर्सी पर बैठी सोच में डूबी पाया, उस ने पूछा, ‘‘क्या बात है भई, आज खानावाना नहीं बन रहा?’’
‘‘तुम्हें खाने के अलावा भी किसी बात की चिंता रहती है? आगरा आए दसों साल हो गए, कभी कहीं घुमाने भी नहीं ले गए.’’
पत्नी की इन बातों से गुलाब सिंह हैरान रह गया. पहले कभी उस ने इस तरह की बात नहीं की थी. राजेंद्री उठी और पैर पटकती हुई किचन में जा कर उठापटक करने लगी. गुलाब सिंह की समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर आज ऐसा क्या हो गया कि पत्नी के तेवर बदल गए. रात को भी जब गुलाब सिंह ने बिस्तर पर राजेंद्री के पास आने की कोशिश की तो उस ने उस का हाथ झटक दिया. दिन भर का थका गुलाब सिंह सो गया. वह इस बात से बेखबर था कि पत्नी के मन में क्या चल रहा है. इस के बाद घर में पहले जैसा माहौल नहीं रहा. गुलाब सिंह तो अपने में ही मस्त रहा, लेकिन राजेंद्री का मन चमन के आगोश में समाने के लिए उतावला हो उठा.
कई दिनों बाद चमन आया तो राजेंद्री उसे देख कर खिल उठी. उस ने चमन की आंखों में आंखें डाल कर मुसकराते हुए कहा, ‘‘इतने दिनों तक कहां थे, खुद नहीं आ सकते थे तो कम से कम फोन ही कर दिया होता.’’
राजेंद्री के हावभाव और बातचीत के लहजे को देख कर चमन की सांसों की रफ्तार तेज हो गई. वह समझ गया कि उस का जादू चल गया है. उस ने कहा, ‘‘मुझे लगा कि मेरी बात तुम्हें बुरी लग गई है, इसलिए…’’
‘‘तुम्हारी बात मुझे बुरी क्यों लगेगी. तुम्हें पता होना चाहिए कि मैं भी तुम से प्यार करने लगी हूं. लेकिन चिंता की बात यह है कि हमारे प्यार का भविष्य क्या होगा?’’ राजेंद्री ने कहा.
चमन ने राजेंद्री को विश्वास दिलाया कि वह जीवन भर हर तरह से हर स्थिति में उस का साथ देगा. चमन ने बताया कि उस के पास किसी चीज की कमी नहीं है. गांव में काफी खेती और अपना पक्का घर है. इस के अलावा वह फर्नीचर का भी काम करता है. इसलिए वह उसे हर तरह की खुशियां दे सकता है. राजेंद्री को लगा कि गुलाब सिंह उसे जो कुछ दे रहा है, उस की ख्वाहिशें उस से कहीं ज्यादा हैं. जिन्हें चमन आसानी से पूरी कर सकता है. वह चमन का हाथ पकड़ कर कमरे में ले गई. इस के बाद दांपत्य संबंधों में सेंध लग गई. गुलाब सिंह को पता नहीं चला कि किस तरह उस की पत्नी दोस्त के साथ उस की गृहस्थी को तबाह करने की राह पर चल पड़ी है.
अब चमन का गुलाब सिंह के घर बेरोकटोक आनाजाना हो गया. गुलाब सिंह और चमन की मुलाकात पिछले कई दिनों से नहीं हुई थी. उस ने जब भी चमन को फोन किया था, उस ने यही कहा कि वह कहीं काम में व्यस्त है. गुलाब सिंह ने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. क्योंकि वह तो राजेंद्री में आए बदलाव को ले कर परेशान था. वह चमन से मिल कर इस समस्या का कोई समाधान पूछना चाहता था. पर उसे क्या पता था कि उस की समस्या की जड़ में चमन ही है. चमन के घर आनेजाने की जानकारी गुलाब सिंह को भले ही नहीं थी, लेकिन कालोनी वाले तो देख ही रहे थे. चमन गुलाब सिंह का दोस्त है, कालोनी वालों को यह तो पता था, लेकिन उस की गैरमौजूदगी में लगातार आना और घंटों घर के अंदर बैठे रहना, कालोनी वालों के मन में शंका पैदा करने लगा. एक दिन किसी पड़ोसी ने गुलाब सिंह से कहा, ‘‘यार, तुम्हारा दोस्त रोजाना दोपहर में ही तुम्हारे घर क्यों आता है?’’
‘‘कौन सा दोस्त?’’ गुलाब सिंह ने पूछा.
‘‘अरे वही चमन, और कौन?’’ पड़ोसी ने कहा.
गुलाब सिंह हैरान रह गया. चमन पिछले 15 दिनों से उस से नहीं मिला था. उस ने कई बार फोन कर के मिलने को भी कहा था, तब उस ने स्वयं को व्यस्त बता कर मिलने से मना कर दिया था. वह पड़ोसी की बात का कोई जवाब दिए बगैर सीधे घर गया और राजेंद्री से पूछा, ‘‘आज चमन आया था क्या?’’
‘‘नहीं तो…’’ कह कर राजेंद्री कमरे के अंदर चली गई. गुलाब सिंह ने पीछे से जा कर कहा, ‘‘मैं कुछ पूछ रहा हूं?’’
मैं ने बताया तो कि नहीं आए थे. कोई बात है क्या?’’
‘‘कुछ नहीं.’’ कह कर गुलाब सिंह बाहर निकल गया. वह जानता था कि राजेंद्री झूठ बोल रही है. अब सवाल यह था कि आखिर वह झूठ क्यों बोल रही है? राजेंद्री में आए बदलाव के बारे में उस ने सोचा तो उस के दिमाग में शक का कीड़ा कुलबुलाने लगा. दोस्त और पत्नी उस की गृहस्थी में आग तो नहीं लगा रहे? दिमाग में यह बात आते ही वह कांप उठा. उसे लगा कि उसे चमन से पूछना चाहिए. उस ने चमन को फोन किया, ‘‘यार, आज तुम मेरे घर आए थे तो मुझ से मिले बिना ही क्यों चले गए?’’
गुलाब सिंह के इस सवाल पर चमन घबरा सा गया. उस ने हकलाते हुए कहा, ‘‘यार, थोड़ी जल्दी में था, इसलिए भाभी से ही मिल कर वापस आ गया.’’
इस का मतलब साफ था कि पड़ोसी सच कह रहा था, जबकि पत्नी झूठ बोल रही थी. जरूर दाल में कुछ काला है. गुलाब सिंह का दिमाग खराब हो गया. उसे अपनी गृहस्थी की नाव डूबती दिखाई दी. वह पत्नी की रखवाली तो कर नहीं सकता था, उस के मन में पत्नी के लिए वितृष्णा पैदा हो गई. उस ने घर आ कर कहा, ‘‘आज के बाद अगर चमन यहां आता है तो उसे मना कर देना.’’
‘‘मैं क्यों मना करूं, दोस्त तुम्हारा है, तुम्हीं मना कर देना.’’ राजेंद्री ने कहा. उस रात गुलाब सिंह बिना कुछ खाएपिए ही सो गया. अगले दिन उठा तो उसे सब कुछ बरबाद होता नजर आया. उस ने अपनी आंखों से कुछ नहीं देखा था, इसलिए राजेंद्री से कुछ कह भी नहीं सकता था. अब उस का मन न काम में लग रहा था, न घर में. जब भी मौका मिलता, वह घर आ जाता. राजेंद्री समझ गई कि गुलाब सिंह को उस पर शक हो गया है. लेकिन उसे तो चमन से प्यार हो गया था, इसलिए वह उसे छोड़ नहीं पा रही थी. यही वजह थी कि एक दिन गुलाब सिंह ने राजेंद्री और चमन को अपने ही घर में आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ लिया. उस ने पहले तो चमन की पिटाई की. वह किसी तरह खुद को छुड़ा कर भाग गया तो उस ने राजेंद्री की जम कर धुनाई की.
कुटनेपिटने के बाद राजेंद्री ने इस गलती के लिए माफी मांगते हुए कहा कि अब ऐसा कभी नहीं होगा. लेकिन अब वह गुलाब सिंह का विश्वास खो चुकी थी. पत्नी की इस हरकत से गुलाब सिंह तनाव में रहने लगा. उस ने सोचा कि अगर पत्नी को गांव पहुंचा दे तो वह निश्चिंत हो जाएगा. अगले दिन उस ने पत्नी और बच्चों को गांव पहुंचा दिया. घर वालों ने उसे परेशान देखा तो समझ गए कि उस की परेशानी राजेंद्री को ले कर है. लेकिन परेशानी की वजह नहीं समझ सके. पत्नीबच्चों को छोड़ कर गुलाब सिंह आगरा वापस आ गया. लेकिन उस का दिल और विश्वास टूट चुका था. इसलिए मन बेचैन था. दूसरी ओर यार के लिए राजेंद्री भी बेचैन हो रही थी. कुछ दिनों बाद गुलाब सिंह को लगा कि शायद पत्नी में बदलाव आ गया है, क्योंकि राजेंद्री फोन कर के बारबार माफी मांग रही थी. आखिर गुलाब सिंह पत्नी और बच्चों को आगरा ले आया.
आगरा आने के बाद राजेंद्री ने निश्चय कर लिया कि अब वह किसी भी कीमत पर गुलाब सिंह के साथ नहीं रहेगी. मौका मिलते ही उस ने चमन से कहा, ‘‘चाहे जैसे भी करो, अब मैं तुम्हारे साथ रहूंगी. गुलाब सिंह के साथ रहना मुझे गंवारा नहीं है.’’
चमन जानता था कि अगर वह राजेंद्री को भगा कर ले गया तो फौजी गुलाब सिंह उस का पीछा नहीं छोड़गा और उसे जेल भिजवा कर ही रहेगा. राजेंद्री के साथ उस के दोनों बच्चों की जिम्मेदारी भी उसे ही उठानी पड़ेगी. वह आनाकानी करने लगा तो राजेंद्री ने कहा, ‘‘पति की रोजरोज की मारपीट से मैं तंग आ चुकी हूं. तुम कुछ करो या फिर मेरा पीछा छोड़ दो.’’
भागने से पहले पैसों की जरूरत पड़ेगी, इसलिए चमन ने कहा, ‘‘तुम जैसा सोचती हो, वैसा इतनी जल्दी नहीं हो सकता. उस के लिए व्यवस्था करनी पड़ेगी. फिर भी मैं कोशिश करूंगा कि जितनी जल्दी हो जाए, उतना ही ठीक रहेगा.’’
चमन ने राजेंद्री से कह तो दिया, लेकिन उसे पता था कि वह ऐसा कर नहीं सकता. उस के दिमाग में तो कुछ और ही था. फौजी कमजोर नहीं था. इसलिए चमन का यह दांव उस पर उलटा भी पड़ सकता था. इसलिए वह कुछ ऐसा करना चाहता था कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे. उस ने सोचा कि अगर गुलाब सिंह ही न रहे तो राजेंद्री अपने आप उस की हो जाएगी. गुलाब सिंह की मौत से एक फायदा यह भी होगा कि बैठेबिठाए राजेंद्री को मृतक आश्रित कोटे से नौकरी मिल जाएगी, साथ ही उस का प्रौपर्टी पर भी कब्जा हो जाएगा. सौदा काफी अच्छा था. इस में खतरा तो था, लेकिन फायदा काफी था.
अगली मुलाकात में उस ने मन की बात राजेंद्री को बताई तो उस ने कहा, ‘‘तुम जो सोच रहे हो, वह होगा कैसे?’’
‘‘तुम ने हिम्मत कर लिया तो सब बड़ी आसानी से हो जाएगा.’’ चमन ने कहा.
इस के बाद गुलाब सिंह को ठिकाने लगाने की योजना बनने लगी. राजेंद्री ने अपने व्यवहार में बदलाव ला कर गुलाब सिंह के दिल में जगह बनाने की कोशिश शुरू कर दी. पत्नी में आए बदलाव से गुलाब सिंह को लगा कि सब ठीक हो रहा है, इसलिए वह निश्चिंत होने लगा. जबकि राजेंद्री और चमन निश्चिंत नहीं थे. वे मौका ढूंढ़ रहे थे. और मौका मिलते ही गुलाब सिंह की मौत का फरमान जारी कर दिया गया. तय हुआ कि गुलाब सिंह को जहर दे कर खत्म कर दिया जाए. चमन ने जहर ला कर राजेंद्री को दे दिया. 3 जनवरी, 2015 की रात राजेंद्री ने गुलाब सिंह की पसंद का खाना बनाया. बच्चे पहले ही खापी कर सो गए थे. राजेंद्री ने गुलाब सिंह से भी खाना खाने को कहा तो हाथमुंह धो कर वह खाना खाने बैठ गया.
खाना खाने के बाद उस का जी मिचलाने लगा. उस ने यह बात राजेंद्री को बताई तो वह घरेलू उपचार करने लगी. उस से क्या फायदा होता. थोड़ी देर में गुलाब सिंह बेहोश हो गया तो राजेंद्री ने फोन कर के चमन को बुला लिया. इस के बाद दोनों ने रस्सी से गुलाब सिंह के पैर बांध दिए. उन्हें लगा कि जहर से गुलाब सिंह न मरा तो..? तब चमन ने गला दबा कर उसे मार डाला. उस के मर जाने के बाद लाश को ठिकाने लगाने की चिंता हुई. दोनों सोच में पड़ गए. धीरेधीरे रात बीतती जा रही थी. सुबह होने से पहले लाश को ठिकाने लगाना ही था.
गुलाब सिंह के क्वार्टर के पीछे एक कोठी खंडहर पड़ी थी, जिस में एक सूखा हुआ कुआं था. दोनों ने सलाह कर के एक चादर में लाश लपेटी और ले जा कर उसी कुएं में डाल दी. घर आने के बाद राजेंद्री ने कहा, ‘‘सुबह अगर किसी ने कुएं में लाश देख ली तो…?’’
लाश पहचानी न जा सके, चमन ने मिट्टी का तेल ले जा कर कुएं में डाला और आग लगा दी. लेकिन अंधेरे में यह दिखाई नहीं दिया कि लाश कितनी जली. पूर्व में बनी योजना के अनुसार, अगले दिन राजेंद्री थाना सदर पहुंची और पति की गुमशुदगी दर्ज करा दी. कुएं में लाश सड़ी और उस की बदबू कालोनी वालों को परेशान करने लगी तो थाना सदर पुलिस को इस की सूचना दी गई. थानाप्रभारी जे.एन. अस्थाना को शक हुआ कि कहीं गुलाब सिंह की हत्या कर के लाश कुएं में तो नहीं फेंक दी गई.
वह पुलिस बल के साथ कालोनी जा पहुंचे, कुएं में झांका तो उस में लाश पड़ी थी. उन्होंने लाश बाहर निकलवाई तो पता चला वह लाश गुलाब सिंह की ही थी. कालोनी के सभी लोग वहां मौजूद थे, सिर्फ गुलाब सिंह की पत्नी नहीं थी. राजेंद्री को बुलाया गया तो लाश देख कर उस ने कहा, ‘‘यह लाश मेरे पति की नहीं है.’’
लेकिन जब सभी ने जोर दिया तो वह चेहरा देखने को राजी हुई. चेहरा देख कर वह जोरजोर से रोने लगी. राजेंद्री के इस नाटक से थानाप्रभारी जे.एन. अस्थाना को तुरंत उस पर शक हो गया. उन्होंने घर वालों को सूचना दी. सूचना मिलते ही गुलाब के भाई रामवीर और महेश आ पहुंचे. कालोनी वालों से पूछताछ के बाद लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया था. दोनों भाइयों ने भी राजेंद्री पर ही शक जाहिर किया. कालोनी वालों ने भी पूछताछ में राजेंद्री पर ही शक जाहिर किया था. पोस्टमार्टम की रिपोर्ट ने यह शक बढ़ा दिया, क्योंकि जहर खाने के साथ दिया गया था. कालोनी वालों ने ही चमन का भी नाम लिया था.
पुलिस राजेंद्री को हिरासत में ले कर थाने ले आई तो उस के होश उड़ गए. थाने में सीओ असीम चौधरी ने पूछताछ शुरू की तो वह कुछ भी बताने को तैयार नहीं थी. लेकिन जब सीओ असीम चौधरी ने कहा कि चमन को गिरफ्तार कर लिया गया है और उस ने गुलाब सिंह की हत्या का अपराध स्वीकार कर लिया है तो वह बेचैन हो उठी. राजेंद्री ने रोते हुए कहा कि चमन ने ही उसे गुमराह किया था. उस ने पति को जो जहर दिया था, वह चमन ने ही ला कर दिया था. दोनों के अवैध संबंध थे और वे एकसाथ रहना चाहते थे. उस के संबंधों की जानकारी गुलाब सिंह को हो गई थी, जिस से आए दिन वह मारपीट करता रहता था. वह उस से ऊब चुकी थी. चमन ने कहा था कि उस की मौत के बाद उस की जगह उसे नौकरी मिल जाएगी.
राजेंद्री ने पति की हत्या का अपराध स्वीकार कर लिया था. इस के बाद पुलिस ने चमन को भी उस के नौलखा स्थित घर से गिरफ्तार कर लिया. थाने में राजेंद्री को देख कर उस ने भी अपना अपराध स्वीकार कर लिया था. इस के बाद थाना सदर पुलिस ने गुलाब सिंह की हत्या का मुकदमा राजेंद्री और चमन के खिलाफ दर्ज कर दोनों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. True Crime Story
—कथा पुलिस सूत्रों पर आध






