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डीसीपी वंदिता राणा ने एसएचओ रमेश सैनी को निर्देश दिए कि ब्लैकमेलर को प्लानिंग के तहत ट्रैप की काररवाई से दबोचो. एसएचओ ने डीसीपी के निर्देशानुसार नोट के साइज की कागज की कटिंग करा कर गड्डियां बना लीं. वह गड्डियां एक बैग में भर कर दीपक माहेश्वरी से कहा कि इन्हें विद्याधर नगर की उसी जगह पर रखें.

दीपक माहेश्वरी कागज से भरा बैग ले कर अपनी गाड़ी से उस जगह पर पहुंचे और बैग रख दिया. बैग रख कर दीपक माहेश्वरी वहां से चले गए. एसएचओ रमेश सैनी वहां से थोड़ी दूर पुलिस टीम के साथ छिप कर ब्लैकमेलर का इंतजार करने लगे.

थोड़ी देर बाद एक युवक वहां आता दिखा. वह दाएंबाएं देख कर बैग के पास आया और बैग उठा कर चलने लगा. तभी पुलिस टीम ने उस युवक को धर दबोचा.

पुलिस को देख कर उस युवक की सिट्टीपिट्टी गुम हो गई. पुलिस उसे हिरासत में ले कर थाने आ गई. वहां पर उस से पूछताछ की गई तो उस ने अपना नाम राहुल बोहरा बताते हुए जुर्म कुबूल कर के ठगी की सहयोगी प्रियंका मेघवाल के बारे में बता दिया. पुलिस टीम ने तत्काल प्रियंका को गिरफ्तार कर लिया और उसे भी थाने ले आई.

थाने में दोनों ब्लैकमेलर प्रेमियों से पूछताछ की. पूछताछ में बंटी और बबली बने ठग प्रेमी युगल राहुल बोहरा और प्रियंका ने जो कहानी बताई, वह कुछ इस प्रकार से है—

राहुल बोहरा (26) निवासी जगदीश कालोनी, निवारू रोड, झोटवाड़ा, जयपुर में रहता था. वह सीए फाइनल ईयर का स्टूडेंट है.

राहुल की गर्लफ्रैंड प्रियंका (24 वर्ष) निवासी डीडवाना, नागौर, राजस्थान की है, लेकिन इस समय वह निवारू रोड, करधनी जयपुर में रह रही है. प्रियंका पिछले साल से दीपक माहेश्वरी की कंपनी में अकाउंटेंट के पद पर जौब कर रही थी. वह अपने घर गांव डीडवाना से दूर जयपुर में रह कर जौब कर के अपने परिवार का भरणपोषण कर रही थी.

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