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पूछताछ के दौरान सुरेश मांझी ने पुलिस को एक परची दी, जिस में एक मोबाइल नंबर लिखा था. उस ने बताया कि यह परची विजय ने उसे दिल्ली जाने के पहले दी थी और कहा था कि कोई परेशानी हो तो इस नंबर पर बात कर लेना. पुलिस ने उस परची को अपने पास सुरक्षित रख लिया.

डीसीपी (साउथ) प्रमोद कुमार ने पीडि़त सुरेश मांझी से पूछताछ के बाद एसएचओ संजय पांडेय को आदेश दिया कि वह तुरंत मुकदमा दर्ज करें.

आदेश पाते ही एसएचओ संजय पांडेय ने सुरेश मांझी के बड़े भाई रमेश को वादी बना कर धारा 325/326/328/342/370 आईपीसी के तहत विजय नागर उस के बहनोई राजेश, बहन तारा तथा रिश्तेदार राज नागर व उस की मां आशा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली.

डीसीपी (साउथ) प्रमोद कुमार ने इस मामले को बड़ी गंभीरता से लिया था. उन्होंने भीख मंगवाने वाले गिरोह का परदाफाश करने के लिए एसीपी विकास पांडेय की अगुवाई में पुलिस की 2 टीमें गठित की. इन टीमों में पुलिस के तेजतर्रार पुलिसकर्मियों को शामिल किया गया.

इधर पीडि़त सुरेश मांझी को पुलिस ने पहले कांशीराम अस्पताल फिर लाला लाजपत राय अस्पताल में भरती कराया. अस्पताल में उस का डाक्टरी परीक्षण कराया गया, जिस में वह गंभीर बीमारी से पीडि़त पाया गया.

आंखों का परीक्षण नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. एस.के. सिंह ने किया. उन्होंने बताया कि सुरेश मांझी की एक आंख की रोशनी पूरी तरह समाप्त हो गई है, जबकि दूसरी आंख की हलकी रोशनी है, यदि उस की पुतली बदली जाए तो उस की रोशनी वापस आ सकती है.

भीख मंगवाने वाले गिरोह की तलाश में पुलिस की 2 टीमें सक्रिय हुईं. एक टीम ने कानपुर शहर में गिरोह की तलाश शुरू की तथा दूसरी टीम दिल्ली रवाना हुई. लोकल पुलिस टीम ने विजय की तलाश में मछरिया स्थित गुलाबी बिल्डिंग के पास कच्ची बस्ती में छापा मारा.

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