मांबाप के कत्ल की ठीक तारीख तो उदयन नहीं बता पाया, पर उस ने बताया कि यह कोई 5-6 साल पहले की बात है. उस दिन बारिश हो रही थी. पापा चिकन लेने बाजार गए थे और मम्मी कमरे में अलमारी में कपड़े रख रही थीं. हत्या के 2 हफ्ते पहले उस ने एक इंगलिश चैनल पर ‘वाकिंग डैथ’ नामक सीरियल देख कर मातापिता की हत्या की योजना बनाई थी. हत्या के दिन उदयन ने सुंदरनगर के ही गायत्री मैडिकल स्टोर्स से नींद की गोलियां खरीद ली थीं.
अलमारी में कपड़े सहेज कर रखती इंद्राणी को उदयन ने धक्का दे कर पलंग पर ढकेल दिया. इंद्राणी की बूढ़ी हड्डियों में दम नहीं था, वह अपने हट्टेकट्टे बेटे का ज्यादा विरोध नहीं कर पाईं. कुछ ही देर में उदयन ने उन का गला घोंट दिया.
लगभग आधे घंटे बाद बी.के. दास चिकन ले कर घर आए और इंद्राणी के बारे में पूछा तो उदयन ने सहज भाव से उन्हें बताया कि मां ऊपर कपड़े रख रही हैं. इस बात से संतुष्ट हो कर उन्होंने उदयन से चाय बनाने को कहा तो वह चाय बना लाया और उन के कप में नींद की 5 गोलियां मिला दीं.
चाय पीने के बाद बी.के. दास नींद की आगोश में चले गए तो उदयन ने उन की गला घोंट कर हत्या कर दी. अब समस्या लाशों को ठिकाने लगाने की थी. उन दिनों सुंदरनगर इलाके में कंस्ट्रक्शन का काम जोरों पर चल रहा था. उदयन ने बगल में काम करने वाले एक मजदूर को बुलाया और लौन के दोनों कोनों में गड्ढे खुदवा लिए. देर रात उस ने अपने जन्मदाताओं की लाशें घसीट कर गड्डों में डालीं और उन्हें हमेशा के लिए दफना दिया.