दुनिया के लगभग सभी देशों में लाखों करोड़ों आदिवासी रहते हैं. ये आदिवासी आदिकाल में कबीलों में रहते थे. कबीलों से ही इन की पहचान होती थी. आज भी कई देशों में आदिवासी कबीलों में रहते हैं. विकसित और विकासशील देशों में रहने वाले कई कबीलों के आदिवासी आज भी रेल, बस जैसी साधारण उपयोग की वस्तुओं से ले कर सांसारिक हलचल से अनजान हैं.

कबीलों में रहने वाले आदिवासियों के अपने नियम कानून होते हैं. इन का रहन सहन, खानपान, रीतिरिवाज वगैरह आदिकाल से चले आ रहे हैं. उन में अब तक कोई खास बदलाव नहीं हुआ है.

इन की पूरी दुनिया और रोजीरोटी अपने कबीले तक ही सीमित होती है. इन में कई कबीलों के आदिवासी हिंसक भी होते हैं. हालांकि इन के पास कोई आधुनिक हथियार नहीं होते, तीरकमान और भाले ही इन के पुरातन हथियार हैं. इन्हीं अस्त्रशस्त्रों से ये लोग अपनी रक्षा और भोजन के लिए जानवरों का शिकार करते हैं.

विज्ञान और इंटरनेट के इस युग में आदिवासियों की कई प्रजातियां पढ़ना लिखना तक नहीं जानतीं. न तो इन की पुलिस है और न ही कोई सरकार या संविधान. कबीले का कानून ही इन के लिए गीता, रामायण और बाइबिल की तरह संविधान है. ये आदिवासी बीमार होने पर न तो किसी अस्पताल में जाते हैं और न ही किसी डाक्टर के पास. कबीले के सरदार और पंच पटेल बीमारों की दवादारू करते हैं.

ऐसा ही एक द्वीप भारत के नक्शे पर है, अंडमान निकोबार. इस आइलैंड पर सेंटनल आदिवासी रहते हैं. यह आइलैंड नवंबर, 2018 में दुनिया भर में एकाएक सुर्खियों में आ गया.

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