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जब वह घर पहुंचा तो गिलोरिया मौजूद नहीं थी. उस ने यह सोचते हुए जेब से कागज निकाला कि उस की उम्मीद के विपरीत जल्दी काम पूरा हो गया. लेकिन कागज खोल कर देखा तो उस की उम्मीदों पर पानी फिर गया. वह किसी पुरानी डायरी का कागज नहीं था. उस का साइज भी अलग था. निक ने मायूसी के साथ सिर को झटका और कागज को फाड़ने का इरादा किया.

तभी उस की नजर कागज पर लिखे हुए पते पर पड़ी. लिखा था : पाल गिलबर्ट, कमोडोर रेस्टोरेंट, कोस्ट रोड.

निक कुछ देर तक सोचता रहा. फिर वह कार में बैठ कर कोस्ट रोड की तरफ रवाना हो गया.

कमोडोर रेस्टोरेंट समुद्र के किनारे एक छोटा सा रेस्तरां था. काउंटर के पीछे एक मोटी सी औरत एप्रिन बांधे खड़ी थी. रेस्टोरेंट करीब करीब खाली पड़ा था. एक कोने में कुछ शिपमैन बैठे थे. निक ने काउंटर के पास पड़े एक स्टूल पर बैठ कर कौफी का आर्डर दिया. औरत ने कौफी का कप भर कर उस के सामने रख दिया और जिज्ञासा भरी नजरों से उस की ओर देखने लगी.

‘‘तुम शायद पहली बार यहां आए हो?’’ औरत ने पूछा तो निक बोला, ‘‘हां, दरअसल मेरे एक दोस्त ने बताया था कि यहां सी-फूड बहुत अच्छा मिलता है.’’

‘‘थैंक्स, क्या नाम है तुम्हारे दोस्त का?’’

निक ने थोड़ा रुक कर कहा, ‘‘माइकल गार्नर.’’

‘‘माइकल गार्नर?’’ औरत ने थोड़ा चौंकते हुए पूछा, ‘‘तुम उसे कैसे जानते हो?’’

‘‘हमारी मुलाकात एक बिजनैस फंक्शन के दौरान हुई थी.’’ निक आंख दबाते हुए बोला, ‘‘हमारी लाइन एक ही है. उम्मीद है, तुम मेरा मतलब समझ गई होगी.’’

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